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सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

कुछ लोगो को इस बात की शिकायत रहती है के इन्हे अंदर से ताकत नहीं मिल रही. सब कुछ है लेकिन फिर भी जोश उमंग की कमी है जो तरक्की करने में परेशानी दे रही है. आज बात करते है वास्तु शास्त्र में इस समस्या को कैसे देखते है और क्या है इसका समाधान।

वास्तु अनुसार रंग चुने - use colors as per vastu norms

कुछ लोगों को वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगो का उपयोग करने की चाहत रहती है, आज आपको बताता हूँ किस दिशा में कौन सा रंग तत्व ज्ञान के अनुसार अच्छा रहता है.  वास्तु शास्त्र पांच तत्व पर आधारित विद्या है, हर तत्व का अपना एक रंग बताया गया है और तत्वों में भी कुछ तत्व एक दूसरे के पूरक है और कुछ एक दूसरे के नाशक। इन्ही तत्वों के रंगो की चीज़ों को हम इनसे जुड़ा मानते है जैसे पौधे हरे रंग के होते है इन्हे लकड़ी तत्व (वायु तत्व) लेते है. इसको हम थोड़ा जान लेते है  जल तत्व - जल तत्व को आकाश तत्व बढ़ाता है जबकि जल तत्व लकड़ी तत्व या वायु तत्व को बढ़ाता है, अग्नि तत्व इसे कमजोर करता है धरती तत्व इसे खत्म करता है. इसी तरह रंगो का चयन हम कर सकते है.  जल तत्व - रंग नीला, दिशा उत्तर यहाँ हम आकाश का रंग सफ़ेद भी उपयोग कर सकते है.  वायु - पूर्व दिशा, रंग हरा, यहाँ जल तत्व (नीला रंग) भी ले सकते है.  अग्नि - दिशा दक्षिण, लाल रंग यहाँ हरा रंग भी ले सकते है.  धरती - दिशा दक्षिण-पश्चिम, पीला रंग, क्रीम कलर, लाल रंग इसे बढ़ाता है लेकिन फिर भी लाल रंग इधर यूज़ नहीं करते, पीले रंग या हल्के पीले से ही बैलेंस करते है क्यूंकि

दक्षिण दिशा के टॉयलेट का प्रभाव - south toilet in vastu shastra

आज चर्चा करते है दक्षिण दिशा के टॉयलेट की, क्या असर मिलेगा घर में रहने वाले लोगों को यदि दक्षिण दिशा में toilet आ जाये तो आइये जानते है.  effects of toilet in south zone as per vastu shastra दक्षिण दिशा अग्नि से जुडी दिशा मानी जाती है, अग्नि का कार्य शारीरिक ऊर्जा, पोषण, मंगल कार्य, गर्भ, wealth, नाम आदि. उनमे से जिस zone में टॉयलेट आ जाये उससे सम्बन्धित परेशानी निश्चित ही आएगी.  dakshin disha me toilet - अब zone के हिसाब से बताता हूँ, दक्षिणपूर्व - ये कोण वेल्थ, नगद धन, से जुड़ा होता है इस कोण में टॉयलेट आने से कई बार अपने ही पैसे या प्रॉपर्टी से कोई फायदा नही होता. अभी recently एक वास्तु visit में मैंने देखा के कई सारी प्रॉपर्टी होने के बाद भी उन property से कोई फायदा नही हो रहा. साथ ही बिज़नस उधार में भी दिक्कत रहती है हालाँकि entrance  वास्तु के मुख्या और भल्लाट दोनों जोन में थी तो पैसे की आवक में कोई कमी नही है.  दक्षिणपूर्व-दक्षिण = ये कोण आपकी शारीरिक क्षमता, courage, साहस से जुड़ा होता है, इसमें टॉयलेट आने से व्यक्ति में साहस नही होता और आलस से भरा  रहता है. साथ ही ऐसा  देखा जाता

