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भृश वास्तु देवता - bhrish vastu devta vastu

भृश वास्तु जोन - (112.50-123.75)  दक्षिण-पूर्व (southeast) के पूर्व की तरफ भृश वास्तु जोन बड़ा महत्वपूर्ण कोण माना जाता है. इस vastu zone से हमें दो वस्तुओं से मिलकर या आपस में घर्षण से एक वस्तु प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है. 

वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष की कथा - vastu purush

   वास्तु शास्त्र के दूसरे लेक्चर में बात करते है वास्तु पुरुष की जिसके बिना वास्तु शास्त्र की शुरुआत भी नही की जा सकती, प्राचीन काल में अंधकासुर नाम का राक्षस हुआ जिससे युद्ध करते समय भगवान शिव को पसीना आ गया, पसीने की बूँद जब पृथ्वी पर गिरी तो भयानक सा प्राणी उतपन्न होने लगा. देवताओं ने मिलकर उसे जमीन पर टिक दिया औंधे मुह और उस पर निवास किया।

रोग-बीमारी से बचने के लिए आप वास्तु जोन - aap devta vastu shastra

  आज चर्चा करते है वैदिक वास्तु के कुछ नियमो पर, हम सभी को जीने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत पड़ती है. वैदिक वास्तु शास्त्र में इसे विकसित करने के लिए और मजबूत करने के लिए भी बताया गया है. आइये  जानते है। 

मनचाहा रिश्ता देते है सूर्य देव - sun in vastu shastra

  आज चर्चा करते है वास्तु शास्त्र के अनुसार सूर्य देव की, किस दिशा के स्वामी होते है और क्या लाभ है सूर्य देव को वास्तु अनुसार घर में स्थापित कर के.. आइये जानते है.  वास्तु शास्त्र अपने आप में एक बहुत गहरा ज्ञान है ये जिंदगी के प्रत्येक पहलु पर असर डालता है, आज हम बात करते है सूर्य देव की, अथर्ववेद में कई जगह इन्हे अर्यमा नाम से भी पुकारा जाता है. वास्तु शास्त्र में भी अर्यमा और सूर्य देव दोनों का जिक्र है जो की पहले अर्यमा देव आते है और बाद में सूर्य में बदल जाते है.  सूर्य देव पूर्व दिशा में आते है जो की वायु की दिशा है और वनस्पति की जिससे ऑक्सीजन बनती है और हमे प्राण ऊर्जा मिलती है, पूर्व दिशा स्पर्श इंद्री से भी जुडी है. पूर्व दिशा खराब होने पर स्किन issues आते है.  वास्तु शास्त्र के 16 मुख्य कक्षों के अनुसार पूर्व दिशा जहाँ सूर्य देव विराजमान है वो दिशा सामाजिक जुड़ाव के लिए मानी गई है, हमारा समाज के status कैसा है कैसे लोग हमसे जुड़े है  पूर्व दिशा से देखा जाता है. अथर्ववेद में सूर्य देव को स्त्री को  मनचाहा वर और पुरुष को मनचाही स्त्री प्रदान करने वाला बताया गया है.  राजनीती से जु

समझने की क्षमता बढ़ाता है सुग्रीव वास्तु जोन

  वास्तु शास्त्र के नियम life के हर पहलु पर असर डालते है. आज बात करते है "ग्रहण" के बारे में. कुछ बच्चे कितना भी पढ़ले लेकिन उन्हें कुछ भी समझ नही आता. आइये जानते है कौन सा वास्तु इसे दर्शाता है.  vastu rules for concentration and Grasping power  वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष मंडल के अनुसार दक्षिण-पश्चिम  से पश्चिम की और "सुग्रीव" का zone बताया गया है. ये zone या शक्ति किसी भी विषय को सुंदरता के साथ ग्रहण करने या समझने की शक्ति प्रदान करता है.  हम किसी चीज़ को देखकर क्या सीखते है, grasping power कैसी है ये इसी sugreev vastu zone से पता चलती है. जब बच्चे study करते है तो यही  शक्ति उन्हें subject को  समझने में help देती है.  यदि ये zone balanced नहीं है तो कितनी भी कोशिश कर लो बच्चे पढ़ाई में थोड़े पिछड़े हुए रहते है उन्हें बार बार पड़ने पर भी याद नही होता. या exam टाइम में भूला हुआ महसूस करते है. 

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