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Showing posts from May, 2016

क्या होता है अस्त ग्रह - combust planet meaning in hindi

vedic astrology के अनुसार जब  कोई ग्रह जब सूर्य के  पास आ जाता है तो सूर्य के सबसे गर्म और तेज़ होने के कारण वह ग्रह अपनी शक्ति खो देता है या कमजोर हो जाता है. इसे अस्त ग्रह (combust planet) भी कहते है. इसके लिए ज्योतिषी को ग्रहों के अंश देखने पड़ते है.  combust planet astrology  in hindi  हर ग्रह की एक अंश अनुसार सूर्य के निकट आने से ग्रह अस्त माना जाता है.  degree for combust planets  चन्द्रमा - 12 degree  गुरु - 11 डिग्री शुक्र - 10 degree  बुध - 14 degree शनि - 15 degree मंगल - 17 डिग्री  राहु-केतु छाया ग्रह होने के कारण कभी भी अस्त नहीं माने जाते.  janm kundali में ग्रह अस्त होने से उसके बल में कमी आ जाती है. इसके लिए पहले कुंडली का सही से analyse  करना चाहिए। और अस्त ग्रह का उपाय करना चाहिए। इसके लिए पहले अस्त ग्रह की जरूरत पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि उसे बल देना जरूरी है तो ही बल देना चाहिए.  combust planet की remedy के लिए stones और मंत्रो का सहारा लिया जाता है. 

फैशन ही नहीं फायदा भी देता है कान छिदवाना - why ear piercing is good in hinfi

कान छिदवाना हमारे देश में बहुत पहले से चला आ रहा है, कही रिति  रिवाज़ के कारण तो कही अपने रूप रंग या दिखावे के लिए. लेकिन इसके पीछे benefits  भी बहुत है. आइये जानते है क्या है कान छिदवाने के फायदे।    why ear piercing is good science  के अनुसार कान छिदवाने से व्यक्ति के brain में blood circulation बहुत अच्छा होता है जिससे उसका बौद्धिक विकास सही से होता है. इसी वजह से पहले बचपन में ही कान छिदवाने की परम्परा थी.  कान के बीच की सबसे खास जगह जिसे प्रजनन के लिए responsible  माना जाता है females  की अनियमित पीरियड्स की problems  को भी दूर करता है।  ear piercing से कई प्रकार के इन्फेक्शन,  पुरुषों में ज्यादातर देखी जाने वाली हर्निया की प्रॉब्लम  भी दूर होती है। इसके साथ ही आँखों की रौशनी भी बनी रहती है. acupressure के हिसाब से कान छिदवाने से digestion system बहुत अच्छा काम करता है.  इस point से हमारा digestion system जुड़ा होता है. 

पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभाव - effects of main entrances from west direction

वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा के कुल 8 तरह के प्रवेश द्वार बताए गए है. आज चर्चा करते है पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभावों की.  west facing main entrance effects in hindi पश्चिम दिशा 225 से 315 degree मानी जाती है. इसे 225 डिग्री से शुरू करते है तो 315 तक 8 parts में बाँट दे. लगभग 11.25 डिग्री की एक पार्ट बनेगा.  w1 - पितृ - बेहद नुकसान दायक, धन और संबंध बहुत खराब होंगे।  w2 - दौवारीक - अस्थिरता देता है. टिकाव नहीं रहेगा.  w3 - सुग्रीव - ये entrance विकास देती है. आगे बढ़ते ही रहेंगे.  w4 - पुष्पदन्त (pushpdant vastu) - एक संतुष्ट जिंदगी देता है. ख़ुशी मिलती है.  w5 - वरुण (varun) - व्यक्ति बहुत ज्यादा पाने की चाहत रखने लगता है जिससे नुकसान संभव है.  w6 - असुर (asur) - ये नुकसान देती है एक मानसिक परेशानी चलती रहती है.  w 7 - शोष - shosh in vastu - गलत आदत पड़ जाती है. व्यक्ति बुरी लत में उलझा रहता है.  w 8 - पापयक्षमा - इसमें व्यक्ति मतलबी हो जाता है अपना ही फायदा देखने वाला। 

