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Showing posts from November, 2015

वास्तु के अनुसार कैसी होनी चाहिए सीढ़ियाँ - stairs in vastu

वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों का बड़ा महत्व है. stairs को एक भारी निर्माण माना जाता है. सीढ़ियों को बनाते समय उसका भार व् संख्या ध्यान में रखना चाहिए। आइये जानते है कैसी, कितनी और कहाँ होनी चाहिए  घर की सीढ़ियाँ। और यदि सीढ़ियाँ गलत है तो उनका वास्तु उपाय  घर की stairs वास्तु शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. सीढ़िया हमारी प्रगति से सम्बन्ध रखती है. इसकी सही दिशा के बारे में भी लोग काई परेशान रहते है.  पहले बात करते है सीढ़ियों की सही दिशा क्या होनी चाहिए ? as per vastu और आजकल की निर्माण कला के अनुसार सीढ़ियाँ पश्चिम या दक्षिण में सबसे beneficial रहती है.  कुछ वास्तु विद दक्षिण-पश्चिम stairs को सही दिशा बताते है. लेकिन यदि practical life में हम देखे तो सबसे ज्यादा परेशान वही लोग है जिनकी stairs south-west में है. इसका एक बड़ा कारण ये है के यहाँ पर सीढ़ी होने से entrance भी इसी दिशा  से हो रही है जो एक बड़ा वास्तु दोष होता है. सीढ़ियाँ north-east में भी नही बनानी चाहिए इससे वहाँ पर blockage हो जाती है.  सीढ़ियों की संख्या - how many stairs is good  सीढ़ियों की संख्या हमेशा विषम ( 11,13.,15 ) अच

अंक शास्त्र में 11 नंबर क्यों होता है अलग - Importance of number 11 in numerology

आज बात करते है 11 नंबर की. अंक शास्त्र में 11 अंक को विशेष अंक माना जाता है. यदि  आपके नाम की स्पेलिंग कि हिज्जो का जोड़ यदि 11 आए या आपकी जन्म दिन 11 को पड़े. तब आप इस अंक को ऎसे ही कैलकुलेट करे . इसे 1+1 = 2 नहीं करेगें. यह बहुत ही शुभ अंक माना जाता है. अंक 11, २२, 33 को कार्मिक अंक माना जाता है. जानते है 11 नंबर के गुण और अवगुण अंक 11 के सकारात्मक गुण  | Positive points  of Number 11  इस अंक के प्रभाव से आप के अंदर मानवता का गुण विद्यमान होगा इसलिए आप सदा दूसरो के भलाई के बारे में चिन्तन करते रहेगें. दो बार 1 अंक आने के कारण इनमे ऊर्जा बहुत ज्यादा होगी.  सूर्य के प्रभाव के कारण ऐसे लोगो में  intuition पावर काफी ज्यादा हो सकती है. कभी कभी ऐसे लोग आने वाले समय के बारे बता देते है. ये लोग जहाँ भी बैठे हो आकर्षण का केंद्र बने रहते है. ऐसे लोगो नंबर एक की दृढ़ इच्छाशक्ति की quality होती है. आपके भीतर अंक 2 के प्रभाव से आध्यात्मिकता भी मौजूद होती हैं. अंक 11 के नकारात्मक पॉइंट्स  | Negative points  of Number 11 ये लोग अत्यधिक भावुक व्यक्ति होते हैं और इस कारण अति शीघ्र टेंशन में आ जाते है

