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अंगूठे की शेप बता सकती है गहरे राज़ - thumb astrology in hindi

 नमस्कार दोस्तों आज हम बात करते है ज्योतिष और अंगूठे के संबंध की. जिस तरह जो हमारे सिर के ढांचे को बुध माना जाता है जिसके अंदर ख्याल और एक तरह से हवाई लहर पैदा हुआ करती है जिसे पैदा करने का काम राहु का है. यानी अच्छा राहु अच्छे ख्याल पैदा करेगा। ठीक उसी तरह मन या दिल इंसान के चन्द्रमा से जोड़ कर देखा जाता है. मन में अच्छे-बुरे ख्याल चन्द्रमा के अंतर्गत आते है लेकिन इन ख्यालो में कितनी ताकत होगी ये राहु केतु ही बताएंगे।  Thumb analysis according astrology in hindi  इसी तरह इंसान का अंगूठा भी राहु केतु माना गया है, राहु केतु के जोड़ को ज्योतिष में शुक्र माना गया है यानि सम्पूर्ण अंगूठा शुक्र।  ऊपर वाली पोरी केतु मानी और नीचे वाली राहु। हालाँकि यंहा शनि को नहीं लेंगे। अंगूठा पाप मुक्त होता है. acupressure में अंगूठा सिर माना जाता है.  अंगूठा लम्बा होने से व्यक्ति अपनी कामवासना पर काबू पाने में समर्थ होता है.  अंगूठा यदि मोटा हो तो गरीबी रह सकती है लेकिन अंगूठे की एक्सरसाइज से अंगूठे में बदलाव लाये जा सकते है.  छोटा अंगूठा कम होंसला होगा ये दर्शायेगा इसके अलावा व्यक्ति धोखे बाज़ भी हो सकता है

बृहस्पति पहले भाव की पहचान

 गुरु पहले भाव में अगर हो तो उसकी कुछ पहचान देखनी चाहिए जिसे एक तरह से हम निशानी बोल सकते है.  ऐसे लोग हँसते रहते है तो फायदे में रहते है यदि रोने की आदत है तो बहुत नुकसान झेलेंगे  पुत्र संतान होने के ज्यादा चांस होते है  पिता का कोई लोन या बड़े भाई का ऋण चुकाना पड़ता है.  पहला घर मंगल का, तो जैसे ही मंगल का समय शुरू होगा या 28 साल की उम्र में अपना अलग कोई काम या प्रॉपर्टी कर लेगा  स्टोन की प्रॉब्लम घर में किसी को हो सकती है  learn astrology

ऋण से संबंधित ज्योतिष का सबसे अच्छा सूत्र - Loan solution in astrology

एक छोटा सा उपाय है जो की धन के लेन देन से जुड़ा है.  गदणे भौमे न ग्रहियात, देयं बुधवासरे  गदणछेदनं भौमे कुर्यात, संचय सोमनंदन  when to take loan as per astrology  मंगलवार उधार लेने में अशुभ है तो बुधवार देने में। आपको यदि धन की आवश्यकता प़ड जाये तो मंगलवार को कभी नहीं लेना चाहिये। इस उधार को चुकाने में ब़डी कठिनाई आती है और किसी को बुधवार को धन उधार दे दिया तो उस धन को प्राप्त करने में मुश्किलें आती हैं, यहां तक कि रिश्तों में भी दरारें उत्पन्न हो जाती हैं।  when to start removal of loan as per Astrology  यह एक सरल नियम हैं जो आसानी से याद रखा जा सकता है. इस श्लोक के अनुसार ऋण उतारने के लिए मंगल और पैसा जोड़ने के लिए बुधवार का दिन अच्छा रहता है. कुंडली के अनुसार सबसे बड़ा ऋण हमारी साँसे होता है, ऋण भाव 6ठे घर से देखा जाता है जिसका स्वामी बुध होता है. और ऋण उतारना अष्टम (मृत्यु) जिसका स्वामी मंगल होता है. ये नियम ऋण के मामलों में बिलकुल सही साबित होता है.