पूर्व दिशा के द्वारों का प्रभाव - effects of east facing entrances in vastu

वास्तु शास्त्र में कुल 32 प्रवेश द्वार बताए गए है जिसमे हर दिशा के 8 द्वार होते है आज चर्चा करते है पूर्व दिशा के  8 द्वारों की.  पूर्व दिशा वास्तु नियमों के हिसाब से 45 degree से देखि जाती है, और 135 डिग्री के कोण तक रहती है. इस 45 से 135 डिग्री तक यदि आप 8 भागों में बांटोगे तो आपको सही से अंदाज़ा हो जायेगा। vastu purush mandala के हिसाब से शिखी से पूर्व दिशा शुरू होती है. अब बात करते है इन 8 तरह के द्वारों का प्रभाव कैसा होता है  effects of entrances of east facing properties  1. शिखि (shikhi)  - अग्नि संबंधित दुर्घटनाएं इन घरों में देखि जाती है. 2. प्रजन्य (prajnya) - खर्चे बहुत ज्यादा होते है, इसके अलावा लड़कियों की संख्या अधिक हो सकती है.  3. जयंत (jayant) - कमाई अच्छी होती है. ये द्वार शुभ होता है.  4. इंद्र  (indra) - ऐसे लोग GOVERNMENT के अच्छे सम्पर्क में रहते है. शुभ द्वार  5. सूर्य (surya) - ऐसे लोगो में attitude problem होती है, जिसके कारण बार बार नुकसान हो सकता है.  6 सत्य (satya) - ऐसे लोग भरोसेमंद नहीं माने जाते, अपनी बात पर भी नहीं टिकते। 7. भृश (bhrish) - स्वभाव थोड़ा कटु

वास्तु शास्त्र के अनुसार सबसे अच्छे प्रवेश द्वार - which are the most suitable entrances of a house

वास्तु शास्त्र में  ज्यादा महत्व घर के main entrance को दिया गया है. वैदिक वास्तु के ग्रंथो में भी मुख्य प्रवेश द्वार को घर के जरूरी समस्याओं का कारण माना है. वास्तु में एक plot के 8 दरवाज़े बेहद शुभ माने गए है आज चर्चा करते है कौन से है ये द्वार  best entrances for a house as per vastu shastra  vastu के अनुसार एक घर में बाहरी side  32 types of energies का निर्माण होता है, एक घर को 360 डिग्री का मानते है तो इस हिसाब से एक एनर्जी लगभग 11. 25 डिग्री की होती है.  हर द्वार पर एक energy का निर्माण होता है. वास्तु में इसे हर एक देवता का नाम दिया गया है. और उसके अनुसार एंट्रेंस होने पर होने वाले प्रभाव भी बताए गए है.  अब आपको vedic vastu purush mandala के हिसाब से सबसे अच्छी entrance बताते है. इसमें east direction  में jayant और indra के द्वार, south में vitath और grahakshat के द्वार, west में sugreev or pushpdant के द्वार, north में mukhya और bhllaat entrance सबसे अच्छा फल देने वाली मानी गयी है. इन दिशाओं में द्वार शुभ ही रहता है. vastu purush mandal की pic में आप देख सकते है हर देवता का जोन

क्यों बेकार है घमंड करना एक motivational story

आदमी पूरी जिंदगी घमंड करता है. इस कारण  ना  जाने कितने दुशमन बनाता है उसी बात से related एक motivational story बताते है  एक फ़क़ीर शमशान में दो चिताओ की राख को बड़े ध्यान से देख रहा था। किसी ने पूछा कि बाबा एसे क्यू देख रहे हो राख को । फ़क़ीर बोला कि ये एक अमीर की लाश की राख है जिसने ज़िंदगी भर काजू बादाम खाये और ये एक ग़रीब की लाश है जिसे दो वक़्त की रोटी भी बडी मुश्किल से मयस्सर होती थी , मगर इन दोनों की राख एक सी ही है फिर किस चीज़ पर आदमी को घमंड है वही देख रहा हूं।..

