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Showing posts from September, 2016

वास्तु शास्त्र के अनुसार क्यों जरूरी होता है हवन कराना

यज्ञ करना, हवन करना भारतीय परम्परा का हिस्सा रहा है. वास्तु शास्त्र में भी यज्ञ को बहुत महत्व दिया गया है. इसके कई पहलू सामने आते है आइये जानते है हवन करने का वास्तु पक्ष  benefit of hawan - yagya  in vastu  हर धर्म में घर को शुद्ध करने का कोई न कोई तरीका बताया ही गया है. वास्तु शास्त्र में भी हवन व् यज्ञ को बहुत जरूरी बताया गया है.  जब हम कोई घर बनाते है तो उसमे विभिन्न तरह की energies वर्क करती है. ये उर्जायें circulate होती रहती है, एक दूसरे में परिवर्तित होती है. जैसे जल से लकड़ी बनती है लकड़ी  से आग, अग्नि  लकड़ी की राख बना देती है जिससे पृथ्वी तत्व बनता है इसी तरह cycle चलती  रहती है.  कई बार घर में कुछ ऐसे कार्य होते  जिनसे ये circulation बिगड़ जाता है. ये काम कई बार खुद किये होते है या कई बार natural हो जाते है.  for example, यदि घर में कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार है तो उसकी बीमारी की tension सबको हो सकती है जिससे घर में  negativity बढ़ जाएगी अब यदि वह व्यक्ति ठीक भी हो जाये तो भी जो negativity थी वो पूरी तरह से नहीं जाती, यदि हम कही से घूम कर आये हैं महीने - 2 महीने बाद,,,, तो भी

लगातार तरक्की के लिए वास्तु का पृथ्वी तत्व - earth element importance in vastu shastra

आज चर्चा करते है पृथ्वी तत्व की, ये तत्व वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण तत्व होता है. इसका सीधा सम्बन्ध स्थायित्व से होता है चाहे वो करियर हो या रिलेशनशिप। आपकी बातों में कितना वजन है कितना लोग सुनते है ये सब भी पृथ्वी तत्व से देखा जाता है. आइये जानते है और क्या क्या देखा जाता है पृथ्वी तत्व से earth element in vastu shastra अगर ध्यान से समझे तो पृथ्वी का काम क्या है - " हमें टिकाये रखना" पृथ्वी पर खड़े होकर ही हम आकाश की तरफ देखते है इससे आप समझ सकते है के यदि आपको तरक्की भी करनी है तो एक base तो चाहिए जो की पृथ्वी तत्व देता है. पहले इस तत्व के तथ्य बता देता हूँ , पृथ्वी तत्व दक्षिण-पश्चिम दिशा को represent करता है, इसका रंग पीला या ब्राउन माना जाता है. कुछ जगह इसे मेहरून भी लिया जाता है. square shape की चीज़े इसके कारक माने जाते है. किसी भी तरह की चीज़े जिनमे अच्छा खासा weight हो earth element से related होती है. दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य) का सम्बन्ध ख़र्चो से (southwest-south), stability से (southwest) और हमारे skill से होता है. इसके अलावा रिलेशन भी नैऋत्य कोण से देखे ज

उत्तर-पश्चिम वास्तु दिशा क्यों जरूरी है

आज चर्चा करते है उत्तर-पश्चिम कोण की, वायु तत्व का ये कोण महत्वपूर्ण होता है. इसका सीधा सम्बन्ध बाहरी दुनिया से मिलने वाले support से है. आइये जानते है और किस किस से जुड़ा हुआ है ये कोण  northwest vastu direction  नार्थवेस्ट कोण को वायव्य कोण भी कहा जाता है. वास्तु शास्त्र में इस कोण को outer world के support system से देखा जाता है. जैसे हमारे नौकर, staff, banks, clients आदि. इसमे दोस्त और रिश्तेदारों से मिलने वाला support भी शामिल है.  इस दिशा में vastu dosh होने पर किसी का सपोर्ट नहीं मिलता। इस दिशा में bedroom होने पर लोग आपकी help कर देते है. हालाँकि फिर भी ये बैडरूम ज्यादा अच्छा नही है मेरी नज़र में. इसका कारण ये है के northwest- west का area depression देता है. और साथ ही वायु तत्व ज्यादा होने के कारण mind relax नही रहता। हां अगर घूमने फिरने में मज़ा आता है या marketing जैसा काम है तो ये रूम लिया जा सकता है.  God related to northwest  वास्तु शास्त्र में इस zone को कुलदेवी - कुलदेवता के लिए बताया गया है. जिनसे हमे support मिलता रहता है. अगर कुलदेवी की pic इस zone में लगाई जाये तो फायद

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