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Showing posts from August, 2015

साउथ-वेस्ट में मुख्य दरवाज़ा - बड़ा वास्तु दोष

साउथ-वेस्ट (नैऋत्य कोण) वास्तु शास्त्र की सबसे महत्वपूर्ण दिशा होती है. इस दिशा के  कारक ग्रह राहु देव होते है. इस दिशा में घर के मैन गेट का होना एक बड़ा  वास्तु दोष माना जाता है जो आपको हर तरह की परेशानी देने की क्षमता रखता है. आइये जानते है क्या परेशानियां आती है और क्या हो सकता है इस वास्तु दोष का उपाय।।।।। जैसा की मैंने आपको बताया के इस दिशा के  कारक ग्रह राहु देव होते है राहु देव का सम्बन्ध स्थायित्व से होता है, कोई भी अचानक आने वाली परेशानी या धन लाभ भी राहु से देखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु को गति का कारक माना जाता है. हालाँकि यही दिशा कुछ लोगो को अनगिनत पैसा व् समृद्धि देती है. लेकिन इसके बारे में बाद में चर्चा करेंगे। यदि इस दिशा में आपका मुख्या द्वार आ जाये तो ये चिंता की बात होती है.   वास्तु टिप्स- ये तस्वीरें घर में नहीं लगानी चाहिए सबसे बड़ी जो परेशानी आती है वो ये के जिंदगी में स्थायित्व (stability) नही रहती आदमी इधर उधर ही भागता रहता है. काफी लोगो से सुनने को मिलता है के इस तरह के घर में प्रवेश करते ही काम-धंधा बिलकुल रुक गया है. मानसिक शांति नही रहती।  क़र्ज़ का बो

वास्तु दोष दूर करे दर्पण से - use mirror in vastu shastra

फेंगशुई व् वास्तु शास्त्र में आईना या दर्पण उन सभी चीज़ो को माना जाता है जिसमे हम अपना प्रतिबिम्ब देख सकते है. दर्पण के सही  प्रयोग से हम वास्तु दोष को खत्म कर सकते है और ये असर भी बहुत जल्दी करता है.  फेंगशुई में प्राणऊर्जा "ची" शक्ति को संतुलित करने के लिए दर्पण बहुत अच्छा परिणाम देता है. आइये जानते है दर्पण का प्रयोग कब और कैसे करें।  ....  use of mirror in vastu दर्पण (mirror) हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में ही लगाने चाहिए। दर्पण की शेप आयताकार, वर्गाकार की लगाने चाहिए गोल दर्पण का प्रयोग नही करना चाहिए, गोल दर्पण का प्रयोग किसी किसी जगह पर ही उपयोगी माना गया है. इसके अलावा नुकीले दर्पण का प्रयोग बहुत परेशानियां घर में ल सकता है. इसके अलावा टुटा हुआ व् खराब दर्पण घर में नही रखनी चाहिए ये पॉजिटिव ऊर्जा को नकारात्मक ऊर्जा में बदलने की ताकत रखता है.  घर व् ऑफिस में दर्पण लगाने की सबसे अच्छी दिशा ईशान कोण होती है इससे बिज़नेस समस्याएं कम होती है  दक्षिण व् पश्चिम दिशा में लगा हुआ दर्पण हमेशा ही नुकसान देगा यदि है तो उसे हटा दे नही तो उसे ढक कर रखें  यदि आपके घर में वायु क

