अनाहत चक्र के बिलकुल नीचे एक छोटा सा चक्र होता है जिसे सूर्य चक्र कहते है, इसे हृत चक्र भी कहते हैं, इसमें आठ पंखुडिया होती है और उसके अंदर कल्पवृक्ष पेड़ की कल्पना की गई है, इसे ही अष्टदल कमल कहा जाता है. normally ये चक्र सूक्ष्म होता है ऐसे अन्य चक्र भी है लेकिन मुख्य 7 चक्रों का ही उल्लेख मिलता है. हृत चक्र का ज्यादा उल्लेख तंत्र शास्त्र में ही मिलता है. इसके रंग सफ़ेद, गोल्डन और लाल और आठ पंखुडिया मानी गई है. इस चक्र के बैलेंस होने पर कल्पना शक्ति और उसको प्राप्त करने की क्षमता का विकास होता है. ऐसा माना जाता है इसके विकसित होने पर कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है. अष्टदल लक्ष्मी की कल्पना भी इसी से जुडी होती है. जब हम अपनी दृश्य इंद्री के द्वारा अष्टदल को देखते है तो सीधा वही चक्र क्रिया करता है और सही दृश्य इंद्री का उपयोग दक्षिणपूर्व (आकाश देव) के द्वारा संभव है. इसका एक कारण ये भी है के आकाश देव अनाहत चक्र से जुड़े है.
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