घर में पैसे और सुख के लिए अपनाएं ये आदतें - bad habits as per astrology

ज्योतिष अनुसार कुछ दैनिक आदतें हमारे जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है. इन आदतों का संबंध ग्रहों से बताया गया है, आइये जानते है कैसे उन बुरी आदतों से बचकर हम अपनी कुछ परेशानियों से बच सकते है.  bad habits rituals astrology  कुछ लोगों को आदतन अपना बिस्तर व्यवस्थित‍ रूप से नहीं रखते, पलंग को गंदा करें रखते है.  उनका राहु व शनि खराब होगा। ऐसे लोग सब कुछ होने पर भी दुखी ही रहते है. कुछ लोग कहीं भी थूकने की आदत से ग्रस्त होते है, इधर उधर थूकते ही  रहते है.  इस आदत से बचना चाहिए. इससे मान सम्मान को बहुत ही हानि पहुँचती है. हमेशा अपने पैर साफ़ रखने चाहिए। इससे आपका चिड़चिड़ापन कम होगा और निर्णय लेने की क्षमता आती है । रात में सोने के पूर्व पैर अवश्य धोएं, इससे नींद अच्‍छी आती है। जब भी कोई मेहमान घर पर आये तो उसे चाय-पान कराना चाहिए. ऐसा करने से आप राहु का सम्मान करते हैं और आपके घर में कभी राहु का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। किशमिश के पानी पीने के बहुत है फायदे - raisin water benefits in hindi धन -समृद्धि के लिए उपयोग की जाने वाली चमत्कारिक herbs

राहु के गोचर का फल कैसा होगा - result of rahu gochar

वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह का गोचर तक़रीबन 18 महीने की अवधि का होता है यानी एक राशि में डेढ़ साल. इसका राशि परिवर्तन ज्योतिष में बड़ी घटनाओ के रूप में देखा जाता है और लगभग हर राशि के जातक को इसके फल मिलते है. आइये जानते है विभिन्न भावों में राहु का गोचर का क्या फल मिलता है.  राहु देव शुभ परिणाम देंगे ये अशुभ  ये तो राहु देव ही जाने लेकिन थोड़ा अंदाज़ा लगाया जा सकता है. सबसे पहले कुंडली में राहु की स्थिति देखनी चाहिए। अगर राहु शुभ अवस्था में है तो उसी भाव जिसमे गोचर करेगा उसमे शुभ फल देगा अशुभ होगा तो हर अच्छी जगह भी बुरे फल मिलेंगे लेकिन एक बात जरूर बता दूँ के राहु के उपाय करना सबसे आसान होता है और अच्छे फल लेना भी बस थोड़ी आदते सुधारनी चाहिए.  नोर्मल्ली राहु को वृषभ राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि में नीच माना जाता  है। गोचर का राहु चंद्र से तृतीय, षष्टम, दशम और एकादश भाव में शुभ फल देता है। वहीं द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, अष्टम, नवम और द्वादश भाव में राहु सामान्यतः अच्छे फल प्रदान नहीं करता है। लेकिन इसकी कैलकुलेशन थोड़ी मुश्किल है, हम आपको आसान भाषा में समझाने की कोशिश करते है. पह