लाल किताब में चौथा घर का महत्व - forth house in lal kitab

चौथे घर का मालिक व् करक ग्रह चन्द्रमा है. इस घर में चन्द्रमा व् बृहस्पति बहुत अच्छे फल देते है. ज्योतिष में चौथा घर माता का माना जाता है जबकि लाल किताब में ये पिता से भी समबन्ध रखता है. आइये जानते है चौथे घर के बारे में. lal kitab 4th house - ये घर पानी से सम्बन्ध रखता है. हमारे शरीर में सर्दी-गर्मी या हमारी तासीर है उससे भी सम्बन्ध रखता है. ये घर हमारे मन की शांति से सीधा जुड़ा हुआ होता है, यदि यहाँ अशुभ ग्रह  आ जाये तो मन की शांति पर बुरा असर पड़ता है. lal kitab ke anusar चौथा घर हमारी आयु के दूसरे पड़ाव यानि 25 से 50 वर्ष की आयु से होता है. दिशा के हिसाब से ये घर पूर्व और उत्तर दिशा का करक है. कपडे, दूध और पानी के व्यवसाय से ये घर जुड़ा हुआ है.. चौथे घर में चन्द्र हो तो कपड़े के व्यापर से फायदा होता है लेकिन दसवाँ घर खाली  होना चाहिए। चौथा घर हमारी माता से विशेष सम्बन्ध रखता है, ये घर खराब होने से माता के सुख में कमी आती है. माता के स्वस्थ्य ठीक नही रहता। इस घर में केतु और मंगल माता के स्वास्थ्य को खराब करते है. चौथा घर दूध देने वाले पशु, पानी में रहने वाले जीवो से सम्बन्ध रखता है. ये घर

बांसुरी से ठीक करे वास्तु दोष

वास्तु शास्त्र व् फेंगशुई की शुभ वस्तुओं में बांसुरी का भी एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है. वास्तु दोष में जहाँ तोड़-फोड़ की जरूरत हो लेकिन ऐसा करना मुश्किल हो वहाँ  पर बांसुरी के उपाय से भी दोष को कम किया जा सकता है. आइये जानते है बांसुरी के गुण और उपयोग के बारे में। .... बाँसुरी का निर्माण बांस की लकड़ी से किया जाता है, जिस कारण बांसुरी में बाँस के सभी गुण जैसे किसी भी वातावरण में अपने आप को बचाये रखना, तेजी से बढ़ना आदि विद्यमान होता है. इसी कारण बांसुरी प्रगति व् स्थिरता का गुण अपने में रखती है. वास्तु शास्त्र व् फेंगशुई (feng shui) में बांसुरी का उपयोग द्वार सम्बन्धी दोष (wrong entrance), बीम दोष (Beem defect), विधि शूल (Vidhi shoola), और किसी गलत निर्माण की अशुभता को दूर करने के लिए  किया जाता है.  बांसुरी का उपयोग करने का सबसे कारण ये है के जब किसी भी प्रकार की ऊर्जा इसके अंदर प्रवेश करती है तो ऊर्जा की सभी नकरात्मकता सकारात्मकता में बदल जाती है. कुछ ऐसा ही विंड चिम में भी होता है. बांसुरी की तरह स्वस्तिक का भी उपयोग होता है पढ़ने के लिय  क्लिक करे  वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक बांसुरी के

क्यों नही बनाना चाहिए अटैच टॉयलेट - बाथरूम

आजकल के घरो में अटैच टॉयलेट व् बाथरूम होना एक आम बात हो गयी है लेकिन क्या आप जानते है ये एक वास्तु दोष होता है. टॉयलेट व् बाथरूम एक साथ बनाते समय वास्तु नियम के अनुसार घर के  सदस्यों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आइये जानते है कैसे बनता है दोष और क्या होगी समस्या attatch toilet-bathroom vastu dosh वास्तु शास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ "विश्वकर्मा प्रकाश " (vishwakarma prakash) में बताया गया है "पूर्वम् स्नान मन्दिरम्"  मतलब बाथरूम पूर्व दिशा में  बनाना चाहिए वहीं टॉयलेट के बारे लिखा है " या नैऋत्य मध्य पुरीष त्याग मन्दरम् " मतलब दक्षिण व् दक्षिण-पश्चिम के मध्य में टॉयलेट बना सकते है, toilet should be in between south-southwest. Attach toilet bathroom बनाने से ये वास्तु नियम भंग  होता है.  वास्तु के अनुसार बाथरूम पर चन्द्र का प्रभाव व् अधिपत्य होता है टॉयलेट से राहु ग्रह का सम्बन्ध है दोनों को मिलाने से चन्द्रमा पर ग्रहण दोष लगता है और moon related vastu problems घर में आ जाती है.  nature of moon and rahu चन्द्रमा का सम्बन्ध हमारे मन से होता है

