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पंचम भाव का स्वामी प्रत्येक भाव में (विस्तृत विवरण)

  🔱 पंचम भाव का स्वामी प्रत्येक भाव में (विस्तृत विवरण) 🔱 🌿 पंचम भाव (5th House) को ज्योतिष में बुद्धि, शिक्षा, संतान, प्रेम, रचनात्मकता और पूर्व जन्म के पुण्य से संबंधित माना जाता है। यह भाव हमारे मन की स्थिरता, निर्णय क्षमता, आत्म-अभिव्यक्ति और प्रेम संबंधों को दर्शाता है। 🌍 जब पंचम भाव का स्वामी किसी अन्य भाव में स्थित होता है, तो वह उस भाव के प्रभाव से मिलकर व्यक्ति के जीवन में विशेष फल प्रदान करता है। अब जानते हैं कि पंचमेश (पंचम भाव का स्वामी) जब अलग-अलग भावों में होता है तो क्या प्रभाव डालता है।

शुक्र-राहु युति" या "शुक्र राहु का योग

 शुक्र और राहु का संयोजन ज्योतिष में एक विशेष योग माना जाता है। इसे सामान्यतः "शुक्र-राहु युति" या "शुक्र राहु का योग" कहा जाता है। आइए इस संयोजन को विस्तार से समझते हैं: शुक्र और राहु का स्वभाव: शुक्र: प्रेम, सौंदर्य, कला, विलासिता, धन, भोग-विलास, आकर्षण और रिश्तों का प्रतिनिधित्व करता है। राहु: भ्रम, छल-कपट, आकस्मिक घटनाएं, माया, विदेशी चीजें, महत्वाकांक्षा, तीव्र इच्छा, अपरंपरागत मार्ग, टेक्नोलॉजी, और अचानक लाभ या हानि का कारक है।

शनि और आपका कर्म ऋण (भाव अनुसार) – एक विस्तृत व्याख्यान - Past life karma and saturm

  भूमिका (Introduction) नमस्कार, आज हम शनि ग्रह और हमारे कर्म ऋण (Karmic Debt) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। शनि को न्यायाधीश और कर्म फलदाता कहा जाता है। जन्म कुंडली में शनि जिस भाव में स्थित होता है, वहां से यह संकेत देता है कि हमारे पिछले जन्म के कौन से कर्म इस जन्म में प्रभाव डाल रहे हैं। शनि हमें सिखाता है कि कैसे अनुशासन, धैर्य और कर्म के माध्यम से अपने जीवन में संतुलन लाया जाए। तो चलिए जानते हैं शनि का प्रभाव बारह भावों में और यह हमें कौन सा महत्वपूर्ण पाठ सिखाता है।

चतुर्थ भाव (4th House) और उसका स्वामी

  चतुर्थ भाव (4th House) और उसका स्वामी चतुर्थ भाव माता, गृह-सुख, वाहन, संपत्ति, ज़मीन-जायदाद, मन की शांति, और मानसिक सुख-सुविधाओं को दर्शाता है। जिस ग्रह के पास चतुर्थ भाव का स्वामित्व होता है, उसे चतुर्थ भावेश कहा जाता है। कुंडली में यह ग्रह जिस भाव में स्थित होता है, वहाँ की स्थितियों और कारकों को चतुर्थ भाव की ऊर्जा प्रदान करता है। चतुर्थ भाव का स्वामी (4th Lord) जब विभिन्न भावों में जाता है, तो उस भाव के साथ-साथ चतुर्थ भाव के कारक तत्वों में भी परिवर्तन और प्रभाव देखने को मिलता है। साथ ही, अगर वह शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पाप ग्रहों से दृष्ट हो, तो उसका फल और भी परिवर्तित हो जाता है।

शनि का मीन राशि में गोचर - Saturn transit in Pisces sign results

  1. शनि और मीन राशि का परिचय शनि (Saturn) का मूलभूत स्वभाव वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म, अनुशासन, समय, संघर्ष और न्याय का कारक माना जाता है। शनि जहाँ भी गोचर करता है, वहाँ धैर्य, अनुशासन और परिश्रम की महत्ता बढ़ जाती है। शनि प्रायः धीरे-धीरे परिणाम देता है, लेकिन उसके फल स्थायी होते हैं—यह बात बृहत्पाराशर होरा शास्त्र एवं फलगुणदीपिका जैसे ग्रंथों में वर्णित है। मीन राशि (Pisces) का मूलभूत स्वभाव मीन राशि बृहस्पति (गुरु) की स्वामित्व वाली जलतत्त्व राशि है। मीन राशि से जुड़ी प्रमुख विशेषताएँ हैं—भावुकता, कल्पनाशीलता, दानशीलता, आध्यात्मिकता और संवेदनशीलता। इसकी प्रवृत्ति अंतर्मुखी (इंट्रोवर्ट) और रहस्यवादी भी हो सकती है। शनि का मीन राशि में गोचर जब शनि एक जलतत्त्व राशि में प्रवेश करता है, तो हमारे भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर विशेष प्रभाव डालता है। मीन राशि में गोचर के दौरान शनि का मुख्य उद्देश्य होता है—भावनाओं में अनुशासन लाना, आध्यात्मिकता को वास्तविक कर्म और ज़िम्मेदारियों से जोड़ना, और भ्रम या कल्पनालोक में जीने की बजाय यथार्थ को स्वीकार करना। 2. प्राचीन ग्रंथों ...

शनि की तृतीय दृष्टि (तीसरी दृष्टि) का प्रभाव प्रत्येक भाव में

  शनि की तृतीय दृष्टि (तीसरी दृष्टि) का प्रभाव प्रत्येक भाव में ज्योतिष में शनि (Saturn) को न्याय का देवता कहा जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल देता है। शनि की तीसरी दृष्टि (Third Aspect) उस स्थान को नियंत्रित करती है जिस पर यह पड़ती है। शनि की दृष्टि बाधा, देरी और अनुशासन लाने वाली होती है, लेकिन यदि शनि शुभ हो तो यह स्थिरता, धैर्य और सफलता भी देता है। शनि की दृष्टियों में विशेषता होती है कि यह तीसरी (3rd), सातवीं (7th) और दशम (10th) दृष्टि से प्रभावित करता है। यहाँ हम शनि की तीसरी दृष्टि का प्रत्येक भाव में प्रभाव देखेंगे।

केतु किस राशि में किस तरह का अलगाव देता है

 केतु और अलगाव के कारण   "केतु – एक रहस्यमयी छाया ग्रह। यह सोचता नहीं, बस करता है। और जब बात रिश्तों की आती है, तो केतु यह तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है कि आप किसी को कब और क्यों छोड़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि कौन-से कारण आपको किसी रिश्ते से अलग कर सकते हैं।"

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My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983