उत्तर दिशा के मुख्य द्वारों के प्रभाव - north main door effects vastu

आज चर्चा करते है उत्तर मुखी घरों में कौन से मुख्य द्वार कैसा फल देते है. वास्तु पुरुष मंडल के अनुसार उत्तर दिशा के कुल 8 तरह के द्वार बनते है आइये जानते है उनका क्या क्या प्रभाव होता है. north facing house entrances उत्तर दिशा compass से 315 डिग्री से शुरू होकर 45 degree तक मानी जाती है. इस 90 डिग्री के फर्क को 8 बराबर भागों में बाँट दे. (360 डिग्री का चक्र होता है. 315 - 360 = 45 + 45 = 90 ) इन आठ हिस्सों में main door होने का अलग अलग असर घर पर पड़ता है. क्या है ये असर आइये जानते है. (पोस्ट में दी हुई pic से इन देवताओं के नाम पढ़ सकते है.) रोग - इस कोण में मुख्य द्वार होने से व्यक्ति अनजाने शत्रुओं से परेशान रहते है, पूरा समय व् धन दुश्मनी में ही निकलता है नाग - धन का नुकसान होता है, साथ ही बुरे कर्म वाले लोग मिलते है. नज़र दोष ऐसे घरों में होता है. मुख्या - ये द्वार शुभ माना गया है , धन प्राप्ति होती रहती है. भल्लाट - जमीन - जायदाद बनती है, अत्यधिक धन कमाता है. सोम - कुबेर - कुछ हद तक ठीक ही होता है, चरित्र धार्मिक होता है. भुजग - ऐसे घर में मुखिया का या सभी लोगो का स्वभाव नकारात्मक य

अगर घर में रहती है बीमारी तो देखें ये वास्तु जोन - vastu zone for health

health is wealth, ये बात सबसे जरूरी होती है. यही कारण है के आज भी वैदिक शास्त्रों में सबसे  ज्यादा ध्यान हेल्थ पर ही दिया गया है. वास्तु शास्त्र में भी health के लिए जोन बताया गया है जहाँ पर immunity power सबसे ज्यादा होती है. आज चर्चा करते है vastu health zone की.  vastu tips for health and immunity in hindi  कोण के हिसाब से नार्थ-northeast यानि उत्तर-उत्तरपूर्व का जोन हेल्थ से संबंधित माना जाता है. immunity power इसी जोन से देखि जाती है. अगर घर में कोई न कोई सदस्य बीमार रहते है तो यही जोन खराब होने का अंदेशा रहता है.  इस जगह पर toilet या kitchen होना बहुत ज्यादा नुकसान देने वाला माना गया है. ऐसे घरों में बीमारी चलती रहती है.  इस जगह पर दवाई रखना बेहद फायदेमंद होता है. अगर आपके घर में कोई व्यत्कि बीमार रहता है तो north of northeast में medicine रखने से दवा का असर जल्दी होता है.  बीमार व्यक्ति को इस जगह सुलाने से जल्द राहत मिलती है. लेकिन वही एक energy zone होने के कारण इस जगह लगातार नहीं रहना चाहिए.  1 2 3

वास्तु अनुसार कहाँ होना चाहिए आपका टॉयलेट - WHICH DIRECTION FOR TOILET IN VASTU

toilet वास्तु शास्त्र  में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है अगर ये गलत स्थान पर  बना है तो ये उस zone के हिसाब से परेशानियां देता है. जैसे यदि दक्षिण-पश्चिम में जाए तो relations को खराब कर देता है. आज चर्चा करते है वास्तु शास्त्र में टॉयलेट किस दिशा में होना चाहिए.  toilet direction in vastu shastra in hindi  वास्तु शास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ "vishwakarma prakash"  में इसका उल्लेख मिलता है   है  " या नैऋत्य मध्य पुरीष त्याग मन्दरम् ", इसका मतलब है  हमारा toilet दक्षिण व् नैऋत्य कोण (south - southwest) में मध्य होना चाहिए. इसका कारण ये है के ये जोन जाने के लिए ही होता है (zone of expenditure and disposal). कुछ लोग इसे दक्षिण-पश्चिम भी बोलते है लेकिन इसे समझने की बात है ये हिस्सा दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशा के बीच का होता है. बिलकुल दक्षिण-पश्चिम में toilet नुकसान देता है.  इसके अलावा वास्तु शास्त्र में दो और दिशा negative zone मानी गयी है पश्चिम वायव्य (west-northwest) और पूर्व आग्नेय (east-northeast).  वायव्य कोण की पश्चिम दिशा चिंता की दिशा मानी जाती है, और आग्नेय कोण