जन्मकुंडली में धन योग - dhan yog in kundli

 जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है. आइये जानते है धन योग और लक्ष्मी योग के बारे मे. dhan yog or money yoga in janm kundli ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं. जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है. शुक्र की द्वितीय भाव में स्थिति को धन लाभ के लिए बहुत महत्व दिया गया है, यदि शुक्र द्वितीय भाव में हो और गुरु सातवें भाव, चतुर्थेश चौथे भाव में स्थित हो तो व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है. ऐसे योग में साधारण परिवार में जन्म लेकर भी जातक अत्यधिक संपति का मालिक बनता है. सामान्य व्यक्ति भी इन

पेड़-पौधों से पायें अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभावों से राहत

जीवन के विभिन्न भागों पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, यह प्रभाव सकारात्मक भी होता है और नकारात्मक भी... नकारात्मक प्रभाव को रोकने या कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाए जाते हैं....इन्ही में से एक आसान तरीका है पेड़-पौधों का रोपण और पूजन.... भगवान विष्णु और हनुमान जी को तुलसी अर्पित करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं। अगर शुक्र गृह कमजोर है, तो तुलसी का पौधा लगाकर नियमित रूप से उसकी पूजा-उपासना करनी चाहिए, फायदा मिलेगा... ज्योतिष और धार्मिक रूप से केले के पौधे का भी विशेष महत्व है... ग्रहों में इसका संबंध बृहस्पति से जोड़ते हैं और भगवान विष्णु तथा बृहस्पति देवता का स्वरूप माना जाता है... बृहस्पति के लिये किसी भी मंदिर मे केले के पौधे का रोपण कर उसमे जल दें. ज्योतिष में राहु-केतु को नियंत्रित करने के लिए अनार एक ऐसा अदभुत और जादुई पौधा है, जिसको लगाने से घर पर तंत्र-मंत्र और नकारात्मक ऊर्जा असर नहीं कर सकते... शमी वृक्ष के नीचे नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं, इससे शनि का प्रकोप और पीड़ा कम होगी और आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा... हरसिंगार छोटे-छोटे फूलों वाला और अपनी

श्वेतार्क गणपति- दरिद्रता करे दूर - वास्तु उपाय

आंकड़े को आक का पौधा भी कहा जाता है।आंकडे के पौधे की एक दुर्लभ प्रजाति है सफेद आंकड़ा। इसी सफेद आंकड़े की जड़ में श्वेतार्क गणपति की प्रतिकृति निर्मित होती है। इस पौधे की पहचान यह है कि इसके फूल सफेद होते हैं। किसी भी पौधे की जड़ में गणपति की प्रतिकृति बनने में कई वर्षों का समय लगता है। जानते है इस पोधे के फायदे दिखाई देती है गणेशजी की आकृति सफेद आंकड़े की जड़ प्राप्त होने के बाद इसकी बाहरी परतों को कुछ दिनों तक पानी में भिगोया जाता है। जब सफेद आंकड़े की इस जड़ पानी में से निकाला जाता है तो God Ganesha  के शरीर की बनावट इसमें दिखाई देने लगती है। ऐसे दिखते हैं श्वेतार्क गणेश सफेद आंकड़े के पौधे की जड़ में गणेश की सूंड जैसा आकृति होती  है  इसकी जड़ के तने में गणेशजी के शरीर, आस-पास की शाखाओं में भुजाएं और सूंड जैसी आकृति दिखाई देती है। कुछ पौधों की जड़ में बैठे हुए गणेश की मूर्ति जैसी भी दिखाई देती है। आंकड़े में गणेशजी का वास शास्त्रों के अनुसार बिल्व के वृक्ष में शिव का वास होता है और आंकड़े के पौधे में श्रीगणेश का वास होता है। आंकड़े की जड़ में दिखाई देने वाली श्रीगणेश की shape इस बात

