वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह का गोचर तक़रीबन 18 महीने की अवधि का होता है यानी एक राशि में डेढ़ साल. इसका राशि परिवर्तन ज्योतिष में बड़ी घटनाओ के रूप में देखा जाता है और लगभग हर राशि के जातक को इसके फल मिलते है. आइये जानते है विभिन्न भावों में राहु का गोचर का क्या फल मिलता है.
राहु देव शुभ परिणाम देंगे ये अशुभ ये तो राहु देव ही जाने लेकिन थोड़ा अंदाज़ा लगाया जा सकता है. सबसे पहले कुंडली में राहु की स्थिति देखनी चाहिए। अगर राहु शुभ अवस्था में है तो उसी भाव जिसमे गोचर करेगा उसमे शुभ फल देगा अशुभ होगा तो हर अच्छी जगह भी बुरे फल मिलेंगे लेकिन एक बात जरूर बता दूँ के राहु के उपाय करना सबसे आसान होता है और अच्छे फल लेना भी बस थोड़ी आदते सुधारनी चाहिए.
नोर्मल्ली राहु को वृषभ राशि में उच्च तथा वृश्चिक राशि में नीच माना जाता है। गोचर का राहु चंद्र से तृतीय, षष्टम, दशम और एकादश भाव में शुभ फल देता है। वहीं द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, अष्टम, नवम और द्वादश भाव में राहु सामान्यतः अच्छे फल प्रदान नहीं करता है। लेकिन इसकी कैलकुलेशन थोड़ी मुश्किल है, हम आपको आसान भाषा में समझाने की कोशिश करते है.
पहले भाव में राहु का गोचर:अगर राहु प्रथम भाव से गोचर करता है जो सूर्य का घर है इस वजह से मानहानि या मानसिक दुःख का सामना करना पड़ जाता है, शुभ अवस्था में सरकारी सम्मान मिलना पक्का है.
दूसरे भाव में राहु का गोचर: यहाँ राहु परिवार से दुरी करवा सकता है घर वालो से लड़ाई आदि, शुभ होने पर शादी या विदेश भेजेगा.
तृतीय भाव में राहु का गोचर: अच्छा माना जाता है, साहस अधिक, भाई बहनो से फायदा देगा, अशुभ होने पर घर में लड़ाई और घर की हालत खराब करेगा.
चतुर्थ भाव में राहु का गोचर: प्रॉपर्टी और माता के विषय में बुरे फल देगा, इस समय प्रॉपर्टी नहीं बनवानी चाहिए, शुभ होने पर धन अनेक रास्तों से आएगा.
पंचम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में गोचर का राहु आय और व्यवसाय में शुभ फल प्रदान करता है लेकिन प्रेम संबंधों, बच्चों और सट्टेबाजी आदि कार्यों के लिए अच्छा नहीं होता है।
षष्टम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर आर्थिक मामलों और सेहत के लिए अच्छा होता है। इस समय में व्यक्ति शत्रुओं पर हावी रहता है। वहीं नौकरी और व्यवसाय में लाभ की प्राप्ति होती है।
सप्तम भाव में राहु का गोचर: पैसा बहुत खराब कराएगा, बुरी आदतों का सामना करना पड़ सकता है, पार्टनरशिप में परेशानी देगा। केतु को अच्छा करने से शांति मिलती है.
अष्टम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर रहस्यमयी, मायावी, मनोविज्ञान और ज्योतिष विद्याओं से संंबंधित मामलों के लिए अच्छा रहता है। लेकिन वहीं शत्रु, कोर्ट-कचहरी और स्वास्थ्य से जुड़े मामलों के लिए अष्टम भाव में राहु का गोचर अच्छा नहीं माना जाता है। इस समय में अचानक कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है।
नवम भाव में राहु का गोचर: जब राहु नवम भाव से गोचर करता है तो यह विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा और आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ होता है लेकिन माता-पिता से जुड़े मामलों के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है।
दशम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर करियर, नौकरी और सामाजिक प्रतिष्ठा से संबंधित मामलों के लिए अच्छा होता है। हालांकि यहां स्थित राहु अनिद्रा और चिंता का कारण भी बनता है।
एकादश भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर शुभ फल प्रदान करता है। इस समय में धन वृद्धि, प्रतिष्ठा, नौकरी और मित्रों से लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होता है।
द्वादश भाव में राहु का गोचर: जब गोचर का राहु द्वादश भाव में स्थित होता है तो यह सामान्यतः अच्छे फल नहीं देता है। विदेश घुमा सकता है, खर्च ज्यादा होगा।
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