ईशान में शौचालय देता है बहुत परेशानियां - north-east (ishan kon) toilet

vastu शास्त्र के अनुसार शौचालय बनाते समय ध्यान देना जरूरी है. शौचालय गलत होने से  आर्थिक दिक्कतें  होना, हर काम में रुकावट आना जैसी समस्याए आती है. आज बात करते है यदि आपके घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में टॉयलेट है तो क्या समस्याए आती है.  northeast toilet vastu  घर का नार्थ-ईस्ट कोना जिसे हम ईशान कोण कहते है वास्तु का सबसे महत्व पूर्ण कोण होता है. ये corner god से relate करता है. वास्तु जोन में इसे दिमाग से जुड़ा हुआ माना जाता है. clarity of mind ईशान कोण से देखी जाती है.  toilet in north-east Ishaan kon  ईशान में टॉयलेट होने से सबसे पहले वयक्ति की सोच प्रभावित होती है. ऐसा देखा जाता है के इस कोण में टॉयलेट होने से व्यक्ति अपने गलत फैसलों कारण डूबता चला जाता है.  effect of toilet in north-east  वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है के सकरात्मक ऊर्जा  ईशान कोण से ही निकलती है लेकिन यदि ये ही जगह defect आ जाये तो अन्य तत्व भी प्रभावित होंगे जिस कारण हर तरह की समस्याए इस टॉयलेट के कारण आती देखी गयी है. financial problems ऐसा घरों में देखी जाती है, दिमागी सुकून गायब रहता है.  अगर टॉयलेट उत्त

वास्तु अनुसार पड़ते समय किस तरह बैठे - vastu tips for sitting while studying

कई बार लोग पूछते है के पढ़ाई करते  वक़्त किस तरफ बैठे या किस तरह से बैठें। वास्तु शास्त्र का उपयोग  दैनिक जीवन की छोटी छोटी  बातों के बारे में भी किया जा सकता है. हम आपको  बताते है के किस तरफ बैठना चाहिए यदि आप concentration बनाना चाहते है.  vastu tip for how to sit while studying  पढ़ते समय आपकी sitting रूम के साउथ-वेस्ट की वेस्ट दीवार पर होनी चाहिए। इसे साउथवेस्ट - वेस्ट भी कहते है. आपका फेस ईस्ट या नार्थ की तरफ हो सकता है. इससे आपको अपनी study पर focus करने में ज्यादा परेशानी नही आएगी।  यदि आप इस तरफ नही बैठ पा रहे है तो कम से कम एक पैन स्टैंड इस corner में रख दीजिये।  तनाव का कारण हो सकता है वास्तु दोष - vastu tips for stress शिवलिंग घर में रखें जरा संभलकर - shivling at home precautions संतान और धन देती है वास्तु गाय - benefits of vastu cow करियर में नए अवसर प्राप्ति के लिए छोटा सा वास्तु उपाय - simple vastu tip for gaining new opportunities