फेंगशुई- घर में जरूर रखें ये 6 चीजें, मानी जाती हैं भाग्यशाली

फेंगशुई चीनी वास्तु पद्धति है कुछ लोग वास्तु और फेंगशुई को एक ही समझते है लेकिन ये अलग विद्या है. कुछ लोग फेंगशुई को मानते है तो उनके लिए हम फेंगशुई (चीन का वास्तु) के अनुसार धन और सुख-शांति बढ़ाने के लिए कई उपाय बता रहे  हैं। इन्हें अपनाने से घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, साथ ही स्वास्थ्य को भी लाभ मिलता है। यहां जानिए फेंगशुई की 6 ऐसी चीजें, जिन्हें घर में रखना शुभ रहता है... 1. भाग्यशाली तीन टांगों वाला मेंढक (Three Legged Frog) तीन टांगों वाला मेंढक बहुत भाग्यशाली माना जाता है। फेंगशुई के अनुसार मुंह में सिक्के लिए हुए तीन टांगों वाले मेंढक की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसे अपने घर के भीतर मुख्य दरवाजे के आसपास रखना चाहिए। मेंढक को रसोई या शौचघर के भीतर ना रखें। ऐसा करना दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है। 2. समृद्धि के देवता हैं लाफिंग बुद्धा (Laughing Bhddha) अगर आपको आर्थिक सफलता पाना है तो लॉफिंग बुद्धा निश्चित ही आपकी मदद करेगा। अपने लिविंग रूम में मुख्य द्वार से तिरछी दिशा में एक लाफिंग बुद्धा बैठा दें। ऐसा करने पर घर में सुख और समृद्धि में बढ़ोतरी होत

वास्तु- घर में कहां कौन सी चीज रखें और कौन सी चीज न रखें?

जानिए वास्तु से जुड़ी छोटी-छोटी बातें, जिनका दैनिक जीवन में काफी अधिक महत्व माना गया है। इनकी मदद से बुरे समय को भी दूर किया जा सकता है। 1. कभी भी तिजोरी के ऊपर कोई भी सामान नहीं रखना चाहिए। तिजोरी के एकदम ऊपरी वाले खाने (हिस्से) में पैसा नहीं रखना चाहिए। 2. घर में स्टोर रूम और बाथरूम के पास पूजा कक्ष नहीं होना चाहिए। 3 . कुछ वृक्ष और पौधे दूध वाले होते हैं जैसे- आंकड़े का पौधा, बरगद। इस तरह के वृक्ष घर-आंगन में नहीं होना चाहिए। इनसे वास्तु दोष उत्पन्न होता है। ये हमारे स्वास्थ्य के हानिकारक भी होते हैं। 4 . घर में बंद या खराब घड़ी भी नहीं रखना चाहिए। इसके अशुभ प्रभाव से भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। 5 . घर के पूजन स्थल पर सुबह-शाम घी का दीपक लगाने चाहिए। इससे भाग्य संबंधी लाभ मिलते हैं और इस दीपक का धुआं वातावरण की हानिकारक तरंगों और सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट करता है। नौकरी में सफलता पाने का उपाय  6 . पलंग के नीचे फालतू सामान या जूते-चप्पल नहीं रखना चाहिए। इससे ऊर्जा का मार्ग अवरुद्ध होता है। 7 . तिजोरी में मुकदमे या वाद-विवाद से संबंधित कागजात नहीं रखना चाहिए। इन कागजों को ईशान कोण म

लाल किताब के अनुसार राहु की चीज़े

राहु देवी - देवता = सरस्वती पेशा - व्यवसाय =  मेहतर, शूद्र विशेषता = मक्कार, चालबाज़ गुण = सोच, डर, दुश्मनी शक्ति = कल्पनाशक्ति का स्वामी धातु, रत्न = सिक्का, गोमेद शरीर = सिर्फ सर चेहरे के अंग = ठोड़ी पशु - जानवर = हाथी, कुत्ता, जंगली चूहा पेड़ = घास, नारियल का पेड़ अनाज = जौ निवास = सन्नता. वीरान, पाताल

