Skip to main content

शनि का मीन राशि में गोचर - Saturn transit in Pisces sign results

 

1. शनि और मीन राशि का परिचय

  1. शनि (Saturn) का मूलभूत स्वभाव

    • वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म, अनुशासन, समय, संघर्ष और न्याय का कारक माना जाता है।
    • शनि जहाँ भी गोचर करता है, वहाँ धैर्य, अनुशासन और परिश्रम की महत्ता बढ़ जाती है।
    • शनि प्रायः धीरे-धीरे परिणाम देता है, लेकिन उसके फल स्थायी होते हैं—यह बात बृहत्पाराशर होरा शास्त्र एवं फलगुणदीपिका जैसे ग्रंथों में वर्णित है।
  2. मीन राशि (Pisces) का मूलभूत स्वभाव

    • मीन राशि बृहस्पति (गुरु) की स्वामित्व वाली जलतत्त्व राशि है।
    • मीन राशि से जुड़ी प्रमुख विशेषताएँ हैं—भावुकता, कल्पनाशीलता, दानशीलता, आध्यात्मिकता और संवेदनशीलता।
    • इसकी प्रवृत्ति अंतर्मुखी (इंट्रोवर्ट) और रहस्यवादी भी हो सकती है।
  3. शनि का मीन राशि में गोचर

    • जब शनि एक जलतत्त्व राशि में प्रवेश करता है, तो हमारे भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर विशेष प्रभाव डालता है।
    • मीन राशि में गोचर के दौरान शनि का मुख्य उद्देश्य होता है—भावनाओं में अनुशासन लाना, आध्यात्मिकता को वास्तविक कर्म और ज़िम्मेदारियों से जोड़ना, और भ्रम या कल्पनालोक में जीने की बजाय यथार्थ को स्वीकार करना।

2. प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख

  1. बृहत्पाराशर होरा शास्त्र

    • इसमें कहा गया है कि शनि जब जल राशि में होता है, तो जातक को अपने भावनात्मक पक्ष पर विशेष संयम रखना चाहिए। साथ ही व्यक्ति को रोग, मनोभ्रम, या मानसिक दबाव से उबरने के लिए सतर्कता बरतनी चाहिए।
    • यदि चंद्रमा या बृहस्पति की शुभ दृष्टि हो, तो आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति मिलती है।
  2. फलगुणदीपिका

    • इस ग्रंथ में उल्लेख मिलता है कि शनि-गुरु (बृहस्पति) से संबंधित राशियों में गोचर करते समय जातक को स्वयं की जड़ता तोड़कर आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।
    • यह भी कहा गया है कि उचित कर्म और नीति का पालन करने से शनि के कड़े प्रभावों में भी सफलता संभव है।
  3. अन्य संदर्भ

    • प्राचीन मतों में शनि को दार्शनिक और वैराग्य भाव बढ़ाने वाला ग्रह माना जाता है। मीन राशि में यह प्रभाव और गहरा हो सकता है, जिससे व्यक्ति जीवन के रहस्यों, परोपकार और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हो सकता है।

3. अतीत में शनि के मीन राशि में गोचर के दौरान प्रमुख घटनाएँ

शनि का एक चक्र लगभग 29-30 वर्षों का होता है। हर राशि में वह करीब ढाई वर्ष रहता है।
पिछली बार (वर्ष 1993-1996 के आस-पास) शनि मीन राशि में रहा था। आइए देखते हैं उस समय की कुछ वैश्विक और भारतीय घटनाओं पर एक नज़र:

  1. वर्ष 1993-1996 की समयावधि

    • वैश्विक स्तर पर:
      • सोवियत संघ के विघटन (1991) के बाद विश्व एक नए आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में प्रवेश कर रहा था। हालाँकि यह विघटन शनि के मकर-कुंभ गोचर के दौरान हुआ, परंतु उसके बाद के परिणाम मीन गोचर काल में पूरी तरह उभरने लगे।
      • इंटरनेट का प्रारंभिक विस्तार भी इन्हीं वर्षों में देखने को मिला, जिसने आगे चलकर वैश्विक संचार में क्रांति ला दी।
    • भारत में:
      • आर्थिक उदारीकरण (1991 के बाद) के परिणाम 1993-96 के बीच अधिक स्पष्ट होने लगे। निवेश, शेयर बाज़ार, और उद्योग-धंधों में बदलाव देखने को मिला।
      • 1993 में मुम्बई में श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों जैसी घटनाएँ हुईं, जिससे आतंरिक सुरक्षा व न्यायिक व्यवस्था पर सख़्त कदम उठाए जाने का दबाव बढ़ा।
      • 1995-96 के करीब देश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर था (प्रधानमंत्रियों का अल्पकाल), जिससे शासन-व्यवस्था में अनुशासन व जवाबदेही की माँग बढ़ने लगी—शनि का अनुशासनकारी स्वभाव इस दौर में देखने को मिलता है।
  2. वैश्विक मनोभाव और सामाजिक परिवर्तन

    • उस समय तकनीक और संचार के विस्तार से दुनिया “ग्लोबल विलेज” की ओर अग्रसर हुई। यह मीन राशि की सामूहिक भावनाओं को जोड़ने वाली प्रवृत्ति के साथ मेल खाता है।
    • हालाँकि कई जगहों पर मानवाधिकार और स्वतंत्रता संबंधी आंदोलन भी तेज़ हुए (उदाहरण: दक्षिण अफ़्रीका में अपार्थाइड का अंत 1994 में), जो शनि के न्याय और कर्मफल के सिद्धांत से सामंजस्य बैठाते दिखते हैं।

4. शनि के मीन गोचर के संभावित सकारात्मक-नकारात्मक प्रभाव

  1. सकारात्मक प्रभाव

    • आध्यात्मिक प्रगति: मीन राशि में शनि व्यक्ति को आंतरिक रूप से परिपक्व बनाने और गहरे आध्यात्मिक अनुभवों की ओर प्रेरित कर सकता है।
    • कल्पनाशीलता और रचनात्मकता: यदि कुंडली में शुभ ग्रहों का साथ हो, तो इस अवधि में रचनात्मक क्षेत्रों (लेखन, संगीत, कला, शोध) में नए विचार और अनुशासित प्रयासों से सफलता मिल सकती है।
    • मानवीय दृष्टिकोण: समाज में परोपकार, सेवा कार्य और दान-पुण्य को बढ़ावा मिल सकता है। कई लोगों के भीतर मानवीय संवेदनाएँ जागृत हो सकती हैं।
  2. नकारात्मक प्रभाव

    • भावनात्मक दबाव और अवसाद: पानी (जल तत्व) की राशियों में शनि कभी-कभी व्यक्ति को भावनात्मक रूप से भारी महसूस करा सकता है। अवसाद, चिंता या अनिश्चितता की भावना बढ़ने की संभावना रहती है।
    • वास्तविकता का दबाव: मीन राशि की स्वाभाविक आदत कल्पना में खोए रहना है। शनि यथार्थ का पाठ पढ़ाता है। यह द्वंद्व व्यक्ति में मानसिक संघर्ष या भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है।
    • अचानक चुनौतियाँ: जल तत्व में शनि कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, समुद्री तूफ़ान, भूकंप इत्यादि) की भी संभावना बढ़ाता दिखता है। हालाँकि इसका सटीक अनुमान अन्य खगोलीय परिस्थितियों और मौसम विज्ञान पर भी निर्भर करता है।

5. ज्योतिषीय उपाय व सावधानियाँ

  1. आत्म-विश्लेषण और ध्यान

    • मीन राशि में शनि व्यक्ति को अंतर्मुखी बना सकता है। इस ऊर्जा का सही उपयोग करने के लिए नियमित ध्यान, प्राणायाम या किसी भी प्रकार की आत्म-विश्लेषण की विधि अपनाई जा सकती है।
    • गुरु मंत्र या शनि मंत्र के जप से मानसिक शांति और अनुशासन बढ़ता है।
  2. सेवा और परोपकार