तनाव का कारण हो सकता है वास्तु दोष - vastu tips for stress

डिप्रेशन होना एक आम बात है, लेकिन कई बार ये बहुत ज्यादा बढ़ जाता है यहाँ तक की लोग कुछ गलत काम भी कर बैठते है. depression का सीधा संबंध वास्तु से भी होता है. आइये आपको बताते है क्या होता है इसका कारण और क्यों है आजकल ये समस्या बहुत ज्यादा वैसे तो वास्तु के नियम हमेशा से चले आ रहे है तो ये depression या aggression अभी क्यों बढ़ गया है ये सवाल सबके दिमाग में हो सकता है. stress के   दो वास्तु कारण होते है vastu zone में खराबी या मॉडर्न equipment।  modern lifestyle & depression in  vastu  जो हम नए नए तरह के सामान (electronic) घर में लेकर आते है इनसे emf जो की सीधा असर दिमाग पर करती है,इसके अलावा भी बहुत जगह है जहा से emf निकलती है और सीधा दिमाग पर इफेक्ट डालती है और result दिमागी परेशानी.  ये मॉडर्न lifestyle 90 percent डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार है.   vastu direction for depression  अब वास्तु दिशा की बात करें तो नार्थ-ईस्ट यानि के ईशान कोण इससे संबंध रखता है इस कोण में टॉयलेट, सीढ़ियाँ या floor का ऊँचा होना या कटा होना दिमाग परेशानियों को जन्म देता है. इस कोने में लाल रंग या pink color भ

पार्किंग व् बेसमेंट बनाते समय रखे वास्तु के नियमों का ध्यान

आजकल भवन व् वय्वसायिक कॉम्पलेक्सों में बेसमेंट व् पार्किंग का निर्माण हो रहा है. इसका कारण जगह का आभाव है. लेकिन अगर बेसमेंट wrong direction में बन जाये तो काई नुकसान देती है और इसका उपाय भी आसान नही होता और पार्किंग यदि गलत है तो एक्सीडेंट्स व् गाड़ियों की टूट फुट चलती रहेगी। वास्तु शास्त्र में क्या है इन निर्माणों के लिए niyam आइये जानते है.  vastu tips for basement and parking  basement vastu  बेसमेंट के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व या उत्तर ही है उत्तर-पूर्व में भी बेसमेंट बनानी शुभ रहती है. लेकिन इसके अलावा कहीं भी बेसमेंट बनाना नुकसान देता है. नैऋत्य kon  में basement में बहुत बुरा प्रभाव देती है.  साथ ही basement पूर्व मुखी या उत्तर मुखी plot में ज्यादा शुभ रहती है जबकि दक्षिण व् पश्चिम मुखी प्लॉट्स में बेसमेंट नुकसान देती है.  parking vastu  पार्किंग के लिए  सबसे अच्छी जगह नार्थ-वेस्ट यानि के वायव्य कोण रहती है. साथ ही वाहन पार्क करने के समय vehicle का मुख उत्तर या पूर्व की तरफ करना अच्छा रहता है. क्यूंकि वाहन पर चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव जल्दी पड़ता है.  वास्तु शास्त्र में कौन से त

घर के मंदिर में देवी-देवताओं की कितनी मूर्तियां होनी चाहिए

अक्सर हम घर के मंदिर में बिना सोचे समझे देवी देवताओं की मूर्तियां इकट्ठी कर लेते है जो की एक गलत इफेक्ट देती है. शास्त्रों में घर के मंदिर में देवी-देवताओं की संख्या के बारे में वर्णन मिलता है.  आइये जानते है कुछ प्रमुख भगवानो की कितनी मूर्तियां मंदिर में होनी चाहिए। गणेशजी (Ganeshji) - घर में मंदिर की बात आते ही सबसे पहले मन में गणेशजी हो आते है. घर के मंदिर गणेश जी की 3 मुर्तिया होनी  अशुभ फल देती है. इसलिए इसमें एक गणेशजी बढ़ाये ये घटाए। इसके अलावा गणेशजो की पीठ भी घर के बाहर की और जानी चाहिए, अगर ऐसा नही हो सकता तो गणेश के पीछे वाली दीवार पर एक गणेशजी और लगा दे शिवलिंग  - shivling   - हालाँकि शिवलिंग को घर में स्थापित करने मना किया जाता है. लेकिन फिर भी यदि घर में शिवलिंग है तो एक ही होना चाहिए और वो भी अंगूठे के आकर का. एक से ज्यादा शिवलिंग अत्यधिक ऊर्जा देता है जो की एक नार्मल वयक्ति के लिए झेलना बहुत मुश्किल है. शिवलिंग  बारे में एक पोस्ट और भी लिखी हुई है  shivling at home precautions देवी जी - अक्सर लोग देवी पर हर महीने या लगातार जाते है और बहुत सारी  मूर्तियां व् फोटोज जोड़ लेत

