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Showing posts with the label vedic vastu

packed water क्यों नहीं पीना चाहिए

आज चर्चा करते हैं के पुराना packed water क्यों नहीं पीना चाहिए, इससे क्या नुकसान होते है और क्यों. आइये जानते है.  why packed water injurious to health जो भी जल बहता है और वाष्पित होकर उड़ने का गुण रखे वो जल है, कोई भी जल जब हवा से दूर रहता है तब उसके अंदर के minerals समाप्त होने लगते है जिसके सेवन से नुक्सान संभव है.  जब हम उसे बोतल में रखते है और हवा से दूर कर देते है तो जल अपने गुण खोने लगता है और धरती तत्व के गुण अपने अंदर ले आता है जिससे जो जल आप पियोगे उसके पचने में ज्यादा समय लगेगा तक़रीबन 5 घंटे जो की एक नार्मल जल 2 घंटे में डाइजेस्ट हो जाता है. अब देर से पचेगा तो अपच व् कब्ज़ की समस्य उतपन्न हपगी जो की किसी भी बीमारी का प्रथम कारण है.  इसके अलावा शरीर  का जल तत्व खराब होने से डिप्रेशन, मेंटल peace, career इन सब पर प्रभाव पड़ेगा. घड़े का पानी इसका अपवाद है, साथ ही चांदी व् सोने के बर्तन में रखा पानी भी इसका अपवाद है क्यूंकि इनसे जल के गुण चिरकाल तक बचे रह जाते है. 

वास्तु दोष दूर करने का आसान उपाय

ये उपाय उनके लिए है जिनका प्रॉपर्टी से जुड़ा बिज़नेस है चाहे किसी भी प्रकार का हो कमीशन, बिल्डर, डीलर। ये उपाय विश्वकर्मा दिवस के दिन या किसी भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन करना चाहिए.  विश्वकर्मा जी की तस्वीर को उस दिन अपने घर उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में या घर के किसी ऐसे स्थान पर लगाना है जहां घर में घुसते ही उस पर नज़र जरुर पड़े, ये उपाय अपने ऑफिस में भी कर सकते है.  इसके बाद उस स्थान पर विश्कर्मा जी से जुड़ा कोई भी मन्त्र करना चाहिए, नित्य एक माला 43 दिन तक.  यदि घर में कोई प्रबल वास्तु दोष है तो मंत्र सवा लाख करने से वास्तु दोष क्षीण पड़ जाता है.  एक मन्त्र आपको बता देता हूँ जो बड़ा ही आसान है.                       "ॐ नमो विश्वकर्मणे" वास्तु व् ज्योतिष से संबंधित कोई प्रश्न के लिए कॉल कर सकते है 9899002983 (paid service)

हृत चक्र- एक छुपा हुआ चक्र - Hrit (Heart) Chakra

अनाहत चक्र के बिलकुल नीचे एक छोटा सा चक्र होता है जिसे सूर्य चक्र कहते है, इसे हृत चक्र भी कहते हैं, इसमें आठ पंखुडिया होती है और उसके अंदर कल्पवृक्ष पेड़ की कल्पना की गई है, इसे ही अष्टदल कमल  कहा जाता है.  normally ये चक्र सूक्ष्म होता है ऐसे अन्य चक्र भी है लेकिन मुख्य 7 चक्रों का ही उल्लेख मिलता है. हृत चक्र का ज्यादा उल्लेख तंत्र शास्त्र में ही मिलता है. इसके रंग सफ़ेद, गोल्डन और लाल और आठ पंखुडिया मानी गई है. इस चक्र के बैलेंस होने पर कल्पना  शक्ति और उसको प्राप्त करने की क्षमता का विकास होता है. ऐसा माना जाता है इसके विकसित होने पर कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है. अष्टदल लक्ष्मी की कल्पना भी इसी से जुडी होती है. जब  हम अपनी दृश्य इंद्री के द्वारा अष्टदल को देखते है तो सीधा वही चक्र क्रिया करता है और सही दृश्य इंद्री का उपयोग दक्षिणपूर्व (आकाश देव) के द्वारा संभव है. इसका एक कारण ये भी है के आकाश देव अनाहत चक्र से जुड़े है. 