लाल किताब में मंगल ग्रह का महत्व - lal kitab me mangal grah ka mahtav

ज्योतिष शास्त्र में मंगल को सेनापति माना गया है. साहस, जोश, ऊर्जा,  चोरी, मंगल कार्य, धोखा, भाई, आदि बातें मंगल की जन्म कुंडली में स्थिति देख कर ही मालूम होती है. आइये जानते मंगल ग्रह के सम्बन्ध में और भी बाते  lal kitab ka mangal  lal kitab me mangal शुभ स्थिति में सेनापति बनता है और अशुभ स्थिति में आने पर बदमाश व् लूटेरा बना देता है.  किसी वयक्ति का अंदर और बाहर से एक जैसा दिखना मंगल अच्छे की निशानी है. मंगल मेष, वृश्चिक, सिंह, धनु राशि अच्छा माना जाता है. मकर राशि में मंगल उच्च होता है. मिथुन व् कन्या राशि में मंगल अशुभ होता है.   lal kitab me neech mangal - मंगल के नीच अवस्था में आने की कुछ निशानियाँ लाल किताब में बताई गयी है. जैसे बच्चे पैदा होकर मर जाना, आँख कानी हो जाए, शक्ति के बावज़ूद संतान न होना आदि. 

वास्तु शास्त्र का मूल सिद्धांत (tenet) क्या है ?

प्रश्न   - वास्तु शास्त्र का मूल सिद्धांत (tenet)  क्या है ?  उत्तर - हमारी पृथ्वी को बहुत तरह की ऊर्जाएं प्रभावित करती है जैसे सौर ऊर्जा, चन्द्र ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational energy), emf, ब्रह्माण्डीय ऊर्जा। इसके अलावा भी काई तरह की energies हमें प्रभावित करती है. वास्तु शास्त्र इन्ही ऊर्जा के balance बनाने में हमारी मदद करता है. इसके अलावा हम ये भी जानते है के हमारा  शरीर व् पूरा universe पांच तत्वों से मिलकर बना है - अग्नि, जल, आकाश, वायु, पृथ्वी। वास्तु शास्त्र इन्ही तत्वों को संतुलित करने का विज्ञानं है.

ऊपरी टैंक व् भूमिगत टंकी के लिए वास्तु टिप्स

आज बात करते है वास्तु के अनुसार पानी की टंकी कहाँ बनानी चाहिए। पानी की टैंक दो तरह की हो सकती है एक तो भूमिगत (underground water tank) और और ऊपरी टंकी (overhead tank). अंडरग्राउंड वाटर टैंक का निर्माण इस बात को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए के गलत स्थान पर खुदाई करना परेशानियों को बुलाने जैसा होता है यही बात ऊपरी टैंक पर भी लागु होती है क्यूंकि ये छत के उस हिस्से की ऊंचाई में वृद्धि करती है. आइये जाते है कैसे रखे पानी के टैंक - पहले बात करते है उपरी टैंक की जिसे ओवरहेड टैंक कहते है. इसे जब भी हम छत पर रखते है या घर के किसी हिस्से में निर्माण करते है तो ये उस हिस्से की ऊंचाई व् भार बढ़ा  देता है. जो की सही दिशा में हो तो बचत और स्थायित्व में वृद्धि करता है और गलत दिशा में हो तो कामों में रुकावट उत्पन्न करता है. टैंक के लिए सही दिशा  (directions for overhead water tank) अब बात आती है के ओवरहेड वाटर टैंक की सही दिशा क्या होनी चाहिए। ओवरहेड टैंक की सही दिशा दक्षिण व् पश्चिम होती है. कुछ वास्तु शास्त्री दक्षिण-पश्चिम कोने क सही दिशा बताते है लेकिन यदि आपका मास्टर बेडरूम इस कोण में है तो यहाँ

