लग्न (Ascendant) को वैदिक ज्योतिष में ‘जीवन का द्वार’ कहा जाता है। यह वह विशेष बिंदु होता है जो व्यक्ति के जन्म के समय पूर्व दिशा (East) में आकाश में उदित हो रहा होता है। जिस राशि का यह बिंदु होता है, वही व्यक्ति की लग्न राशि कहलाती है।
1. लग्न का ज्योतिषीय महत्व:
- लग्न से ही कुंडली का आरंभ होता है। यह जन्म कुंडली का पहला भाव होता है।
- इसी लग्न के आधार पर सभी 12 भावों की गणना की जाती है।
- यह केवल एक गणितीय बिंदु नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की आत्मा, शरीर, प्रकृति, और जीवन की दिशा को दर्शाता है।
2. लग्न कैसे तय होता है?
- पृथ्वी लगातार घूम रही है और हर दो घंटे में एक नई राशि पूर्व दिशा में उदित होती है।
- इसलिए एक ही दिन में 24 घंटे में 12 राशियाँ पूर्व दिशा से निकलती हैं।
- जिस समय और स्थान पर कोई बच्चा जन्म लेता है, उस समय जो राशि पूर्व दिशा में उग रही होती है, वही उसकी लग्न राशि कहलाती है।
उदाहरण:
अगर कोई बच्चा सुबह 6 बजे दिल्ली में जन्म ले रहा है और उस समय पूर्व दिशा में मेष राशि उदित हो रही है, तो उस बच्चे की लग्न राशि मेष मानी जाएगी।
3. लग्न से क्या-क्या ज्ञात होता है?
क्षेत्र |
जानकारी जो लग्न से मिलती है |
शारीरिक संरचना |
व्यक्ति का शरीर कैसा होगा – लंबा, दुबला, मजबूत, आकर्षक आदि |
प्रकृति और स्वभाव |
तेज, विनम्र, भावुक, जिद्दी, चंचल, आदि |
सोचने का तरीका |
व्यावहारिक, भावनात्मक, तर्कशील, कल्पनाशील |
जीवन की दिशा |
व्यक्ति किस क्षेत्र में आगे बढ़ेगा, उसे किस दिशा में संघर्ष करना होगा |
मन की प्रवृत्तियाँ |
जीवन में क्या चाहता है, उसे संतोष कब मिलता है |
कुंडली का आधार |
सभी ग्रहों का फल लग्न के अनुसार बदलता है |
4. लग्न और भावों की गणना का तरीका:
मान लीजिए किसी व्यक्ति का तुला लग्न है।
तो उसकी कुंडली इस प्रकार बनेगी:
भाव |
राशि |
अर्थ |
1 |
तुला (लग्न) |
स्वयं |
2 |
वृश्चिक |
धन |
3 |
धनु |
पराक्रम |
4 |
मकर |
माता और सुख |
5 |
कुंभ |
संतान और बुद्धि |
6 |
मीन |
ऋण और रोग |
7 |
मेष |
जीवनसाथी |
8 |
वृषभ |
आयु और रहस्य |
9 |
मिथुन |
भाग्य और धर्म |
10 |
कर्क |
कर्म और करियर |
11 |
सिंह |
लाभ |
12 |
कन्या |
व्यय और विदेश |
5. लग्न का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव:
- लग्न से ही यह तय होता है कि कौन से ग्रह व्यक्ति के लिए शुभ रहेंगे और कौन से अशुभ।
- अगर लग्न मजबूत है, तो व्यक्ति जीवन में कई कठिनाइयों के बावजूद भी सफल हो सकता है।
- अगर लग्न पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो या लग्नेश पीड़ित हो, तो जीवन में बाधाएं, स्वास्थ्य समस्याएं या आत्म-संदेह देखने को मिलता है।
6. निष्कर्ष:
लग्न ही कुंडली का प्राण है।
यह हमें यह बताता है कि हम कौन हैं, हमें किस दिशा में बढ़ना है, और जीवन में किस प्रकार की चुनौतियाँ व अवसर मिलेंगे। लग्न को समझना मतलब पूरे जीवन के प्रारंभिक संकेतों को समझना है।
Comments
Post a Comment