वास्तु अनुसार नवरात्री में कैसे पाएं कृपा

 सबकी अपनी अपनी कामनाएं होती है, हिन्दू धर्म में नवरात्री के दिन शुभ माने जाते है जिन्हे हम अपनी इच्छापूर्ति के लिए उपयोग कर सकते है. आज आपको बताते है वास्तु शास्त्र अनुसार हम कैसे इन दिनों का उपयोग अपनी कामना पूर्ति के लिए कर सकते है.  नवरात्री में सभी अपने घर में जौ का पौधा लगाते है जिसे अलग अलग नाम से पुकारा जाता है. धन कामना के लिए अपना नवरात्री पौधा उत्तर दिशा के 0 - 11.25 डिग्री पर लगाएं, जिनको संतान बाधा है वो ये पौधा 56-67 डिग्री पर लगाएं, जिन्हे वर-वधु की तलाश है वो ये पौधा 90 -101 डिग्री पर लगाएं और अपनी कामना मन में करे. माता की हमेशा कृपा बनी रहे तो 22-33 डिग्री पर ये पौधा लगाएं।    इसे लगाते समय आप आँख बंद कर  सिर्फ नवरात्री माताओं पर ध्यान दें, अपने दिमाग को बिलकुल शांति की ओर ले जाएं। ऐसा करने से आपका दिमाग व् मन  विज्ञानमय कोष की ओर चलता जाता है जो की सीधा अवचेतन मन से जुड़ा होता है और अचेतन मन आपकी इच्छापूर्ति करने वाला माना गया है. शुभ दिन होने के कारण ये प्रक्रिया हम आसानी से कर सकते है.  सुनिश्चित असर 9 दिन में आपको मिलेगा.  जय माता दी 

धरती घूमती है तो वास्तु गलत हुआ ना सर जी ???

जब धरती घूमती है तो दिशा तो बदल जाती है ऐसे में वास्तु शास्त्र तो अपने आप ही गलत हुआ सर जी, ऐसा ही call आज आ गया. इसका उत्तर उन्हें मैंने फ़ोन पर दे दिया पर सोचा एक अच्छी बात रही आर्टिकल लिखने का आईडिया तो दिया.  पहले बात तो - वास्तु का मतलब है वास+तु,  वास करने के नियम, अब वास कहाँ करना है, संसार में, देश में, घर में, अपने मन में। ..इनमे सबसे महत्वपूर्ण है मन में मन में वास करने के लिए अपने शरीर के पांच तत्व, इन्द्रिय और चक्र को बैलेंस करने का काम भी वास्तु शास्त्र के अंतर्गत ही आता है इसमें दिशा का कोई मतलब नहीं होता. वास्तु एक  wide topic है 15 दिन या महीने भर का course नहीं.  इसके बाद घर को लिया जाता है. अब घर को ठीक करना आज के युग में आसान है क्यूंकि अपने अंदर तो change कोई लाना नहीं चाहता, सभी बहुत ज्यादा समझदार है गूढ़ ज्ञानी है ऐसे में घर को ठीक करने का चलन वास्तु शास्त्र का दूसरा नाम ही माना गया. जबकि ग्रंथो में देश और राज्य किसी जातक को अच्छा रहेगा या नहीं इसका वर्णन मिलता है. समरांगण सूत्रधार में भवन जन्म कथा में इद्रियों का वर्णन मिलता है. इस प्रकार सिर्फ प्रॉपर्टी के अलावा व

