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अष्टलक्ष्मी योग - ashta laxmi yoga in astrology in hindi

वैदिक jyotish में राहु ग्रह की कोई भी भी राशि नहीं बताई गयी है, राहु जिस राशि में बैठे उसके अनुसार ही फल देता है.  vedic jyotish के हिसाब से जब राहु छठे भाव में हो और साथ ही kendra  में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग नामक शुभ योग का निर्माण करता है. इस चित्र की सहायता से आप जान सकते है अष्टलष्मी योग कैसे बन रहा है.  इस योग में राहु बुरा प्रभाव नहीं देता। ऐसा व्यक्ति भगवान में विश्वास रखता है. मान सम्मान इन्हे मिलता है. इसमें गुरु की राशि भी देखी जाती है.  क्या होता है जन्म कुंडली में दूसरे भाव - what is second house in kundli परिभाषा योग - paribhasha yoga in kundali कपट योग - kapat yoga in astrology गुरु -चांडाल योग - what is guru chandal yoga

परिभाषा योग - paribhasha yoga in kundali

vedic jyotish  जिस व्यक्ति की कुण्डली में राहु परिभाषा योग (paribhasha yoga) होता  है उस वयक्ति को राहु के बुरे प्रभाव नही मिलते . how paribhasha yog form  कुंडली में  जब राहु लग्न में स्थित हो या तीसरे , छठे या ग्यारह  भाव में उपस्थित हो और साथ ही  शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो राहु अपना बुरा प्रभाव छोड़ देता है .राहु का परिभाषा योग व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य व् लाभ प्रदान करता है. जातक को ज्यादा मेहनत  नही करनी पड़ती।  कपट योग - kapat yoga in astrology गुरु -चांडाल योग - what is guru chandal yoga क्या करना चाहिए यदि शनि दसवें भाव में हो

कपट योग - kapat yoga in astrology

example of kapat yoga दो पापी ग्रह राहु और शनि जब जन्मपत्री में एक दूसरे से ग्यारहवें और छठे  में  होते हैं तो कपट योग बनता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में योग होता है वो जातक अत्यंत नीच होता है अपने हित  के लिए किसी भी हद तक धोखा दे सकता है. इन पर विश्वास नही करना चाहिए। kapat yoga is form when saturn and rahu placed 6th and 11th from each other. these natives are very selfish and fraudy. गुरु -चांडाल योग - what is guru chandal yoga क्या करना चाहिए यदि शनि दसवें भाव में हो

गुरु -चांडाल योग - what is guru chandal yoga

गुरु-राहु युति ( jupiter - rahu conjunction in astrology )  कुंडली में एक भयंकर योग माना जाता है गुरु चांडाल। ये योग गुरू और राहु की युति (jupiter +rahu)  से बनता  है. जन्म कुंडली में चांडाल योग अशुभ योग  के रूप में माना जाता है.  effects of chandal yoga   ऐसा माना जाता है चांडाल योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में निर्मित होता है उसे नीच कार्यों में ज्यादा रूचि होती है, आर्थिक तंगी रहती है. हालाँकि कई ये योग अच्छा फल भी देता देखा गया है. chandal yoga positive sides -   अगर बृहस्पति की स्थिति राहु से मजबूत है तो राहु अपना बुरा प्रभाव छोड़ देता है. ऐसे लोग ज्योतिष के अच्छे जानकार देखे गए है, पॉलिटिक्स में इन्हे success जरूर मिलती है.  राहु भी करवाता है प्रेम विवाह - Yogas of Rahu for love marriage जानें जन्म कुंडली में प्रेम विवाह के योग ( astrological yogas for love marriage) केमद्रुम योग कैसे बनता है (How is Kemadruma Yoga formed?) कालसर्प योग को दूर करने के लिए कुछ उपाय

राहु भी करवाता है प्रेम विवाह - Yogas of Rahu for love marriage

वैसे तो कुंडली में भावों और उनके स्वामियों से लव मैरिज के बारे में देखा जाता है लेकिन कभी कभी राहु भी प्रेम विवाह करवाता है.आइये जानते है राहु से बनने वाला प्रेम विवाह योग   राहु योग से प्रेम विवाह  (Yogas of Rahu for love marriage)  राहु का संबन्ध जब भी विवाह भाव यानि के 7वें भाव  से होने पर व्यक्ति लीक या परम्परा से हटकर शादी करने की  सोचता है.  यदि   पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है. जैसे यदि पांचवे भाव का स्वामी शुक्र है और यदि शुक्र की उच्च राशि यानि किए मीन में राहु हो तो प्रेम विवाह हो सकता है.   जब janm kundli  में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है. तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है. यदि जन्म कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं बनती है. 

जानें जन्म कुंडली में प्रेम विवाह के योग ( astrological yogas for love marriage)

 आज की वक़्त में युवाओं का किसी ज्योतिषी से सबसे पहला सवाल जो होता है वो होता है love marriage.और लव मैरिज उनकी प्राथमिकता होती है.इस बारे में वैदिक ज्योतिष में भी कुछ योग बताये गए है. आईये जानते है  के किसी  कुण्डली के कौन से योग प्रेम विवाह की संभावनाएं बनाते है. जन्म कुंडली में प्रेम विवाह के योग ( astrological yogas for love marriage)  जब किसी व्यक्ति कि kundli  में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.  जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द लग्न से पंचम भाव में स्थित होंने पर प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है. (Venus in fifth or ninth house from ascendant or fifth house from Moon than there is chances of  love marriage)  जब पंचम भाव में मंगल हों तथा पंचमेश व एकादशेश का राशि परिवतन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में love marriage या affair marriage  होने के योग बनते है.   अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के

केमद्रुम योग कैसे बनता है (How is Kemadruma Yoga formed?)

jyotish shastra के अनुसार अगर जन्मकुंडली में  चंद्रमा ग्रह से दूसरे  और बारहवें  दोनों भावों  में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम  योग (Kemadruma Yoga)  बनता है. केमद्रुम योग के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है. इसका मतलब यदि चन्द्रमा के आगे या पीछे राहु या केतु में से कोई ग्रह हो तो भी उसकी गणना नही होगी.  if there is no planet in 1st and 12th house from  moon than kemadruma yoga performed -  किसी वयक्ति की जन्म कुंडली  में ऐसा योग होने पर ऐसा देखा जाता है के व्यक्ति जीवन में कभी न कभी गरीबी  एवं संघर्ष से ग्रस्त होता है.  इसके साथ ही साथ व्यक्ति uneducated  या कम पढा लिखा, निर्धन एवं बेवकूफ भी हो सकता है. यह भी कहा जाता है कि केमद्रुम योग वाला व्यक्ति married life और संतान पक्ष का उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है. हालाँकि ये योग भंग हो जाता है यदि लगन से केंद्र में चन्द्रमा या कोई अन्य ग्रह हो. 

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