वास्तु के अनुसार कैसी होनी चाहिए सीढ़ियाँ - stairs in vastu

वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों का बड़ा महत्व है. stairs को एक भारी निर्माण माना जाता है. सीढ़ियों को बनाते समय उसका भार व् संख्या ध्यान में रखना चाहिए। आइये जानते है कैसी, कितनी और कहाँ होनी चाहिए  घर की सीढ़ियाँ। और यदि सीढ़ियाँ गलत है तो उनका वास्तु उपाय  घर की stairs वास्तु शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. सीढ़िया हमारी प्रगति से सम्बन्ध रखती है. इसकी सही दिशा के बारे में भी लोग काई परेशान रहते है.  पहले बात करते है सीढ़ियों की सही दिशा क्या होनी चाहिए ? as per vastu और आजकल की निर्माण कला के अनुसार सीढ़ियाँ पश्चिम या दक्षिण में सबसे beneficial रहती है.  कुछ वास्तु विद दक्षिण-पश्चिम stairs को सही दिशा बताते है. लेकिन यदि practical life में हम देखे तो सबसे ज्यादा परेशान वही लोग है जिनकी stairs south-west में है. इसका एक बड़ा कारण ये है के यहाँ पर सीढ़ी होने से entrance भी इसी दिशा  से हो रही है जो एक बड़ा वास्तु दोष होता है. सीढ़ियाँ north-east में भी नही बनानी चाहिए इससे वहाँ पर blockage हो जाती है.  सीढ़ियों की संख्या - how many stairs is good  सीढ़ियों की संख्या हमेशा विषम ( 11,13.,15 ) अच

वास्तु शास्त्र में फव्वारे का महत्व

पृथ्वी के पांचों तत्वों में संतुलन बनाना जीवन के विकास के लिए आवश्यक रहता है। फव्वारा जल तत्व को बढ़ावा देता या संतुलित करता है। जल का सम्बन्ध हमारे दैनिंक कार्यों से होता है आइये जानते है फव्वारे का महत्व व् उपयोग इसके अलावा जल का सम्बन्ध कमाई के साथ देखा जाता है।व्यवसाय से धन प्राप्त होता है। विज्ञानं के हिसाब से एक फव्वारा सकारात्मक माहौल भी बनाता है. पानी धन का प्रतीक होता है। विज्ञानं के हिसाब से चलते हुए पानी का फव्वारा जिस स्थान में रखा होता है वहाँ पर नेगेटिव आयन (negative ions) बड़ा देता व् पॉजिटिव आयन (positive ions) कम कर देता है. नेगेटिव आयन हमारे शरीर के लिए अचे होते है व् हमारे शरीर में ऑक्सीजन व् इम्युनिटी (immunity) बढ़ता है. लेकिन फव्वारा हर जगह या हर दिशा में नही रखा जा सकता। इसको रखने के लिए किसी वास्तु विद सलाह अवश्य ले. फव्वारे को कैसे उपयोग मे लाये आइए जाने. व्यक्ति जब तनाव में घर लौटता है तो उसको फव्वारा देखकर सुकून मिलता है। खुशी मिलती है। अगर आपके पैसे का आवागमन रुक गया है तो भी आप इसे उपयोग मे ला सकते है. कार्यालय में टेबिल पर फब्वारा कार्य से होने वाले तनाव