वास्तु शास्त्र और सूर्य - sun in vastu shastra

चर्चा  करते है वास्तु शास्त्र में सूर्य ग्रह की, वैदिक शास्त्रों में सूर्य को पूर्व दिशा का स्वामी माना है. पूर्व दिशा के वास्तु दोष सूर्य पूजा व् सूर्य यन्त्र द्वारा भी समाप्त किये जा सकते है. आइये जानते है सूर्य देव वास्तु का संबंध.  सूर्य रोशनी और सच्चाई दिखाने वाला ग्रह माना गया है सभी ग्रहों और ब्रह्माण्ड का कारक माना जाता है. अगर बात घर की करें तो सूर्य देव पूर्व दिशा के स्वामी माने  जाते है. सूर्य से प्रभावित होने के कारण east दिशा vastu में social connections, power, authority, government से जुडी मानी जाती है.   इसके अलावा सूर्य से जुड़े कुछ अन्य हिस्से भी होते है जैसे spine, सीधी आँख, गर्दन, appendix, circular सिस्टम. ये समस्याएँ आने पर वास्तु पुरुष  के साथ इनकी भी स्थिति देखी जायेगी.  घर में पूर्व दिशा balance हो तो सामाजिक स्थिति अच्छी होती है, अपने अच्छे links बनते है और उनसे फायदा है और east disha खराब होने पर हमारे links हमारा धन खराब कराते हैं. प्राण शक्ति का भी नाश होता देखा गया है.  politics   से जुड़े लोगों को सबसे पहले अपने घर व् दफ्तर का पूर्व balanced रखना अति आवश्यक

वास्तु शास्त्र - वास्तु दोष क्या है?

वास्तु शास्त्र या वास्तु दोष एक बहुत प्रचलित शब्द है, आज बात करते है असल में वास्तु दोष क्या होता है. vastu dosh kya hota hai  daily वास्तु के अनेकों articles पढ़ते है, आज बात करते है वास्तु शास्त्र - वास्तु दोष क्या होता है. वैदिक शास्त्रों में चाहे या हिन्दू हो या Chinese या अन्य घर से studies सभी तत्व और ऊर्जा को महत्व देते है. सिर्फ उनके बताने के style में बदलाव आता है लेकिन तर्कसंगत सभी है और सभी का conclusion एक ही निकलता है.  इन स्टडीज के अनुसार  जब हमारा घर बनता है तो इसमें ऊर्जा बंट जाती है और पुरे घर में फ़ैल जाती है और एक दूसरे से जुडी होती है. ठीक उसी तरह जैसे हमारे शरीर नसें एक दूसरे से जुडी होती है. बिलकुल same  funda  बॉडी वाला ही है जब शरीर में कोई blockage आती है तो बाकी हिस्सों में भी परेशानी आती है इसमें भी जब energy fields में हम कोई disturbance कर देते है जैसे कोई pillar, या कुछ कंस्ट्रक्शन कर देते है तो ये ऊर्जा सही से घूम नहीं पाती और हमे संबंधित परेशानी आ जाती है.   अब संबंधित परेशानी क्या है ये हमे तत्वों के आधार पर पता चलता है जिसे विज्ञान भी मानता है. तत्वों (e