क्या होती है शनि की साढ़े सती तथा ढैय्या

ज्योतिष में शनि ग्रह को हर बुरे काम से जोड़ कर दिखाया जाता है. इसमें  शनि ग्रह  की साढ़े सती तथा शनि के ढैय्या को बहुत ज्यादा  महत्व दिया गया  है। आज चर्चा करते है के क्या है शनि की साढ़े साती और ढैया और कैसे मिलते है इनके प्रभाव  sade sati meaning in hindi astrology  पहले बात करते है साढे साती की. astrology में शनि गोचर में जब जब व्यक्ति की चन्द्र राशि से 12वीं, पहली तथा दूसरी राशि में घूमते  हैं तो उस व्यक्ति की life में शनि की साढ़े साती मानी जाती है जो की परेशानी देने वाली मानी जाती है.  इसका एक example आपको देता हूँ  इस जन्म पत्रिका में चन्द्रमा 8 नंबर राशि यानि के वृश्चिक राशि में बैठा है. तो जातक की राशि वृश्चिक मानी जाएगी. जब शनि gochar में वृश्चिक 8 राशि से 12 यानि के  तुला, पहली वृश्चिक, दूसरी धनु में घूमेंगे तो उस person पर शनि की साढ़े सती का time बताया जायेगा।  थोड़ा सा और clear कर देता हूँ,  खगोल शास्त्र के हिसाब से  शनि ग्रह (Saturn planet)  एक 12 राशि 30 साल में पूरी करते है, एक राशि में शनि 2.5 साल रहे. साढ़े साती का असर 7.5 साल रहता है जैसा की इसके नाम से पता चलता है. तीन र

सही कुंडली कैसे बनाये

कभी कभी कई कारणों से जन्मकुंडली गलत बन जाती है जैसे घडी की गड़बड़, लोकल समय या सूर्य समय में अंतर से, पृथ्वी के ऊँचे-नीचे शहरों से, सूर्योदय के फर्क से, किसी भी कारण से अक्सर जन्म कुंडली गलत बन जाती है.  काफी बार ज्योतिषी आपकी कुंडली लक्षण बताता है जो आपसे मेल नही खाते। ऐसे में कुंडली 1 घंटे और 1 घंटे पीछे या लगन आगे पीछे करके देखना चाहिए। फिर जातक के हाव=भाव व् लक्षणों से सही जन्मकुंडली बनानी चाहिय. हर लगन की अपनी विशेषतायें होती है जो जातक से जरूर मेल खायेंगी। अभी हमारी संस्था vastu-shastra.org में ही एक वयक्ति की जन्म कुंडली विश्लेषण के लिए आई जो की तुला लगन की कुंडली थी लेकिन कुछ भी लक्षण तुला लगन के नही थे जैसे की कम बोलना, ईगो ज्यादा होना आदि. जब कुंडली सिर्फ 10 मिनट पीछे लेके जाना पड़ा तब नक्षत्र बदलने के कारण वो कुंडली कन्या लगन की बनी और सभी लक्षण व् समस्याए मेल खाने लगी.

कुंडली में ग्रहण योग का सच

ग्रहण का मतलब होता है ग्रास करना या खा जाना तथा इसी प्रकार ऐसा माना जाता है कि राहु अथवा केतु में से किसी एक के सूर्य  के साथ स्थित हो जाने से ये ग्रह सूर्य का कुंडली में फल खा जाते हैं जिसके कारण जातक को अपने जीवन के सूर्य से जुड़े क्षेत्रों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।  वैदिक ज्योतिष में ग्रहण योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में सूर्य  के साथ राहु अथवा केतु में से कोई एक स्थित हो जाए तो ऐसी कुंडली में ग्रहण योग बन जाता है।  कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि किसी कुंडली में यदि सूर्य  पर राहु अथवा केतु में से किसी ग्रह का दृष्टि आदि से भी प्रभाव पड़ता हो, तब भी कुंडली में ग्रहण योग बन जाता है।  अगर वैज्ञानिक ढंग से इस ग्रहण योग अध्ययन करते हैं तो हम देखें राहु तथा केतु प्रत्येक राशि में लगभग 18 मास तक रहते हैं, सूर्य एक राशि में लगभग एक महीने तक रहते हैं.  मान लीजिए कि राहुआज के समय में मिथुन राशि में स्थित हैं तथा केतु धनु राशि में स्थित हैं। जब जब सूर्य गोचर करते हुए इन दोनों राशियों में से किसी एक राशि में आएंगे तथा एक महीने तक इस राशि में रहेंगे, इस बीच