T - point घर -क्या करे उपाय

T - पॉइंट या विधि शूल घर वास्तु शास्त्र में अच्छे नहीं माने जाते. एक सड़क जो सीधे किसी घर पर जा रही हो उससे t - पॉइंट कहते है वास्तु शास्त्र में इसे विधिशूला कहते है. विधि शब्द का मतलब रोड और शूल का मतलब तीर से है. वास्तु शास्त्र में ऐसे प्लाट को रहने के लिए अच्छा नही माना  जाता। जानते है क्या है प्रभाव और उपाय  T- पॉइंट प्लॉट को एक मुख्य वास्तु दोष माना जाता है और ऐसा देखा गया है के इसमें रहने वाले लोग तरक्की नहीं कर पाते या किसी गलत कामों में लग जाते है. रोड जो सीधे घर में तीर की तरह आ रही हो घर की खुशियो में बाधा उत्त्पन करती है. ऊपर आकृति में देख कर विधिशूल प्लाट के बारे पता चल सकता है के कैसे तीर की तरह रोड घर पर लग रही है. विधिशूला को किसी भी दृष्टि से स्का नही माना जाता लेकिन फिर भी किसी अन्य दिशा के मुकाबले उत्तर ईशान कोण व् पूर्व ईशान कोण में इसका प्रभाव कम रहता है. इसका कारण ये है के इन दिशा से घर में गेट होना अच्छा माना जाता है अन्य दिशाओं में ये बुरा ही रहेगा। अब यदि किसी वयक्ति के पास यही घर है और कोई रास्ता भी नही तो कुछ वास्तु उपाय बताये गए के जिनसे ये दोष कम हो जाये। घर

नार्थ-ईस्ट (ईशान कोण) का कटा होना व् उसके उपाय

नार्थ-ईस्ट कट  नार्थ-ईस्ट (ईशान कोण) ये घर का सबसे महत्वपूर्ण दिशा होती है. ये दिशा हमारी तरक्की व् आमदनी से सम्बन्ध रखती है. अगर घर के ईशान कोण में किसी भी तरह का दोष होता है उसका सीधा असर हमारी आमदनी व् हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा पर आता है.    कभी कभी घर लेते वक़्त वास्तु का ध्यान नहीं होता। अब यदि आपने कोई ऐसा घर ले लिया जिसका नार्थ-ईस्ट (ईशान कोण ) कटा हुआ है, ऐसा वास्तु दोष बहुत ज्यादा गलत प्रभाव देता है. जिस किसी भी व्यक्ति को वास्तु ज्ञान होता है या घर कोई वास्तु विद ऐसे घर को न लेने की ही सलाह देते हैं. लेकिन किसी दुर्भाग्यवश आपने कोई घर ऐसा ले लिया है या पहले से ही आपके पास है हम आपको कुछ बेहद प्रभावशाली उपाय बताते हैं  1.  यदि आपक नार्थ-ईस्ट खुला हुआ है मतलब वहां कोई दूसरी प्रॉपर्टी नहीं है       ईशान कोण में गेट या खिड़की का निर्माण करें  उत्तर या पूर्व की दीवार पर एक 12 * 24 का शीशा लगाये  इस कोने में नील या लाल रंग का प्रयोग न करें  खिड़की पर एक 30 mm क्रिस्टल बॉल को टांग दें  2. यदि आपके नार्थ-ईस्ट में किसी और की प्रॉपर्टी  है  उत्तर या पूर्व की दीवार पर 18 * 24 का शिशा  लगाये 

वास्तुशास्त्र में वायव्य दिशा - north-west in vastu shastra

वास्तुशास्त्र  में वायव्य दिशा  वायव्य दिशा उत्तर पश्चिम के मध्य को कहा जाता है.वायु देव इस दिशा के स्वामी हैं.ग्रहो में इस दिशा का प्रतिनिधित्व केतु गृह करता है. वास्तु शास्त्र में इस दिशा को वायु का इलाका माना  जाता है.  वायु दिशा होने के कारण इस कोने में सबसे काम  वास्तु नियम लागु होते है, आप इस दिशा में टॉयलेट, किचन, बैडरूम, बाथरूम का निर्माण करवा सकते है.  वायु तत्त्व ज्यादा होने के कारण इस दिशा जो भी आता है उसमे वायु तत्त्व बढ़  जाता है इसिलिए इस कोने में बड़ी उम्र के लोगो को सोने से मना किया जाता है.  इस कोने में जवान व शादी के लायक बच्चे सोय तो अच्छा रहेगा। वायु का   इलाका होने से यदि इस दिशा में दुकानदार अपना बिक्री वाला सामान रखता है तो बिक्री बढ़ती है.  वास्तु की दृष्टि से यह दिशा दोष मुक्त होने पर व्यक्ति के सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आती है.लोगों से सहयोग एवं प्रेम और आदर सम्मान प्राप्त होता है.इसके विपरीत वास्तु दोष होने पर मान सम्मान में कमी आती है.लोगो से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते और अदालती मामलों में भी उलझना पड़ता है. घर में ब्रह्मस्थान का महत्व  कैसे करें ईशानमुखी प्लाट पर न

