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Showing posts from August, 2023

शनि राहु युति का ज्योतिष में महत्व - Saturn Rahu conjunction in Astrology

  नमस्कार दोस्तों ज्योतिष सूत्र में आज चलते है एक ऐसी युति की ओर जो लगभग हर परेशान घर में होती है. आज बात करते है शनि राहु की युति। एक तरह से समझिये जूते में लगी गंदगी. क्यूंकी शनि जूता और गंदगी राहु। अगर आप अपने अंदर कल्पना शक्ति कजाते है तो ज्योतिष के सूत्र आसानी से समझ आने लगते है. तो आज इसी युति पर हम लोग चर्चा करते है. 

मंगल के तत्व से जाने इंसान की छिपी ताकत - mars element power in astrology

राम राम दोस्तों  आज बात करते है एक छोटे से विषय की के मंगल आपकी कुंडली में किस तत्व में है.  मंगल ही क्यों ? जब आपके सामने कोई मुसीबत आती है या कोई काम आपके पास आता है तो आप उसे कैसे हैंडल करते है वो आपकी कुंडली मंगल की प्रकृति पर निर्भर करता है. लेकिन यंहा प्रकृति का मतलब मंगल के तत्व से है. जन्म पत्रिका में हर राशि के तत्व होते है मूल रूप से 4 तत्व जन्म कुंडली में देखे जाते है.  मंगल मूल कुंडली में शुरुआत यानी पहला भाव और अंत यानी के आंठवे भाव का स्वामी है. हम कैसे किसी कार्य की शुरआत करते है कैसे रियेक्ट करते है ये मगल के तत्व से पता चलता है और यदि इस प्रकृति को समझ लिया जाए तो व्यक्ति अपनी कार्य करने के तरीके को जानकार उसमे सुधार कर सकता है जिससे सफलता उसे बहुत जल्दी मिल सकती है. यंहा प्रश्न आता है के मंगल के भाव को भी देखा जाना चाहिए देखिये मंगल जिस भाव में बैठा है उस भाव में हम अपनी ऊर्जा निकालते है वंहा अपना उत्साह व्यक्त करते है. लेकिन प्रेरणा मंगल अपने तत्व अनुसार लेगा और राशि अनुसार मंगल की प्रकृति बनेगी.  सबसे पहले बात करते है अग्नि तत्व की, जब मंगल मेष - सिंह - धनु राशि में

जन्म कुंडली में बारहवे भाव के स्वामी का हर भाव में क्या फल होता है - twelfth house lord in different houses

   नमस्कार आज बात करते है कुंडली के बारहवें भाव का स्वामी अलग अलग भावो में बैठकर कैसे फल देता है. बारहवें भाव को व्यय का स्वामी माना जाता है यानी खर्चे का. अब ये खर्च बड़ी अजीब चीज़ है क्यूंकि खर्च का नाम सुनकर पैसे का खर्च समझ आता है लेकिन खर्च हर समय हमारी ऊर्जा हो रही है हमारा समय हो रहा है और यदि हमारी ऊर्जा सही जगह खर्च हो रही है तो बदले में जो मिलेगा वो बहुत बड़ा होगा.  जैसे यदि कोई जीम में ऊर्जा लगा रहा है या योग में ऊर्जा लगा रहा है तो बदले में शारीरिक लाभ होगा और यदि सिर्फ सोचने में समय लगा रहा है तो शरीर को कोई लाभ नहीं होगा लेकिन दोनों अवस्थाओं में 12 भाव एक्टिव है ऊर्जा लग रही है . ऊर्जा तो खर्च हर अवस्था में होती है और ये जिम्मा बारहवे भाव का है के किधर खर्च हो.  ऐसे ही पैसा खर्च होता है हो सकता है कोई पार्टी कर ले और दूसरा व्यक्ति सोना खरीद ले दोनों अवस्थाओं में पैसा तो खर्च हो गया लेकिन जो सोना खरीद रहा है वो इन्वेस्टमेंट हो गयी जिसका लाभ कुछ दिन बाद मिल सकता है, बारहवा भाव अगर अच्छा है तो हमारा खर्च किया गया समय या पैसा या मेहनत सही समय आने पर वापस लाभ के रूप में मिलती है

आज हम बात करते है शनि देव की - saturn in astrology

   तो आज हम बात करते है शनि देव की, देखिये शनि समझना है तो इसके बारे में नेचुरल तरीके से समझिये  शुभ शनि कामभाव पर काबू कर लेगा लेकिन अशुभ हुआ तो कामभाव ही मारेगा  शुक्र गाय है तो शनि भैंस - गाय के बछड़े जब बड़े होते है सबसे पहले माँ को भूलते है लेकिन भैंस का बच्चा अपनी माँ को नहीं भूलता यानी कामदेव उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। इसका एक मतलब तो एक यह है के केतु शुक्र का दोस्त है लेकिन शनि का पूरी तरह कण्ट्रोल होता है.  मैरिड लाइफ  सूर्य एक तरह से गर्मी का कारक बनता है, जब कपल में आपस में गर्म स्वभाव आ जाए तब सूर्य का हाथ होता है. लेकिन शनि बली होने पर सूर्य तीव्र गर्मी नहीं दे पाता। ऐसे में स्त्री ग्रह अच्छा फल देते है.  ऐसे ही शुक्र शनि को देखे तो खराब फल और शनि शुक्र को देखे तो शुभ फल देखते है.  शनि  देव का नाम आते ही बुरे बुरे ख्याल मन में आते है कई पुराणों में शनि देव को बैलेंस बनाने वाला ग्रह माना गया है. पद्म पुराण में राजा दशरथ और शनि देव के युद्ध के बारे में उल्ल्ख मिलता है जिसमे दशरथ के साथ उनका युद्ध जो हुआ उसमे दशरथ जीते, दशरथ जो दसों इन्द्रियों को जीत चुका हो या ज्योतिष की भाषा म

कुंडली में मंगल ग्रह - mars in astrology

   आज बात करते है कुंडली में मंगल ग्रह की, ये होता क्या है आज हम समझते है.   मंगल, युद्ध के देवता, मेष राशि ोे वृश्चिक के शासक हैं। ज्योतिष में, मंगल ऊर्जा, क्रिया और इच्छा का ग्रह है। यह जीवित रहने की वृत्ति है और इसे मनुष्य के "बचे हुए" पशु स्वभाव के रूप में माना जा सकता है जब इंसान सिर्फ जीवित रहने की इच्छा रखता है तब उसका दिमाग सिर्फ भोजन तक सीमित होता है जिसे अन्नमय कोष भी कह सकते है. और उस समय इंसान और जानवर में कोई फर्क नहीं होता क्यूंकि परम उद्देश्य भोजन ही होता है.  मंगल हमारे गुस्से, आक्रमण और जीवित रहने के लिए लड़ाई करने पर ज्यादा ध्यान देता है. खाने और जिन्दा रहने के बाद जानवर की दूसरी इच्छा सेक्स से संबंधित होती है जिसे वासना भी कह सकते है ध्यान रखिये शुक्र ग्रह प्यार का है रोमांस का है लेकिन वासना मंगल से आती है. 

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