सहस्रार चक्र - sahasrara chakra in hindi

सहस्रार चक्र सूक्ष्म मानव शरीर के सातवें प्राथिमक चक्र है । इस चक्र सभी चक्र के ऊपर सर के शीर्ष पर टिका  है और इस प्रकार, यह crown chakra  के रूप में जाना जाता है| सहस्रार एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब है हजार पंखुिडयाँ। introduction of crown chakra in hindi  नाम: सहस्रार चक्र या क्राउन चक्र मूल तत्व : पृथ्वी रंग: वायलेट स्थान: सेरेब्रल कॉर्टेक्स या head  के ऊपर बुनियादी अधिकार  : शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने चक्र प्रतीक: यह 1000 बीस परतों में व्यवस्था की पंखुिड़यों का पि्रतिनिधत्व करती है और प्रत्येक परत में लगभग पचास पंखुिड़यों शािमल हेैं विषय: दुिनया में तथ्यों और उनके बारे में जागरुकता को समझना पहचान: सार्वभौमिक पहचान इसके आकार में एक सुनहरा फली के भीतर, जो एक चाँद एक चमकदार त्रिकोण या तो ऊपर या नीचे की तरफ इशारे में खुदा रहता है। इस चक्र में समय timelessness intersects और अनन्त जीवन मृत्यु जगह लेता है। पहचान सातवें चक्र हमारा सबसे बड़ा पहचान है जो हमारे सार्वभौिमक पहचान है साथ जुड़ा  है। हमारे सार्वभौिमक पहचान हमारी विस्तार  चेतना के साथ बड़ा हो जाता है | इस रूप में ज्ञान और सीखने

चिंता देता है खराब भृश वास्तु जोन

दक्षिण-पूर्व (southeast) के पूर्व की तरफ भृश वास्तु जोन बड़ा महत्वपूर्ण कोण माना जाता है. इस vastu zone से हमें दो वस्तुओं से मिलकर या आपस में घर्षण से एक वस्तु प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त होती है. bhrish vastu zone  आप इस pic में देख सकते है मैंने bhrish पर एक round mark किया है.  bhrish vastu में  एक तरह से यदि हम कोई काम सोच समझकर कर रहे है लेकिन फिर भी देरी हो  रही है या असफल होते है तो ये जोन खराब या कमजोर माना जायेगा. काम शुरू करते है लेकिन अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे तो भी ये वास्तु जोन में खराबी है. idea तो आपको northeast से मिल गया लेकिन practical के लिए जोन ठीक  चाहिए।  भृश एक तरह से मंथन की शक्ति है जैसे हमने मिक्सी में दही से माखन निकाला। इस वास्तु जोन में कुछ vastu experts आपको मिक्सर रखने कि सलाह देते है लेकिन वो तभी possible है जब इधर किचन हो ऐसे में ऐसी ही  तस्वीर को वहां लगा  सकते है.  मंथन के काम या analysis के काम इस जोन में करने चाहिए. यहाँ से घर की entry नहीं होनी चाहिए. ये जोन खराब  होने से बिना बात  चिंता रहती है मन हमेशा व्याकुल रहेगा.  इसके लिए इस जोन का बैलेंस

वैदिक वास्तु - ईशान कोण की शक्तियां

वैदिक वास्तु के वास्तु पुरुष मंडल में 45 देवता का वास बताया गया है. ऐसा माना जाता है के हमारे जीवन की सभी समस्याऍ इन्ही 45 देवता के अंतर्गत आती है. ये 45 देवता एक तरह से 45 ऊर्जा क्षेत्र है जो हमारे जीवन को प्रभावित करते है. आज इस series को start करते है और ईशान कोण के देवता आपको बताते है.  vishwakarma prakash के अनुसार जब भी कोई घर का निर्माण होता है तो प्लाट में ऊर्जाओं का निर्माण स्वयं ही होने लगता है. इसमें सबसे पहले जिस ऊर्जा का निर्माण होता है वो ऊर्जा कोनों में produce होती है जैसे ईशान कोण, आग्नेय, वायव्य, नैऋत्य कोण में.  ऊपर दिए हुए diagram से आप आसानी जान सकते है के हम किस जोन और किन देवताओं के बारे जान रहे है. एक तरह से इन देवताओ की शक्ति के बारे में ही चर्चा कर रहे है.  आज सबसे पहले बात करते है ईशान कोण में बनने वाली चार ऊर्जा जगहों की. इन्ही ऊर्जा क्षेत्रों से आप अपने जीवन की समस्याओं को पहचान सकते है.  अदिति (aditi zone vastu) - इसमें सबसे पहले जिस ऊर्जा क्षेत्र का निर्माण होता है वह अदिति के नाम से जाना जाता है. ये ऊर्जा क्षेत्र हमें बांधे रखती है, एक हौसला मिलता रहता

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