शनि गुरु में समानता

शनि और गुरु ग्रह में फर्क करना आसान नहीं, केला ख़सख़स स्वाद का होता है शनि के गुण भी विद्यमान है, शनि का वर्ण काला है, काले में किसी का रंग नहीं चढ़ता गुरु की भी यही पहचान है.  तत्वानुसार  गुरुतत्व का  स्वाद  कड़वा होता है क्यूंकि वो सच्चा होता है लेकिन स्वाद शनि को कड़वा मिला. पश्चिम दिशा शनि देव जी की है पश्चिम दिशा वास्तु अनुसार अवचेतन मन और ज्ञान प्राप्ति की है और ब्राह्मण के लिए शुभ है. गुरु ग्रह को ईशान में स्थान मिला, अपना दिमाग भी लगाएं नकली धर्मगुरु बहुत है. सभी आडम्बरों से मुक्त करना गुरु कर्तव्य है जिसकी पतरी में गुरु अच्छा वो आडम्बर में नहीं फंसता लेकिन यथार्थ में अच्छे शनि वाले ही नहीं फंसते. 

राहु-केतु का कर्क-मकर राशि में फल

आज चर्चा करते है यदि जन्म कुंडली में राहु कर्क राशि में हो तो व्यक्ति का स्वभाव किस तरह का हो सकता है.  rahu in cancer sign and ketu in capricorn in hindi राहु कर्क राशि में स्थिति होने पर ऐसा माना जाता है के ऐसा जातक पिछले जन्म में काफी दिक़्क़तों का सामना करके आया है. इनकी पारिवारिक जिंदगी अच्छी नही रही.  इस life में ऐसा जातक नए नए ideas देने वाला होता है  साथ ही घर के मामलों खूब interest लेता है. family इनके लिए काफी मायने रखती है. हालाँकि दिखावा करने की आदत इन्हें हो सकती है. बाहर से देखने पर ये थोड़े ठंडे हो सकते है लेकिन अंदर से बहुत इमोशनल होते है. 

राहु - केतु का मिथुन-धनु राशि में फल

आज बात करते है यदि राहु मिथुन राशि में हो और केतु धनु राशि तो पिछले जन्म में जातक किस तरह का था, और इस जन्म किस स्वभाव का हो सकता है.  rahu in Gemini sign and ketu in Sagittarius sign meaning ऐसे जातक ने अपनी पिछली जिंदगी एक दार्शनिक या एक रहस्यमय लक्ष्य के लिए जी थी. उसे आज़ादी वाली जिंदगी पसन्द होती है. अपनी पिछली जिंदगी में ऐसे लोग अपने sense of humor के कारण एक सराहनीय व्यक्ति थे.  यदि ऐसे लोग चाहकर भी अपने आप को अलग थलग करें और अपने आप को सोसाइटी से अलग करे तो भी नियति ऐसा नही करने देती. इनके पास ऐसी क्षमता है की ये लोग किसी के बारे में पहले ही बता दे के उसके साथ ऐसा हो सकता है. शायद ही इन्हें लाइफ में अच्छे चांस बहुत कम मिलते है.  राहु-केतु का फल वृषभ-वृश्चिक राशि में राहु - केतु का मेष-तुला राशि में फल