    • शनि हमेशा कर्म को प्राथमिकता देता है। दान-पुण्य, परोपकार के कार्य जैसे—ग़रीबों की मदद, वृक्षारोपण इत्यादि करना लाभदायक हो सकता है।
    • गौ-सेवा, अनाथालय या अस्पताल में सेवा करना भी शनि के सकारात्मक प्रभावों को आमंत्रित कर सकता है।
  3. संगति और संयम

    • इस अवधि में अवांछित रिश्तों या बेकार की आदतों से छुटकारा पाने का प्रयास करें।
    • शराब, नशीले पदार्थों या धूम्रपान जैसी आदतों से बचें—शनि के बुरे प्रभाव बढ़ सकते हैं।
  4. कर्मठता और यथार्थवादी योजना

    • अपने सपनों को पूरा करने के लिए ठोस योजना बनाएं और उसके अनुरूप मेहनत करें।
    • विलंब और टाल-मटोल की आदत से बचें; शनि अनुशासन की कमी को क्षमा नहीं करता।

निष्कर्ष

शनि का मीन राशि में गोचर हमें कर्म और भावनाओं का संतुलन सिखा सकता है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो ऐसे कालखंडों में बड़ी सामाजिक-आर्थिक व आध्यात्मिक हलचलें देखने को मिली हैं—जैसे 1993-96 के दौरान वैश्विक स्तर पर राजनीतिक-आर्थिक परिवर्तन और नए विचारों का जन्म। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में भी इस गोचर को व्यक्ति के मानसिक और आत्मिक पक्ष के लिए एक “परीक्षा की घड़ी” कहा गया है, जहाँ अनुशासन, धैर्य, और आत्म-सुधार द्वारा सकारात्मक परिणाम पाए जा सकते हैं।

अंततः, व्यक्तिगत फलादेश के लिए कुंडली के अन्य कारकों—विशेषकर चंद्रमा की स्थिति, दशा-अंतर्दशा, वक्री या मार्गी अवस्था—का विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक है। सामूहिक स्तर पर शनि का यह गोचर समाज को नए सबक सिखा सकता है, जहाँ हम भ्रमों से बाहर आकर यथार्थ को स्वीकार करें और अनुशासित रहकर अपनी आध्यात्मिक व सांसारिक ज़िम्मेदारियों को निभाएँ।



1. मेष राशि (Aries)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 12वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • आंतरिक परिशोधन (Inner Transformation) का समय हो सकता है।
    • आध्यात्मिक रुचि बढ़ सकती है, आप ध्यान-साधना या विदेश यात्राओं के प्रति आकर्षित हो सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • ख़र्चे अचानक बढ़ सकते हैं; आर्थिक प्रबंधन में सावधानी आवश्यक।
    • अकेलेपन या मानसिक उद्विग्नता का अनुभव हो सकता है।
  • उपाय/सलाह:
    • बेवजह के ख़र्चों पर नियंत्रण रखें और वित्तीय योजनाओं को मज़बूत बनाएं।
    • ध्यान-प्राणायाम करें और नकारात्मक विचारों से बचें।

2. वृषभ राशि (Taurus)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 11वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • आय या वित्तीय लाभ के नए स्रोत बन सकते हैं।
    • उच्चाधिकारी, मित्र-वृत्त और सामाजिक दायरे से सहयोग मिलने के संकेत।
  • चुनौतियाँ:
    • मुनाफ़े के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है।
    • कुछ मित्रों या संबंधों में दूरी या मनमुटाव हो सकता है।
  • उपाय/सलाह:
    • निवेश एवं बचत में संतुलन बनाए रखें।
    • अपने सामाजिक संपर्कों को मज़बूत करें, लेकिन आँख बंद करके भरोसा न करें।

3. मिथुन राशि (Gemini)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 10वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • करियर में नई ज़िम्मेदारियाँ मिल सकती हैं, जिससे आगे चलकर पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
    • यदि अनुशासन बनाए रखते हैं, तो स्थाई रूप से उपलब्धियों के दरवाज़े खुल सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • बॉस या वरिष्ठों के साथ मतभेद उभर सकते हैं।
    • काम का बोझ अधिक होने से तनाव या थकान की समस्या हो सकती है।
  • उपाय/सलाह:
    • अपने कार्यक्षेत्र में धैर्य व समर्पण बनाए रखें।
    • समय प्रबंधन और नियमित जीवनशैली अपनाएं।