दक्षिण दिशा के टॉयलेट का प्रभाव - south toilet in vastu shastra

आज चर्चा करते है दक्षिण दिशा के टॉयलेट की, क्या असर मिलेगा घर में रहने वाले लोगों को यदि दक्षिण दिशा में toilet आ जाये तो आइये जानते है.  effects of toilet in south zone as per vastu shastra दक्षिण दिशा अग्नि से जुडी दिशा मानी जाती है, अग्नि का कार्य शारीरिक ऊर्जा, पोषण, मंगल कार्य, गर्भ, wealth, नाम आदि. उनमे से जिस zone में टॉयलेट आ जाये उससे सम्बन्धित परेशानी निश्चित ही आएगी.  dakshin disha me toilet - अब zone के हिसाब से बताता हूँ, दक्षिणपूर्व - ये कोण वेल्थ, नगद धन, से जुड़ा होता है इस कोण में टॉयलेट आने से कई बार अपने ही पैसे या प्रॉपर्टी से कोई फायदा नही होता. अभी recently एक वास्तु visit में मैंने देखा के कई सारी प्रॉपर्टी होने के बाद भी उन property से कोई फायदा नही हो रहा. साथ ही बिज़नस उधार में भी दिक्कत रहती है हालाँकि entrance  वास्तु के मुख्या और भल्लाट दोनों जोन में थी तो पैसे की आवक में कोई कमी नही है.  दक्षिणपूर्व-दक्षिण = ये कोण आपकी शारीरिक क्षमता, courage, साहस से जुड़ा होता है, इसमें टॉयलेट आने से व्यक्ति में साहस नही होता और आलस से भरा  रहता है. साथ ही ऐसा  देखा जाता

महाभारत काल में वास्तु प्रमाण - vastu links in Mahabharata time

महाभारत काल में वास्तु को लेकर कुछ प्रमाण मिलते है. उनमे से एक प्रमाण मायासुर का बनाया हुआ मायामहल जो की पांडवो ने बनवाया था और महाभारत का युद्ध का कारण बना था. क्या है इसकी कहानी और क्या है वास्तु दोष आइये जानते है.  भगवान श्रीकृष्ण ने दैत्य वास्तुकार मयासुर को पाण्डवों के लिए महल बनाने के लिए आमंत्रित किया। मायासुर ने एक माया महल का निर्माण कर दिया जिसकी चर्चा हर जगह होने लगी. लेकिन मायासुर ने श्री कृष्ण के कहने पर इसमें एक major वास्तु दोष create कर दिया। उन्होंने महल के बीचोंबीच एक पानी के माया स्त्रोत (like a mini swimming pool) का निर्माण कर दिया. इसी पानी में दुर्योधन गिर गया और द्रौपदी का किया हुआ उपहास एक महा युद्ध का कारण बना.   अब बात आती है के वास्तु दोष क्यों डाला गया, एक बात ये आती है के श्री कृष्ण जानते थे के ये राज्य आज नही तो कल कौरवों के पास आ जाएगा चाहे छल से या बल से... और ऐसा ही हुआ. इसलिए उन्होंने ऐसा वास्तु दोष करवाया, दूसरा कारण ये भी है के श्री कृष्ण खुद चाहते थे के युद्ध हो इसलिए उन्होंने ऐसा किया. .... लेकिन इधर बात वास्तु दोष की है इस वास्तु दोष के कारण पूरा

वास्तु अनुसार किस महीने में ग्रह निर्माण - ग्रह प्रवेश शुभ

वैदिक वास्तु शास्त्रों में किसी ग्रह की निर्माण व् ग्रह प्रवेश के नियम बताये गए है. इन्ही में से आज चर्चा करते है किस महीने में घर का निर्माण शुरू करना या नए घर में प्रवेश करना फायदेमंद रहता है.  months for starting or entering in new home as per vastu shastra  वास्तुराजवल्लभ शास्त्र के अनुसार चैत्र मास में ग्रह आरम्भ करने या उसमे प्रवेश करने से दुःख मिलता है, ज्येष्ठ में मृत्यु होती रहती है, आषाढ़ में पशुओं का नाश (आधुनिक काल में वाहन के कारण परेशानी), श्रावण मास में वाहन सुख, धन सुख, भाद्र में कुल में वृद्धि खत्म, आश्विन में क्लेश, कार्तिक में नौकरों के कारण हानि, मार्गशीर्ष में धन प्राप्ति, पौष में सुखों में वृद्धि, माघ में अग्नि के कारण हानि, फाल्गुन में लक्ष्मी की अभिवृद्धि होती है.  वास्तुप्रदीप ग्रन्थ अनुसार भी ऐसा ही फल मिलता है लेकिन पौष माह वाले घर में चोरी होती है. मुहुरतमार्तंड के अनुसार पौष में घर बनाया जा सकता है. इसके अलावा ग्रह निर्माण या ग्रह प्रवेश शुक्ल पक्ष में करना ही फायदेमंद माना गया है. इसके साथ ही सूर्य ग्रह की स्थिति भी देखी जाती है जैसे सूर्य किस राशि में चल र