राहु-केतु का फल वृषभ-वृश्चिक राशि में

आज चर्चा करते है यदि जन्म लग्न कुंडली में राहु वृषभ और केतु वृश्चिक राशि में हो तो पिछले जन्म से क्या सम्बन्ध हो सकता है साथ ही इस जन्म में व्यक्ति कैसा हो सकता है.  rahu in Taurus ketu in Scorpio   अपनी past life में ऐसा जातक बहुत ज्यादा बुरे कामो में लिप्त रहा होता है, ऐसा माना जाता है के अपनी योग्यता का बहुत गलत उपयोग ऐसे व्यक्ति ने किया होगा. sex life बिगड़ी हुई रही होगी ऐसा माना जाता है. साथ ही सज़ा भी मिली होती है.  अपनी इस जिंदगी में ऐसे लोग लाइफ की जरूरतों को भली भांति समझते है. थोड़े डिप्लोमेट होते है. तीर्थ यात्राएं बहुत करते है और holi places पर जाकर अपना ज्ञान बढ़ाने की कोशिश करते है. शांति और आराम से जीने के लिए ये लोग पूरी मेहनत करते है और अपने कर्मों को भी सुधारते रहते है.  राहु - केतु का मेष-तुला राशि में फल

राहु - केतु का मेष-तुला राशि में फल

rahu ketu दोनों ग्रह हमारी पिछली जिंदगी से जुड़े हुए ग्रह माने जाते है, और उनका असर इस जिंदगी में भी देखने को मिलता है. कुछ हद तक इनकी स्थिति हमारी past life के बारे में भी बताती है.  rahu-ketu in aries-libra sign राहु मेष राशि में होने  पर केतु अपने आप तुला में जाएगा. ऐसे लोग अपनी पिछली life में काफी लकी थे ऐसा माना  जाता है साथ ही काफी भौतिक सुख भोग के आए  होते है. ऐसे लोग अध्यात्म की तरफ झुके हुए भी थे.  इस लाइफ में इनका स्वभाव बहुत उग्र हो सकता है साथ ही अपनी चलाने वाले हो सकते है. फिर भी इनकी लाइफ में पैसा आता रहेगा, और शुभ काम होते रहते है. हालाँकि अपने स्वभाव की वजह से काफी अच्छी opportunities हाथ से जायेगी. 

चन्द्र शनि युति - बुरा योग या ज्योतिषी - moon saturn conjunction

आज चर्चा करते है जन्म कुंडली में चन्द्र-शनि की युति की, मतलब  जन्म पत्रिका में चन्द्रमा और शनि का सम्बन्ध बने तो विष योग बन जाता है ऐसा माना जाता है के ये योग परेशानी देता है . क्या सच में परेशानी देता है आइये जानते है.  अभी २-3 दिन पहले एक पोस्ट fb पर  पढ़ी के यदि चन्द्र-शनि की युति हो तो जातक पागल जैसा व्यवहार  करता है, मानसिक अवसाद का शिकार हो जाता है और ये ब्रह्मवाक्य है मतलब ऐसा होगा ही होगा. शनि के अलावा यदि राहु या मंगल भी चन्द्र के साथ हो तो यही स्थिति होगी. वेसे वैदिक ज्योतिष में ये चन्द्र शनि वाला योग बनने के इतने तरीके हैं के हर कुंडली में ये योग बनाया या I mean होता है.  अगर अपना मै ज्योतिष का अल्पज्ञान भी use करता हूँ तो चन्द्रमा मन का कारक होता है, शनि जी हो गए धीरे धीरे चलने वाले कार्मिक ग्रह, शनिदेव human बॉडी के अनाहत चक्र के मालिक है जिसे heart chakra भी कहते है अब heart चक्र का कार्य समझाने की आवश्यकता नही.  इनकी युति होने पर चन्द्रमा दूषित होगा ऐसा  reason  नज़र नही आता.  इसके अलावा वैदिक ज्योतिष के अनुसार के अनुसार कुछ राशि - नक्षत्र भी प्रभाव डालते है अब यदि शनि गुर

मंत्र द्वारा अपने मन को वश में करें - mantra for control feelings

किसी भी काम में सफलता   के लिए जरूरी है अपना मन अपने वश में हो, कुछ लोगों के साथ ये दिक्कत आती है उनकी सोच बहुत ज्यादा भटकी हुई होती है.  यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मन दूषित को ऐसे में पूरी जिंदगी सफलता नही मिल सकती चाहे कितना ही talent जातक में हो, क्योंकि ऐसे लोग कभी भी सही निर्णय नही ले सकते.  सुबह कुछ सोचते है और शाम होते होते कुछ नया सोचने लगते है. ये कमजोरी कुंडली में चन्द्रमा की होती है. चन्द्रमा का ये मंत्र आपके मन को मजबूती देता है. इस मंत्र के  21000 जाप करने चाहिए.  mantra        ॐ श्रां श्रीं श्रौ सः चद्रमसे नमः 