4. कर्क राशि (Cancer)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 9वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • धार्मिक, आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण विकसित होगा।
    • भाग्य का कुछ सहारा मिलेगा, विशेषकर यदि आप अपनी मेहनत में ईमानदार हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • गुरुजनों से मतभेद या मार्गदर्शन में रुकावट महसूस हो सकती है।
    • विदेश यात्रा या उच्च शिक्षा में कुछ बाधाएँ आ सकती हैं, लेकिन स्थगन के बाद सफलता संभव है।
  • उपाय/सलाह:
    • पुरानी मान्यताओं की जगह नए दृष्टिकोण के लिए मन खुला रखें।
    • वरिष्ठों या धार्मिक मार्गदर्शकों का सम्मान बनाए रखें और उनसे सीख लें।

5. सिंह राशि (Leo)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 8वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • गूढ़ विज्ञान, रिसर्च या रहस्यमयी विद्याओं में रुचि बढ़ेगी।
    • अचानक धन लाभ (बीमा, विरासत, कमीशन) के योग बन सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (विशेषकर जोड़ों या हड्डियों) पर ध्यान रखना आवश्यक।
    • मानसिक तनाव या अवसाद की आशंका; पुराने ख़र्च या क़र्ज़ अचानक सामने आ सकते हैं।
  • उपाय/सलाह:
    • नियमित हेल्थ चेकअप कराएं और जीवनशैली स्वस्थ रखें।
    • गूढ़ शास्त्रों का अध्ययन करें लेकिन अंधविश्वास से बचें।

6. कन्या राशि (Virgo)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 7वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • पार्टनरशिप बिज़नेस या वैवाहिक जीवन में नयी ज़िम्मेदारियों के साथ स्थायित्व भी आ सकता है।
    • रिश्तों में परिपक्वता आने की संभावना।
  • चुनौतियाँ:
    • दाम्पत्य जीवन में मतभेद या मनमुटाव बढ़ सकते हैं, संवादहीनता से बचें।
    • पार्टनरशिप में कार्य करते हैं तो क़ानूनी दस्तावेज़ों की पूरी जाँच करें।
  • उपाय/सलाह:
    • रिश्तों में सम्मान और संवाद बनाए रखें।
    • साझेदारों से लेन-देन या करार करते समय सतर्कता बरतें।

7. तुला राशि (Libra)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 6वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • प्रतियोगी परीक्षाओं या मुक़दमों में विजय के संकेत, बशर्ते मेहनत करते रहें।
    • ऋण चुकाने या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से उबरने के अच्छे अवसर मिल सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • विरोधियों या प्रतिद्वंद्वियों से सचेत रहना आवश्यक।
    • पेट या पाचन तंत्र से जुड़ी कुछ तकलीफ़ हो सकती है।
  • उपाय/सलाह:
    • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अपनाएं।
    • अदालत या सरकारी मामले होने पर ईमानदार रुख़ रखें और देरी न होने दें।

8. वृश्चिक राशि (Scorpio)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 5वाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • रचनात्मकता बढ़ेगी, बुद्धि व कौशल में निखार आ सकता है।
    • प्रेम संबंधों में गंभीरता व स्थायित्व आने के योग।
  • चुनौतियाँ:
    • शिक्षा या संतान संबंधी विषयों में देरी या बाधाएँ हो सकती हैं।
    • प्रेम संबंधों में प्रतिबद्धता (कमिटमेंट) की माँग बढ़ेगी; हड़बड़ी में निर्णय न लें।
  • उपाय/सलाह:
    • पढ़ाई या नई स्किल सीखने में अतिरिक्त मेहनत करें।
    • प्रेम संबंधों में पारदर्शिता और परस्पर सम्मान बनाए रखें।