उत्तर दिशा के मुख्य द्वारों के प्रभाव - north main door effects vastu

आज चर्चा करते है उत्तर मुखी घरों में कौन से मुख्य द्वार कैसा फल देते है. वास्तु पुरुष मंडल के अनुसार उत्तर दिशा के कुल 8 तरह के द्वार बनते है आइये जानते है उनका क्या क्या प्रभाव होता है. north facing house entrances उत्तर दिशा compass से 315 डिग्री से शुरू होकर 45 degree तक मानी जाती है. इस 90 डिग्री के फर्क को 8 बराबर भागों में बाँट दे. (360 डिग्री का चक्र होता है. 315 - 360 = 45 + 45 = 90 ) इन आठ हिस्सों में main door होने का अलग अलग असर घर पर पड़ता है. क्या है ये असर आइये जानते है. (पोस्ट में दी हुई pic से इन देवताओं के नाम पढ़ सकते है.) रोग - इस कोण में मुख्य द्वार होने से व्यक्ति अनजाने शत्रुओं से परेशान रहते है, पूरा समय व् धन दुश्मनी में ही निकलता है नाग - धन का नुकसान होता है, साथ ही बुरे कर्म वाले लोग मिलते है. नज़र दोष ऐसे घरों में होता है. मुख्या - ये द्वार शुभ माना गया है , धन प्राप्ति होती रहती है. भल्लाट - जमीन - जायदाद बनती है, अत्यधिक धन कमाता है. सोम - कुबेर - कुछ हद तक ठीक ही होता है, चरित्र धार्मिक होता है. भुजग - ऐसे घर में मुखिया का या सभी लोगो का स्वभाव नकारात्मक य

दक्षिण-पश्चिम में टॉयलेट अच्छा या बुरा

दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है, ईशान कोण के बाद ये कोण सबसे महत्वपूर्ण होता है. कुछ वास्तु शास्त्री इस स्थान पर टॉयलेट बनाने की सलाह देते है कुछ नही. जबकि दोनों ही सही हैं. आइये जानते है ये भ्रम की स्थिति क्यों आती है.  south-west toilet good or bad or both वास्तु पुरुष मंडल के अनुसार दक्षिण पश्चिम का कोना चार भागों में बनता है जिन्हें हम 4 देव भी बोलते है ये है - भ्रंगराज, मृग, पितृ, दौवारिक ... इन्हें आप pic में देख कर समझ  पाएंगे.  इन  देवताओं की शक्तियों का अलग अलग वर्णन मिलता है. इनमे से केवल भृंगराज वास्तु जोन में टॉयलेट बनाना फायदेमंद होता है (ऐसा क्यों है वो आपको अन्य पोस्ट में बताएंगे.) जबकि अन्य कोण में बुरा माना जाता है. पितृ वास्तु जोन में टॉयलेट तलाक की समस्या तक दे देता है पितृ दोष का निर्माण करता है.  कुछ vastu consultant toilet की दिशा southwest बता देते है जो की गलत है, proper degree के हिसाब से बताना जरूरी है एक तरह से southwest-south में टॉयलेट बनाया जा सकता है. 