सूर्य के अनुसार कुछ वास्तु उपाय

वास्तु शास्त्र पंच तत्वों पर आधारित है। ये पंच तत्व है अग्नि, वायु, पानी, पृथ्वी व आकाश। सूर्य भी अग्नि का ही स्वरूप माना गया है। अत: सूर्य भी वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है। इसलिए जरूरी है कि सूर्य के उदय होने से अस्त होने तक की दिशा व समय के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या का निर्धारण करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार जानिए सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त तक हमें किस समय क्या कार्य करना चाहिए- 1. वास्तु शास्त्र के अनुसार मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को संभाल कर गुप्त स्थान पर रखने के लिए उत्तम है। 2. सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है। 3. सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में रहता है। इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि इस समय सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में आ सके। 4. सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य पृथ्वी के दक्षिण-पूर्व मे

विवाह समय निर्धारण - Calculating the time of marriage through astrology

विवाह समय निर्धारण के लिये  सप्तम भाव, सप्तमेश व शुक्र से संबन्ध बनाने वाले ग्रहों का विश्लेषण किया जाता है. जन्म कुण्डली में जो भी ग्रह अशुभ या पापी ग्रह होकर इन ग्रहों से दृ्ष्टि, युति या स्थिति के प्रभाव से इन ग्रहों से संबन्ध बना रहा होता है. वह ग्रह विवाह में विलम्ब का कारण बन रहा होता है. इसलिये सप्तम भाव, सप्तमेश व शुक्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव जितना अधिक हो, उतना ही शुभ रहता है (Higher influence of the auspicious planets is good for marriage). तथा अशुभ ग्रहों का प्रभाव न होना भी विवाह का समय पर होने के लिये सही रहता है. क्योकि अशुभ/ पापी ग्रह जब भी इन तीनों को या इन तीनों में से किसी एक को प्रभावित करते है. विवाह की अवधि में देरी होती ही है. आईये देखे की दशाएं विवाह के समय निर्धारण में किस प्रकार सहयोग करती है:- 1. सप्तमेश की दशा- अन्तर्दशा में विवाह- (Marriage in the Mahadasha-Antardasha of Seventh Lord) जब कुण्डली के योग विवाह की संभावनाएं बना रहे हों, तथा व्यक्ति की ग्रह दशा में सप्तमेश का संबन्ध शुक्र से हो तों इस अवधि में विवाह होता है. इसके अलावा जब सप्तमेश जब द्वितीयेश

प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिये ज्योतिष योग (Astrology Yoga for Administrative Officer Career)

कुण्डली में बनने वाले योग ही बताते है कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा. प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है. आईये देखें कि कौन से योग प्रशासनिक अधिकारी के कैरियर में आपको सफलता दिला सकते हैं. 1. उच्च शिक्षा के योग (Astrology Yoga for Higher Studies) आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली में शिक्षा का स्तर अच्छा होना चाहिए. शिक्षा के लिये शिक्षा के भाव दूसरा, चतुर्थ भाव, पंचम भाव व नवम भाव को देखा जाता है. इन भाव/भावेशों के बली होने पर व्यक्ति की शिक्षा उतम मानी जाती है. शिक्षा से जुडे ग्रह है बुध, गुरु व मंगल इसके अतिरिक्त शिक्षा को विशिष्ट बनाने वाले योग भी व्यक्ति की सफलता का मार्ग खोलते है. शिक्षा के अच्छे होने से व्यक्ति नौकरी की परीक्षा में बैठने के लिये योग्यता आती है. 2. आवश्यक भाव: छठा, पहला व दशम घर (Importance of Bhava - 1st, 6th and 10th house) किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में सफलता के लिये लग्न, षष्टम, तथा दशम भावो/ भावेशों का शक्तिशाली होना तथा इनमे पारस्परिक संबन्ध होना आवश्यक है. ये भाव/ भावेश जितने स

राहु द्वारा निर्मित योग और उनका फल (Yoga related with Rahu and thier results)