वास्तु द्वारा ठीक करें गलत टॉयलेट के दोष

कभी कभी पुश्तैनी मकानों में रहने वाले लोग या अपार्टमेंट (apartments) में रहने वाले लोग पाते है उनके घर में टॉयलेट (toilet) सही जगह नही है. लेकिन उसे शिफ्ट करने नामुमकिन है. इसके कुछ भी कारण ह सकते है. लेकिन उसे बिना शिफ्ट किये उसकी negativity कैसे  खत्म की जाए आइये बताते है.  उत्तर- पूर्वी टॉयलेट (north-east toilet)- ये शायद वास्तु के एक सबसे बड़े दोष में से एक होगा। अब यदि आप इसे सहित करने की स्थिति में नही है. तो आप इसके अंदर एक छोटा सा पौधा रख सकते है. इसके बाद बाहर की दिवार पर पूर्व या उत्तर की तरफ एक 4 ft by 2 ft का शीशा लगाएं। मुरझाने के बाद पौधे को बदलते रहें।  उत्तर दिशा के तरफ टॉयलेट के लिए जल तत्व को ठीक करे  दक्षिण-पश्चिम टॉयलेट (south-west toilet) - ये भी गंभीर परिणाम देता है. स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याऐ आ सकती है. इसके लिए या तो उत्तर-पूर्व में एक गहरी टैंक का निर्माण कराये। जो टॉयलेट बना पड़ा है उसका फर्श ऊँचा करें। पिरामिड यन्त्र रखे टॉयलेट के दक्षिण-पश्चिम कोने पर. टॉयलेट के अंदर एक विंड चाइम लगा सकते है. क्यूंकि मेटल तत्व (metal element) नकरात्मक पृथ्वी तत्व का प्रभाव काम

क्या है श्री यंत्र- कैसे करे इसका उपयोग - shree yantra benefits and uses in hindi

यन्त्र शास्त्र के अनुसार  श्रीयंत्र लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला प्रभावी  यंत्र है. श्रीयंत्र के माध्यम से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और आर्थिक परेशानिया दूर होती है. आजकल हर वयक्ति श्री लेने के पीछे पड़ा होता है बेचने वालो की भी कमी नही है. क्या एक श्री यन्त्र रखने मात्र से काम बन जाते है. क्या आप जानते है के श्री यन्त्र क्या होता है और इसका कैसे उपयोग करना चाहिए।   यन्त्र शास्त्र विज्ञानं में हर कार्य के लिए यंत्रो का निर्माण किया जाता है. जिसमे financial problems  को दूर करने के लिए श्री यंत्र का निर्माण किया जाता है. इसके अलावा भी बहुत सारे यन्त्र होते है जैसे कुबेर यन्त्र, व्यापर यन्त्र। लेकिन श्री यन्त्र को सबसे महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है इसीलिए इसे यन्त्र राज कहा जाता है. पहले इसकी रचना समझते है.  shree yantra in hindi  shree yantra  की रचना पांच त्रिकोण के नीचे के भाग के ऊपर चार त्रिकोण के संयोजन से जिसमें 43 त्रिकोण द्वारा होती है. इन त्रिकोणों को दो कमल घेरे हुए होते हैं, पहला कमल अष्टदल का होता है और दूसरा बाहरी कमल षोडशदल का होता है. इन दो कमलों के बाहर तीन वृत हैं इसके बा

गणेश जी से दूर करे वास्तु दोष

भगवान गणेश विघ्न हर्ता माने जाते  हैं। हमेशा वास्तु पूजन के वक़्त  गणेशजी को प्रथम  पूजा जाता है। जिस घर में गणेश की पूजा होती है, वहां समृद्धि व्  लाभ मिलता  है। इसके अलावा गणेशजी वास्तु दोष भी दूर करते है आइये जानते  है गणेशजी की कैसे करे पूजा और  क्या है नियम  गणेश जी की स्थापना अपने घर के main gate  के ऊपर या  ईशान कोण में की जा सकती  है. कभी भी  गणेश जी को कभी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए । यदि भवन में द्वारवेध हो जिसे हम विधि शूला भी कहते है जिससे  वहां रहने वाले लोगो  में उच्चटन होता है। घर  के द्वार के सामने वृक्ष, मंदिर, स्तंभ या T-point आदि के होने पर द्वारवेध माना जाता है। ऐसे में भवन के मुख्य द्वार पर बाहर की तरफ गणेश  की बैठी हुई प्रतिमा लगानी चाहिए किंतु उसका आकार 10-11 अंगुल से अधिक नहीं होना चाहिए।  घर में पूजा के लिए गणेश जी की शयन या बैठी मुद्रा में हो तो अधिक उपयोगी होती है। यदि आपको कला या अन्य शिक्षा के purpose  से पूजन करना हो तो नृत्य गणेश की तस्वीर लगानी  चाहिए इसके अलावा यदि आपका फर्श का झुकाव दक्षिण की और है तो दक्षिण की दिवार पर अंदर की तरफ एक dancing ganesha की pic