अपनी बातों की वैल्यू बनानी है तो ठीक कीजिये सत्य वास्तु जोन - vastu tips for goodwill

वैदिक वास्तु में "वास्तु पुरुष मंडल " में सूर्य देव अगला स्थान है "सत्य" देव का. वास्तु शास्त्र में इनका उल्लेख किसी व्यक्ति की समाज में इज़्ज़त बनाने वाले देवता की तरह किया गया है.  Satya vastu zone  इस picture में आप देख सकते है जहाँ पर round mark किया है.. vastu purush mandala में सूर्य देव से बिलकुल आगे सत्य देव का स्थान है ये east की तरफ होता है. vastu shastra में इन्हें इज़्ज़त, मान देने वाला देवता माना गया है. सूर्य देव के साथी की तरह इन्हें देखा जाता है.  वास्तु अनुसार यदि के zone घर या ऑफिस में खराब है या disturb है तो ऐसे में व्यक्ति अपनी ज़बान की value खो देता है कोई भी उसकी बातों पर विश्वास नही करता, साथ ही व्यक्ति अपनी खुद की बात पर भी नहीं टिका रहता.  जब ये जोन ठीक रहता है तो व्यक्ति कोई भी बात सही time पर और सही तरह analyse करके बोलता है जिससे उसकी बात सुनी भी जाती है और मानी भी जाती है. साथ ही ऐसे लोग अपनी बातों से ही society में अपनी प्रतिष्ठा भी बना लेते  है. 

वास्तु शास्त्र के अनुसार क्यों जरूरी होता है हवन कराना

यज्ञ करना, हवन करना भारतीय परम्परा का हिस्सा रहा है. वास्तु शास्त्र में भी यज्ञ को बहुत महत्व दिया गया है. इसके कई पहलू सामने आते है आइये जानते है हवन करने का वास्तु पक्ष  benefit of hawan - yagya  in vastu  हर धर्म में घर को शुद्ध करने का कोई न कोई तरीका बताया ही गया है. वास्तु शास्त्र में भी हवन व् यज्ञ को बहुत जरूरी बताया गया है.  जब हम कोई घर बनाते है तो उसमे विभिन्न तरह की energies वर्क करती है. ये उर्जायें circulate होती रहती है, एक दूसरे में परिवर्तित होती है. जैसे जल से लकड़ी बनती है लकड़ी  से आग, अग्नि  लकड़ी की राख बना देती है जिससे पृथ्वी तत्व बनता है इसी तरह cycle चलती  रहती है.  कई बार घर में कुछ ऐसे कार्य होते  जिनसे ये circulation बिगड़ जाता है. ये काम कई बार खुद किये होते है या कई बार natural हो जाते है.  for example, यदि घर में कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार है तो उसकी बीमारी की tension सबको हो सकती है जिससे घर में  negativity बढ़ जाएगी अब यदि वह व्यक्ति ठीक भी हो जाये तो भी जो negativity थी वो पूरी तरह से नहीं जाती, यदि हम कही से घूम कर आये हैं महीने - 2 महीने बाद,,,, तो भी

घर में ख़ुशी के लिए वास्तु नियम - vastu zone for happiness and joy

कई बार देखा जाता है के सब कुछ होने के बावजूद घर में ख़ुशी नही होती। सारे काम अपने समय पर हो रहे है लेकिन फिर भी घर में happiness नही है.  वास्तु शास्त्र में इसके बारे में भी बताया गया है. आइये जानते है क्या होते है इसके कारण और कैसे लाएं घर में ख़ुशी और मस्ती।  vastu for happiness  vastu shastra में northeast-east के portion को joy और fun का zone माना गया है. vedic vastu में इसे जयंत देव का स्थान माना गया है इनका काम मन को हमेशा ताजगी और ख़ुशी का एहसास देना है.  कई बार ऐसा देखते भी है के कोई व्यक्ति अपनी life में बहुत मस्त रहता है हर पल को enjoy करता है. ऐसा jayant vastu  जोन के balanced होने से होता है. यदि ये जोन ठीक है तो व्यक्ति किसी भी बात से परेशान नही होकर आगे बढ़ने के बारे में ही सोचता है.  ऐसा देखा गया है के balanced northeast-east के घर  में रहने वाले लोगों के positive  attitude के कारण इनका social circle बहुत अच्छा और काम आने वाला बनता है, और इन्हें successful बना देता है.  अब बात आती है यहाँ defects क्या क्या हो सकते है  toilet, clutter किसी भी प्रकार की गन्दगी, लाल रंग यहाँ पर