यह इसी प्रकार विभिन्न ग्रहों एवं स्थान में रहकर यह अलग अलग योग बनाता है. अष्टलक्ष्मी योग - Ashtalakshmi yoga वैदिक ज्योतिष में राहु नैसर्गिक पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है.इस ग्रह की अपनी कोई राशि नहीं है अत: जिस राशि में होता है उस राशि के स्वामी अथवा भाव के अनुसार फल देता है.राहु जब छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग (Ashtalakshmi yoga) नामक शुभ योग का निर्माण करता है.  अष्टलक्ष्मी योग (Ashtalakshmi yoga) में राहु अपना पाप पूर्ण स्वभाव त्यागकर गुरू के समान उत्तम फल देता है. अष्टलक्ष्मी योग (Ashtalakshmi yoga) जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है वह व्यक्ति ईश्वर के प्रति आस्थावान होता है.इनका व्यक्तित्व शांत होता है.इन्हें यश और मान सम्मान मिलता है.लक्ष्मी देवी की इनपर कृपा रहती है. लग्न कारक योग - Lagna Karaka Yoga राहु द्वारा निर्मित शुभ योगों में लग्न कारक योग ( Lagna Karaka Yoga) का नाम भी प्रमुख है. लग्न कारक योग ( Lagna Karaka Yoga) मेष, वृष एवं कर्क लग्न वालों की कुण्डली में तब बनता है जबकि राहु द्वितीय, नवम अथवा दशम भाव में नहीं ह

राजनीति में प्रवेश एवं सफलता के लिये ज्योतिष योग (Astrology Yoga for Politics as career)

राजनीति में प्रवेश करने वालों की कुंडली में भी ज्योतिष योग होते हैं. राजनीति में सफल रहे व्यक्तियों की कुंडली में ग्रहों का विशिष्ट संयोग देखा गया है, 1. आवश्यक भाव : छठा, सांतवा, दसवां व ग्यारहवां घर (Important Houses for Carrer in Politics) सफल राजनेताओं की कुण्डली में राहु का संबध छठे, सांतवें, दशवें व ग्यारहवें घर से देखा गया है. कुण्डली के दशवें घर को राजनीति का घर कहते है. सत्ता में भाग लेने के लिये दशमेश या दशम भाव में उच्च का ग्रह बैठा होना चाहिए. और गुरु नवम में शुभ प्रभाव में स्थिति होने चाहिए. या दशम घर या दशमेश का संबध सप्तम घर से होने पर व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है. छठे घर को सेवा का घर कहते है. व्यक्ति में सेवा भाव होने के लिये इस घर से दशम /दशमेश का संबध होना चाहिए. सांतवा घर दशम से दशम है इसलिये इसे विशेष रुप से देखा जाता है. 2. आवश्यक ग्रह: राहु, शनि, सूर्य व मंगल . (Important Houses: Rahu, Saturn, Sun and Mars) राहु को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा दिया गया है. इसका प्रभाव राजनीति के घर से होना चाहिए. सूर्य को भी राज्य कारक ग्रह की उपाधि दी ग

बाथरूम से जुड़े वास्तु उपाय

घर में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने के लिए वास्तु के नियमों का ध्यान रखना भी जरूरी माना गया है। वास्तु के अनुसार बताए गए उपाय करने पर वातावरण सकारात्मक बनता है और मानिसक शांति प्राप्त होती है। यदि घर में वास्तु दोष होते हैं तो दरिद्रता और मानसिक परेशानियों के साथ ही वैवाहिक जीवन में भी दुखों का सामना करना पड़ सकता है। इन परेशानियों से बचने के लिए घर के सभी हिस्सों के लिए वास्तु में कई उपाय बताए गए हैं। यहां जानिए बाथरूम से जुड़े कुछ उपाय, जिनसे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सकती है. vastu tips for bathroom 1. यदि आप अपने बाथरूम में एक कटोरी में खड़ा यानी साबूत नमक रखेंगे तो आपके घर के कई वास्तु दोष दूर हो जाएंगे। कटोरी में रखा नमक महीने में एक बार बदल लेना चाहिए। खड़ा नमक आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है और वातावरण को positive बनाता है। 2. घर में बाथरूम का नल या किसी अन्य स्थान का नल लगातार टपकते रहता है तो यह बात छोटी नहीं है, वास्तु में इसे गंभीर दोष माना गया है। अत: नल से पानी टपकना बंद करवाना चाहिए। 3 . 2-3 दिन में कम से कम एक बार पूरा बाथरूम अच्छी तरह साफ करना चाहिए। बाथर

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