राहु को उच्च करने का छोटा सा उपाय - upay for good rahu

यदि आपकी कुंडली में राहु सम्बन्धी कोई भी बाधा है या राहु के कारण परेशानी आती हो ऐसे में काम अचानक खराब होते है. ऐसे में आपको एक छोटा सा उपाय बताते है  राहु ग्रह के दो रूप होते है उच्च या नीच, नीच राहु गन्दगी और उच्च राहु सफाई से जुड़ा माना गया है. साथ ही टॉयलेट का स्थान राहु के under में माना गया है ऐसा देखा जाता है राहु बुरा प्रभाव दे रहा हो तो घर के टॉयेलट में कोई न कोई गन्दगी या खराबी जैसे नल टपकना या सीलन रहती है. लेकिन इसी टॉयलेट से राहु को शुभ भी किया जा सकता है.  राहु ग्रह के बुरे प्रभाव से बचने के लिए या राहु को उच्च करने के लिए अपने घर का toilet स्वयं साफ़ करने से राहु जनित परेशानी समाप्त होती है साथ में राहु के शुभ प्रभाव मिलने शुरू हो जाते है. ये बहुत छोटा सा उपाय है लेकिन बड़े काम का है.

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति के गुण - rohini nakshatra born character in hindi

रोहिणी नक्षत्र नक्षत्रो में चौथा नक्षत्र है. ऐसे जातक का व्यवहार अच्छा होता है, साथ ही जातक खुश मिज़ाज़ होता है. उसका झुकाव संगीत, कला के प्रति   हो सकता है. ऐसे जातक दूसरे sex के साथ ज्यादा खुश रहते है. इनकी वाणी मीठी होती है साथ ही माता का ऐसे जातक पर ज्यादा प्रभाव होता है.  रोहिणी नक्षत्र के गुण - things about rohini nakshatra  sex =  female  गुण - राजसिक  दिशा - पूर्व  राशि  = 10 डिग्री से 23. 20 डिग्री वृषभ  नक्षत्र स्वामी = चन्द्रमा  नक्षत्र राशि स्वामी = शुक्र  शरीर  के हिस्से   = चेहरा, जीभ, गर्दन  business of rohini nakshatra यदि दसवें घर से इस नक्षत्र का सम्बन्ध हो तो ऐसे में बेकरी, bar, दूध, तेल, ice cream जैसे business करने शुभ रहते है. इसके अलावा साबुन, चन्दन, paint, रँगाई का काम भी रोहिणी नक्षत्र ही करवाता है.   disease form rohini nakshatra - छठे या आठवें से सम्बन्ध बने तो सूजन, सर्दी जुकाम, तलवे में दर्द, साथ ही महिलाओं को अनियमित period की प्रॉब्लम देता है.  एक और अच्छी बात बताता हूँ के यदि आपकी कुंडली में रोहिणी नक्षत्र फायदेमंद है तो शादियां कराने का काम आपको बहुत शुभ

कृतिका नक्षत्र में जन्मे लोगों का स्वभाव - kritika nakshatra characteristics in hindi