9. धनु राशि (Sagittarius)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 4थाँ भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • पारिवारिक वातावरण को व्यवस्थित करने का अवसर; घर-गृहस्थी में अनुशासन आएगा।
    • भूमि, भवन या वाहन संबंधी लाभ या खरीदारी की संभावना (हालाँकि देरी संभव)।
  • चुनौतियाँ:
    • माता या परिजनों की सेहत पर ध्यान देना ज़रूरी।
    • मानसिक शांति में कमी, भावनात्मक उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है।
  • उपाय/सलाह:
    • घर के बड़े-बुज़ुर्गों से तालमेल बिठाकर चलें, उनकी सलाह उपयोगी सिद्ध होगी।
    • घर-परिवार में संवाद बनाए रखें और आंतरिक कलह को पनपने न दें।

10. मकर राशि (Capricorn)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 3रा भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • साहस, संवाद और प्रयासों में वृद्धि होगी; नई परियोजनाओं की शुरुआत संभव।
    • छोटी यात्राओं या सेल्स-मार्केटिंग से जुड़े कार्यों में सफलता के संकेत।
  • चुनौतियाँ:
    • भाई-बहनों से मनमुटाव या वैचारिक मतभेद हो सकते हैं।
    • लगातार मेहनत के बावजूद धीमे परिणाम मिल सकते हैं, धैर्य रखें।
  • उपाय/सलाह:
    • योजनाओं को चरणबद्ध ढंग से पूरा करें और बिना तैयारी कोई जोखिम न लें।
    • परिवार में संचार को बेहतर बनाए रखें, अहंकार टकराव से बचें।

11. कुंभ राशि (Aquarius)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 2रा भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • आर्थिक संसाधनों में स्थिरता लाने का प्रयास सफल हो सकता है, बशर्ते आप धन संचय पर ध्यान दें।
    • वाणी में गंभीरता और प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे पारिवारिक एवं सामाजिक मान बढ़ेगा।
  • चुनौतियाँ:
    • अनियोजित ख़र्चों से आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।
    • पारिवारिक वातावरण में किसी मुद्दे पर बहस या विवाद हो सकता है।
  • उपाय/सलाह:
    • आय-व्यय का स्पष्ट बजट बनाकर चलें।
    • वाणी में मधुरता रखें, क्रोध या कटु शब्दों से बचें।

12. मीन राशि (Pisces)

शनि मीन राशि में: आपके लिए 1ला भाव सक्रिय होगा।

  • सकारात्मक पहलू:
    • शनि आपके व्यक्तित्व में परिपक्वता और गंभीरता लाएगा।
    • स्व-अनुशासन के द्वारा करियर, स्वास्थ्य और निजी रिश्तों में बेहतर परिणाम ला सकते हैं।
  • चुनौतियाँ:
    • स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता; थकान, जोड़ों का दर्द या मनोवैज्ञानिक दबाव संभव।
    • आत्मविश्वास में कभी-कभी कमी आ सकती है, नकारात्मक सोच से बचना होगा।
  • उपाय/सलाह:
    • जीवनशैली में अनुशासन (समय से भोजन, व्यायाम, नींद) अपनाएँ।
    • धैर्य से काम लें और बड़ा कोई क़दम सोच-समझकर उठाएँ।

सारांश और उपयोगी सुझाव

  1. आध्यात्मिक और व्यावहारिक संतुलन: शनि के मीन (जल तत्व) में गोचर के दौरान भावनाओं को सही दिशा देना और यथार्थ से जुड़े रहना आवश्यक है।
  2. धैर्य व अनुशासन: शनि धीरे परिणाम देता है, लेकिन उसकी नींव मज़बूत होती है। अतः निरंतर प्रयास और समर्पण ज़रूरी है।
  3. सेवा व परोपकार: शनि को प्रसन्न करने का सरल उपाय परोपकार, दान-पुण्य और ज़रूरतमंदों की मदद करना है।
  4. शुभ मंत्र-जाप:
    • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप प्रतिदिन या शनिवार के दिन करना लाभकारी माना जाता है।
    • बृहस्पति (गुरु) और चंद्र (मन) को मज़बूत करने के लिए भी मंत्र या उपासना की जा सकती है।
  5. वास्तविक कर्म: शनि कर्म प्रधान है; अच्छे कर्मों से उसका आशीर्वाद आसानी से मिल जाता है। अतः अपने कर्तव्यों का पालन करें, अनुचित मार्ग से बचें।