आइए जानते हैं शनि के अशुभ प्रभाव को कम कैसे करें

कभी कभी ज्योतिषी आपको बता देता है के आपकी पत्रिका में शनि नीच प्रभाव दे रहा है तो ऐसे में आपको इसके उपाय करना जरूरी हो जाता है आइए जानते हैं शनि के अशुभ प्रभाव को कम कैसे करें… how to reduce shani effects शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुंह देखकर शनि मंदिर में रख आएं (जिस कटोरी में तेल हो उसे भी घर ना लाएं)।  सवापाव साबुत काले उड़द लेकर काले कपड़े में बांध कर शुक्रवार को अपने पास रखकर सोएं। ध्यान रहे अपने पास किसी को भी ना सुलाएं। फिर उसको शनिवार को शनि मंदिर में रख आएं। काला सुरमा एक शीशी में लेकर अपने ऊपर से शनिवार को नौ बार सिर से पैर तक किसी से उतरवा कर सुनसान जमीन में गाड़ देवें।  ना तो नीलम पहने, ना ही लोहे का बना छल्ला पहने। इसके पहनने से शनि का कुप्रभाव और बढ़ जाता है। इनका प्रयोग शनि को मजबूत करने के लिए होता है  शनि मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः’ का जप भी किया जाए तो काफी हद तक शनि के कुप्रभाव से बचा जा सकता है। ये उपाय किसी Astrologer की सलाह से ही करने चाहिए अगर कुंडली में शनि उच्च है तो शनि के दान नही होते।

बचत किया पैसा रखने की दिशा व् नियम

तिजोरी यानी जहां आप पैसे रखते हैं, कोई भी जगह हो सकती है। अलमारी का लॉकर, संदूक आदि। लेकिन, सिर्फ तिजोरी का होना ही आपको धनाढ्य नहीं बना देता। वास्तु के अनुसार आपके पैसे रखने की दिशा व् तिजोरी या गल्ला काफी महत्व रखता है आइये जानते है क्या इन्हे रखने दिशाएं व् नियम ऐसा कहा जाता है के SAFE  व धन रखने की जगहों को सदैव सुगंधित रखना चाहिए। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। तिजोरी का दरवाजा यदि दक्षिण की ओर खुलता है तो यह आर्थिक तंगी को जन्म दे सकता है. ऐसा 90  प्रतिशत मामलों में परेशानी देता है. AS PER VASTU SHASTRA तिजोरी के अंदर काला रंग करना धन और आर्थिक दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता। इसके लिए ब्राउन रंग या मेहरून रंग सबसे बढ़िया होता है पिरामिड विज्ञानी तिजोरी के अंदर PYRAMID रखने को आर्थिक स्थिति के लिए शुभ धन प्रदायक मानते हैं। लेकिन ये पिरामिड CITRINE CRYSTAL का होता है. इसे किसी वास्तु विद से ही पूछकर रखे MAIN GATE के ठीक सामने तिजोरी का दरवाजा खुलना धन में कमी कर सकता है। वही पर अलमारी या तिजोरी पास खिड़की होना भी अचानक खर्चे करवाता रहता है उत्तर-पूर्व कोने में बहुत भारी तिजोरी नहीं

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