कुछ लोगों को वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगो का उपयोग करने की चाहत रहती है, आज आपको बताता हूँ किस दिशा में कौन सा रंग तत्व ज्ञान के अनुसार अच्छा रहता है.
वास्तु शास्त्र पांच तत्व पर आधारित विद्या है, हर तत्व का अपना एक रंग बताया गया है और तत्वों में भी कुछ तत्व एक दूसरे के पूरक है और कुछ एक दूसरे के नाशक। इन्ही तत्वों के रंगो की चीज़ों को हम इनसे जुड़ा मानते है जैसे पौधे हरे रंग के होते है इन्हे लकड़ी तत्व (वायु तत्व) लेते है. इसको हम थोड़ा जान लेते है
जल तत्व - जल तत्व को आकाश तत्व बढ़ाता है जबकि जल तत्व लकड़ी तत्व या वायु तत्व को बढ़ाता है, अग्नि तत्व इसे कमजोर करता है धरती तत्व इसे खत्म करता है. इसी तरह रंगो का चयन हम कर सकते है.
जल तत्व - रंग नीला, दिशा उत्तर यहाँ हम आकाश का रंग सफ़ेद भी उपयोग कर सकते है.
वायु - पूर्व दिशा, रंग हरा, यहाँ जल तत्व (नीला रंग) भी ले सकते है.
अग्नि - दिशा दक्षिण, लाल रंग यहाँ हरा रंग भी ले सकते है.
धरती - दिशा दक्षिण-पश्चिम, पीला रंग, क्रीम कलर, लाल रंग इसे बढ़ाता है लेकिन फिर भी लाल रंग इधर यूज़ नहीं करते, पीले रंग या हल्के पीले से ही बैलेंस करते है क्यूंकि धरती तत्व एक निश्चित ही रखना अच्छा रहता है.
मेटल=आकाश - दिशा पश्चिम, रंग - सफेद, सिल्वर, यहाँ पीला रंग ले सकते है.
पांच तत्वों के आधार पर रंगों का चयन बहुत होता है, वास्तु उपायों में भो इनका उपयोग होता रहा है.
कुछ रंगो और वास्तु का आपस में संबंध से जुड़े tips आपको देता हूँ
उत्तर दिशा में लाल रंग की family के color आपकी आमदनी और पैसे पर रोक लगाने का काम करते है.
पूर्व दिशा में पीला, लाल रंग सामाजिक जुड़ाव या social connections बनने में परेशानी देता है, नाम तक खराब कर सकता है.
दक्षिण दिशा में नीला रंग दिमागी सुकून समाप्त करता है, हिम्मत बैंड बजा देता है.
उत्तरपूर्व या दक्षिण-पश्चिम में लाल रंग लड़ाई करता है.
पश्चिम दिशा में हरा रंग - ज्यादा मेहनत और थोड़ा सा लाभ, ये कहानी चलती है.
नार्थवेस्ट-नार्थ में लाल रंग - सेक्स लाइफ खराब करता है, desires बहुत ज्यादा बड़ा सकता है जिसके कारण घर से बाहर चक्कर भी चलते है.
सिर्फ रंगों के सही उपयोग से वास्तु दोष को कम किया जा सकता है साथ ही किसी भी जोन को activate किया जा सकता है.
Comments
Post a Comment