लगातार तरक्की के लिए ठीक करें पितृ वास्तु दिशा

वैदिक वास्तु शास्त्र में हर कोण अपना महत्व रखता है. आज बात करते है "पितृ" वास्तु जोन की. ये कोण बहुत ज्यादा महत्व पूर्ण बताया गया है. वास्तु के इस जोन में कोई खराबी relationships बर्बाद  कर सकती है आइये जानते है "पितृ" वास्तु जोन के बारे में.  vastu for continued success in life किसी घर के दक्षिण-पश्चिम कोण के पश्चिमी कोण के जोन को "पितृ" देवता बताया हुआ है. दिए हुए  चित्र से आप समझ सकते है इसकी दिशा कौन सी है.  ये जोन कई तरह से महत्वपूर्ण है एक word बहुत बड़ा होता है "सुख", इस कोण से मिलता है. हमारे वंश का आगे चलना यानि के पुत्र का जन्म भी pitra vastu zone से ही operate होता है.   इसके बाद जो आज के time में नहीं रहा वो है प्यार और आपस में लगाव। family members में इसकी कमी साफ़ देखी का सकती है. आपस में लड़ाई झगड़ा, divorce cases , इसी जोन के defects से होते है.  earth element होने के कारण लगातार बने रहना, हमेशा आगे बढ़ते ही रहना इसी दिशा से हम देखते है. life में एक टिकाव यही से मिलता है चाहे वो relations में हो या business में. किसी व्यक्ति की लाइफ म

पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभाव - effects of main entrances from west direction

वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा के कुल 8 तरह के प्रवेश द्वार बताए गए है. आज चर्चा करते है पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभावों की.  west facing main entrance effects in hindi पश्चिम दिशा 225 से 315 degree मानी जाती है. इसे 225 डिग्री से शुरू करते है तो 315 तक 8 parts में बाँट दे. लगभग 11.25 डिग्री की एक पार्ट बनेगा.  w1 - पितृ - बेहद नुकसान दायक, धन और संबंध बहुत खराब होंगे।  w2 - दौवारीक - अस्थिरता देता है. टिकाव नहीं रहेगा.  w3 - सुग्रीव - ये entrance विकास देती है. आगे बढ़ते ही रहेंगे.  w4 - पुष्पदन्त (pushpdant vastu) - एक संतुष्ट जिंदगी देता है. ख़ुशी मिलती है.  w5 - वरुण (varun) - व्यक्ति बहुत ज्यादा पाने की चाहत रखने लगता है जिससे नुकसान संभव है.  w6 - असुर (asur) - ये नुकसान देती है एक मानसिक परेशानी चलती रहती है.  w 7 - शोष - shosh in vastu - गलत आदत पड़ जाती है. व्यक्ति बुरी लत में उलझा रहता है.  w 8 - पापयक्षमा - इसमें व्यक्ति मतलबी हो जाता है अपना ही फायदा देखने वाला। 