कृतिका नक्षत्र नक्षत्र गणना में तीसरे स्थान पर आता है. सूर्य स्वामी और देवता अग्नि देव से सम्बन्ध होने के कारण  ये स्वाभिमानी होते हैं , छोटी-छोटी बातों पर उत्तेजित होना इनका स्वभाव होता हैं. आइये जानते है इनके अन्य गुण    नाम   - कृतिका नक्षत्र  krittika nakshatra English name of  krittika nakshatra -  Alcyone/Tauri degree - स्थिति = 26 डिग्री 40 मिनट से 30 डिग्री मेष उसके बाद 0 डिग्री से 10 डिग्री वृष राशि  राशि स्वामी - lord of rashi of  krittika nakshatra =  पहले  पद का मंगल स्वामी और बाकी तीन का  का शुक्र। nakshatra lord  = सूर्य  देवता   = अग्नि देव  गण   = राक्षस  लिंग   = स्त्री  मित्र नक्षत्र – अश्विनी, भरणी, माघा, पूर्व फाल्गुणी,मूला,पूर्वाषाढ़ व्यवहार = तेज़, आलस नही होता  अक्षर – अ,इ,उ,ए

कुंडली के अनुसार मोती किसे पहनना चाहिए आइये जानते है

ज्योतिष के रत्न विज्ञान में मोती (pearl) का बहुत महत्व है। ये चन्द्रमा का रत्न माना जाता है. कुंडली में   चंद्रमा कमज़ोर  होने पर मोती पहनने की सलाह दी जाती है मगर हर व्यक्ति के लिए ये नही होता  है। ज्योतिष के अनुसार कब  पहनना चाहिए मोती रत्न  आइये जानते है.  when  to wear pearl stone in astrology  जन्म कुंडली जिनमें चंद्रमा शुभ स्थानों (केंद्र या‍ त्रिकोण) का स्वामी होकर निर्बल हो, ऐसे में ही मोती पहनना लाभदायक होता है। नहीं तो मोती मृत्यु का कारक भी बन जाता है.  conditions for wear pearl   लग्न कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थानों का स्थायी हो मगर, 1. 6, 8, या 12 भाव में चंद्रमा हो तो मोती पहनें। 2. नीच राशि (वृश्चिक) में हो तो मोती पहनें। 3. चंद्रमा राहु या केतु की युति में हो तो मोती पहनें। 4. चंद्रमा पाप ग्रहों की दृष्टि में हो तो मोती पहनें। 5. चंद्रमा क्षीण हो या सूर्य के साथ हो तो भी मोती धारण करना चाहिए। 6. चंद्रमा की महादशा होने पर मोती अवश्य पहनना च‍ाहिए। 7. चंद्रमा क्षीण हो, कृष्ण पक्ष का जन्म हो तो भी मोती पहनने से लाभ मिलता है।

भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगों का स्वभाव - bharni nakshatra in hindi

नक्षत्रों की श्रेणी  में भरणी को दूसरा नक्षत्र माना जाता है, इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है. शुक्र के प्रभाव के कारण ऐसे लोग आराम से और शांति से जीना पसंद करते है और क्या है भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगों का स्वभाव आइये जानते है.  bhrani naksahtra facts  राशि - मेष  अंश - 13. 20 - 26.40 डिग्री  नक्षत्र स्वामी  - शुक्र  लिंग        - पुरुष  दिशा     - पश्चिम  गुण    - राजसिक  nature of person born in bhrani nakshatra  venus effective होने के कारण ये लोग  देखने में आकर्षक व सुन्दर होते हैं. इनका नेचर  भी सुन्दर होता है जिससे ये किसी  का भी मन मोह लेते हैं। इनके जीवन में  प्रेम आता जाता रहता है. ये लोग अपने दोस्तों से बिलकुल honest होते है. लेकिन ये सच्चाई को बड़ा मानते है और किसी कमी को सामने ही बीते देते है. इन्हें समाज में इज़्ज़त जरूर मिलती है.  bharani nakshatra के जातक उर्जावान होते   हैं. मेष राशि का अंश होने के कारण ये लोग जो   ठान लेते हैं उसे पूरा करके ही मानते  हैं। किसी भी परिस्थिति को शांति से सुलझाना चाहते है लेकिन कूटनीति भी करने में पीछे नही हटते।  luxury की तरफ इनका झ

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