toilet वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है अगर ये गलत स्थान पर बना है तो ये उस zone के हिसाब से परेशानियां देता है. जैसे यदि दक्षिण-पश्चिम में जाए तो relations को खराब कर देता है. आज चर्चा करते है वास्तु शास्त्र में टॉयलेट किस दिशा में होना चाहिए.
toilet direction in vastu shastra in hindi
वास्तु शास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ "vishwakarma prakash" में इसका उल्लेख मिलता है है " या नैऋत्य मध्य पुरीष त्याग मन्दरम् ", इसका मतलब है हमारा toilet दक्षिण व् नैऋत्य कोण (south - southwest) में मध्य होना चाहिए. इसका कारण ये है के ये जोन जाने के लिए ही होता है (zone of expenditure and disposal). कुछ लोग इसे दक्षिण-पश्चिम भी बोलते है लेकिन इसे समझने की बात है ये हिस्सा दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशा के बीच का होता है. बिलकुल दक्षिण-पश्चिम में toilet नुकसान देता है.
इसके अलावा वास्तु शास्त्र में दो और दिशा negative zone मानी गयी है पश्चिम वायव्य (west-northwest) और पूर्व आग्नेय (east-northeast).
वायव्य कोण की पश्चिम दिशा चिंता की दिशा मानी जाती है, और आग्नेय कोण की पूर्व दिशा आलस की मानी जाती है इन दिशाओं में भी आप टॉयलेट का निर्माण करा सकते है.
इसके अलावा वास्तु शास्त्र में दो और दिशा negative zone मानी गयी है पश्चिम वायव्य (west-northwest) और पूर्व आग्नेय (east-northeast).
वायव्य कोण की पश्चिम दिशा चिंता की दिशा मानी जाती है, और आग्नेय कोण की पूर्व दिशा आलस की मानी जाती है इन दिशाओं में भी आप टॉयलेट का निर्माण करा सकते है.
agar south west me hai tho upay kya hai?
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