अंतिम सलाह: व्यक्तिगत स्तर पर किसी भी संशय या अधिक विस्तृत मार्गदर्शन के लिए किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित होता है। कुंडली में शनि की स्थिति, दशा-अंतर्दशा, तथा अन्य ग्रहों का समन्वय देखकर ही सही नतीजे पर पहुँचा जा सकता है।

इसी तरह शनि का मीन राशि में गोचर एक आत्म-मंथन का समय है, जिसमें आप अपनी भावनाओं, कर्मों और जीवन के उद्देश्य का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं। अनुशासन व धैर्य के साथ चलते हुए इस अवधि का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है।



For learning Astrology and other courses whtasa

Comments

Learn Astrology

you can buy recorded courses and research notes. contact on whatsapp @9899002983

About Me

My photo
prateek gupta
My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983

Popular posts from this blog

सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

जन्म पत्रिका के पंचम भाव को ठीक करने का वैदिक सूत्र - SECRET REMEDY FOR FIFTH HOUSE ASTROLOGY

Popular posts from this blog

सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

कुछ लोगो को इस बात की शिकायत रहती है के इन्हे अंदर से ताकत नहीं मिल रही. सब कुछ है लेकिन फिर भी जोश उमंग की कमी है जो तरक्की करने में परेशानी दे रही है. आज बात करते है वास्तु शास्त्र में इस समस्या को कैसे देखते है और क्या है इसका समाधान।

दही से मिलता है आकर्षण सच या झूठ ?

नमस्कार, पीछे मैंने कुछ जगह ये बात सुनी कुछ ज्योतिषियों के मुख से के दही यदि प्राइवेट पार्ट पर लगायी जाए तो काफी आकर्षण आपके अंदर आ जाता है जिससे विपरीत लिंग के लोग आपकी ओर खासकर स्त्रियाँ आकर्षित होती है. इससे आपका शुक्र मजबूत होगा और आप एक परम आकर्षक व्यक्ति बन जाएंगे.

जन्म पत्रिका के पंचम भाव को ठीक करने का वैदिक सूत्र - SECRET REMEDY FOR FIFTH HOUSE ASTROLOGY

कुंडली का जो पंचम भाव होता है वो उत्साह को दर्शाता है एक ऐसा उत्साह जिसमे व्यक्ति को जीने की तमन्ना मिलती है आगे बढ़ने का भाव मिलता है. आज के समय में काफी बड़ा वर्ग सिर्फ शांति की तलाश में इधर उधर भाग रहा है. थोड़ी सी भी परेशानी उन्हें भीतर तक हिला देती है. इन सबका कारण कुंडली का पांचवा भाव होता है. आज जानते है ऐसे छोटे छोटे उपाय जिन्हे आप अपना कर कुंडली पांचवे भाव को ठीक रख सकते है.

Shani Margi 2024 - शनि होंगे मार्गी कुम्भ राशि में, किस राशि पर क्या असर

 शनिदेव 15 नवंबर को मार्गी होने जा रहे है जो की लगभग 139 दिन की वक्र यात्रा पूरी करने के बाद अपनी खुद की राशि कुम्भ में मार्गी होंगे और इसका क्या प्रभाव हर राशि पर देखने को मिलेगा आइये जानते है. 

भलाई करते ही बुरे हाल - ज्योतिष अनुसार ऐसा कब होता है

कभी कभी एक बात सुनने को मिलती है नेकी कर दरिया में डाल यानी भलाई कर के भूल जाओ. लेकिन एक और कहावत है नेकी कर और जूते खा, यानी जितनी भलाई करते जाओगे उतनी परेशानियां बढ़ती ही जा रही है. ज्योतिष में भी ऐसा एक योग होता है जिसमे व्यक्ति जितना अच्छा करता है बदले में उतनी लानते उसे सहनी पड़ती है. आइये जानते है.