घर के कौन से द्वार शुभ vastu for entrance gate

घर लेते वक़्त सभी के मन में ये बात रहती है की इसका मुख्य द्वार कैसा है. वास्तु में मेन गेट को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है. जानते है घर का में गेट किस दिशा अच्छा  होता है घर के कौन  से द्वार शुभ और कोण से अशुभ  पूर्व दिशा -     उत्तर-पूर्व  (+),    पूर्व मध्य  (+),     पूर्व-दक्षिण (-) उत्तर दिशा -   उत्तर-पूर्व  (+),   उत्तर मध्य (+),    उत्तर-पश्चिम (-) पश्चिम दिशा - उत्तर-पश्चिम (+), पश्चिम-मध्य (+),  पश्चिम-दक्षिण (-) दक्षिण दिशा -  पश्चिम-दक्षिण (-), दक्षिण मध्य (+), दक्षिण-पूर्व (+) किसी भी दिशा के मध्य में मेन  गेट ठीक रहता है. सभी दिशाओं में सबसे ज्यादा अशुभ फल नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम दोनों तरफ) देता है. दरवाजा बनाने की यही विधि घर के अन्य कमरे बनाने में प्रयोग होती है अर्थात यदि किसी कमरे का गेट दक्षिण पश्चिम में होगा तो उसमे रहने वाला इंसान सबसे ज्यादा परेशान रहेगा। अब यदि आपका में गेट गलत दिशा में है तो उसके उपाय जान लीजिये १. आप गलत मैन गेट के ऊपर बगुआ मिरर (convex mirror) लगा सकते है. जबकि अगर आपकी एंट्रेंस सही दिशा में है तो कॉनकेव (concave mirror ) लगाना चाहिए  २   दक्षिण

वास्तु शास्त्र में फव्वारे का महत्व - significance of fountain in vastu shastra

पृथ्वी के पांचों तत्वों में संतुलन बनाना जीवन के विकास के लिए आवश्यक रहता है। फव्वारा जल तत्व को बढ़ावा देता या संतुलित करता है। जल का सम्बन्ध हमारे दैनिंक कार्यों से होता है इसके अलावा जल का सम्बन्ध कमाई के साथ देखा जाता है।व्यवसाय से धन प्राप्त होता है। विज्ञानं के हिसाब से एक फव्वारा सकारात्मक माहौल भी बनाता है. पानी धन का प्रतीक होता है।  विज्ञानं के हिसाब से चलते हुए पानी का फव्वारा जिस स्थान में रखा होता है वहाँ पर नेगेटिव आयन (negative ions) बड़ा देता व् पॉजिटिव आयन (positive ions) कम कर देता है. नेगेटिव आयन हमारे शरीर के लिए अचे होते है व् हमारे शरीर में ऑक्सीजन व् इम्युनिटी ( immunity) बढ़ता है. लेकिन फव्वारा हर जगह या हर दिशा में नही रखा जा सकता। इसको रखने के लिए किसी वास्तु विद सलाह अवश्य ले. फव्वारे को कैसे उपयोग मे लाये आइए जाने.  व्यक्ति जब तनाव में घर लौटता है तो उसको फव्वारा देखकर सुकून मिलता है। खुशी मिलती है।    अगर आपके पैसे का आवागमन रुक गया है तो भी आप इसे उपयोग मे ला सकते है. कार्यालय में टेबिल पर फब्वारा कार्य से होने वाले तनाव को कम करता है, और इसके लिए शक्ति क

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