पूर्व दिशा के द्वारों का प्रभाव - effects of east facing entrances in vastu

वास्तु शास्त्र में कुल 32 प्रवेश द्वार बताए गए है जिसमे हर दिशा के 8 द्वार होते है आज चर्चा करते है पूर्व दिशा के  8 द्वारों की.  पूर्व दिशा वास्तु नियमों के हिसाब से 45 degree से देखि जाती है, और 135 डिग्री के कोण तक रहती है. इस 45 से 135 डिग्री तक यदि आप 8 भागों में बांटोगे तो आपको सही से अंदाज़ा हो जायेगा। vastu purush mandala के हिसाब से शिखी से पूर्व दिशा शुरू होती है. अब बात करते है इन 8 तरह के द्वारों का प्रभाव कैसा होता है  effects of entrances of east facing properties  1. शिखि (shikhi)  - अग्नि संबंधित दुर्घटनाएं इन घरों में देखि जाती है. 2. प्रजन्य (prajnya) - खर्चे बहुत ज्यादा होते है, इसके अलावा लड़कियों की संख्या अधिक हो सकती है.  3. जयंत (jayant) - कमाई अच्छी होती है. ये द्वार शुभ होता है.  4. इंद्र  (indra) - ऐसे लोग GOVERNMENT के अच्छे सम्पर्क में रहते है. शुभ द्वार  5. सूर्य (surya) - ऐसे लोगो में attitude problem होती है, जिसके कारण बार बार नुकसान हो सकता है.  6 सत्य (satya) - ऐसे लोग भरोसेमंद नहीं माने जाते, अपनी बात पर भी नहीं टिकते। 7. भृश (bhrish) - स्वभाव थोड़ा कटु

वास्तु शास्त्र के अनुसार सबसे अच्छे प्रवेश द्वार - which are the most suitable entrances of a house

वास्तु शास्त्र में  ज्यादा महत्व घर के main entrance को दिया गया है. वैदिक वास्तु के ग्रंथो में भी मुख्य प्रवेश द्वार को घर के जरूरी समस्याओं का कारण माना है. वास्तु में एक plot के 8 दरवाज़े बेहद शुभ माने गए है आज चर्चा करते है कौन से है ये द्वार  best entrances for a house as per vastu shastra  vastu के अनुसार एक घर में बाहरी side  32 types of energies का निर्माण होता है, एक घर को 360 डिग्री का मानते है तो इस हिसाब से एक एनर्जी लगभग 11. 25 डिग्री की होती है.  हर द्वार पर एक energy का निर्माण होता है. वास्तु में इसे हर एक देवता का नाम दिया गया है. और उसके अनुसार एंट्रेंस होने पर होने वाले प्रभाव भी बताए गए है.  अब आपको vedic vastu purush mandala के हिसाब से सबसे अच्छी entrance बताते है. इसमें east direction  में jayant और indra के द्वार, south में vitath और grahakshat के द्वार, west में sugreev or pushpdant के द्वार, north में mukhya और bhllaat entrance सबसे अच्छा फल देने वाली मानी गयी है. इन दिशाओं में द्वार शुभ ही रहता है. vastu purush mandal की pic में आप देख सकते है हर देवता का जोन

चिंता देता है खराब भृश वास्तु जोन

दक्षिण-पूर्व (southeast) के पूर्व की तरफ भृश वास्तु जोन बड़ा महत्वपूर्ण कोण माना जाता है. इस vastu zone से हमें दो वस्तुओं से मिलकर या आपस में घर्षण से एक वस्तु प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है. bhrish vastu zone  आप इस pic में देख सकते है मैंने bhrish पर एक round mark किया है.  bhrish vastu में  एक तरह से यदि हम कोई काम सोच समझकर कर रहे है लेकिन फिर भी देरी हो  रही है या असफल होते है तो ये जोन खराब या कमजोर माना जायेगा. काम शुरू करते है लेकिन अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे तो भी ये वास्तु जोन में खराबी है. idea तो आपको northeast से मिल गया लेकिन practical के लिए जोन ठीक  चाहिए।  भृश एक तरह से मंथन की शक्ति है जैसे हमने मिक्सी में दही से माखन निकाला। इस वास्तु जोन में कुछ vastu experts आपको मिक्सर रखने कि सलाह देते है लेकिन वो तभी possible है जब इधर किचन हो ऐसे में ऐसी ही  तस्वीर को वहां लगा  सकते है.  मंथन के काम या analysis के काम इस जोन में करने चाहिए. यहाँ से घर की entry नहीं होनी चाहिए. ये जोन खराब  होने से बिना बात  चिंता रहती है मन हमेशा व्याकुल रहेगा.  इसके लिए इस जोन का बैलेंस

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