कामधेनु गाय के बारे में आपने सुना होगा समुन्द्र मंथन से प्राप्त ये गाय किसी भी इच्छा को पूरा करने में सक्षम मानी जाती है. इनके साथ बड़ी सारी कहानी जुडी है जैसे समस्त रुद्रों की माता, सुरभि गाय. लेकिन ज्योतिष और वास्तु शास्त्र जैसे विषयो में इनका स्वरुप कैसे समझा जाए आइये जानते है.
कामधेनु का मतलब अगर समझे तो काम यानी इच्छा और धेनु यानी गाय, एक ऐसी गाय जिसमे इच्छाओं को पूर्ण करने की क्षमता हो उसे कामधेनु कहा गया है. हालांकि कुछ जगह इनके बारे में अलग अलग वर्णन है कुछ कथाये इन्हे प्रजापति दक्ष की पुत्री के रूप में जानते है और कुछ महृषि वशिष्ठ की गाय के रूप में और तीसरा वर्णन हमें पता ही है के समुन्द्र मंथन से प्राप्त एक गाय. हर कहानी में एक बात महत्वपूर्ण है एक गाय माता है जिनमे असाधारण क्षमता है. शायद एक जिज्ञासु को इतने पर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए।
कामधेनु को शास्त्रों में गाय जिसका मुख एक स्त्री जैसा है दिखाया गया है, इनके पंख है और पूंछ भी थोड़ी मोर जैसी प्रतीत होती है. एक अजीब सी बात बताता हूँ इस्लामिक हदीस में एक जानवर का जिक्र है जिसे बुराक़ कहते है और ऐसा माना गया के पैगंबर मुहम्मद ने बुराक़ से यात्रा भी की और यहाँ तक की स्वर्ग तक की यात्रा का भी जिक्र है.
अगर रूप की बात करे तो इसका रूप भी हिन्दू शास्त्र की कामधेनु से मिलता जुलता है. इन्हे सुन्दर चेहरे वाला जानवर कहा गया है और हिन्दू धर्म में स्त्री के चेहरा दिखाया है.
तो ऐसे बड़े सारे नाम है जिन्होंने एक ऐसी गाये पाली या उन्हें मिली जो एक विशिष्ठ गाय रही. कृष्ण भगवान हो, या ब्रह्मा जी के मुख से निकली कपिला, ऋषि वशिष्ट या ऋषि जमदग्नि, कश्यप की पत्नी सबके पास से कोई दिव्य गाये की कहानी सुनने को मिलती है.
नोर्मल्ली ये माना जाता है के समुन्द्र मंथन से प्राप्त होने की वजह से ये मंथन से जुडी है लेकिन जब इस गाय की कहानिया पढ़ते है तो इस गाय ने युद्ध भी किये है पूरी सेना की भूख भी मिटाई है, यात्रा भी कराई है वो भी दिव्य स्थानों की. भगवद गीता में कृष्ण जी कामधेनु का नाम लेकर स्पष्ट करते है की जो व्यक्ति अपने कर्म में मगन है उसको उसकी इच्छा अनुसार दूध मिलता ही है और दूसरा संदर्भ स्कन्द पुराण में है जब शिव जी सुरभि को श्राप देते है की खाना तो तुम्हे अपवित्र भोजन ही पड़ेगा।
दोनों तरफ संकेत है के शायद मन की ऐसी अवस्था बुरे से बुरे दौर में भी विचलित नहीं होने वाला मनुष्य कामधेनु यानी अपने मन से चीज़ो को हासिल करने वाला बन सकता है. गाय को इन्द्रियाँ भी कहा गया है तो यहाँ इन्द्रियों को जीत कर कुछ भी प्राप्त करने की क्षमता भी कामधेनु हो सकती है क्यूंकि एक कथा के अनुसार सुरभि कृष्ण भगवान ने अपनी सांस से ही पैदा कर दी थी.
अब ज्योतिष की तरफ आते है तो चन्द्रमा और शुक्र का यहाँ मिलन है, गाय दूध देती है और उससे घी भी बनता है कथा बताती है की सप्तऋषियों को यज्ञ के लिए कामधेनु प्राप्त थी जिसमे घी की उन्हें आवश्यकता थी. अब यहाँ पूजा का संबंध है तो बृहस्पति ग्रह को भी लिया गया है क्यूंकि ब्राह्मण और गाय शांति के समर्थक जीव माने गए है. वृषभ राशि का यहाँ सीधा संबंध देखने को मिलता है वृषभ राशि भोजन से संबंधित है धन से संबंधित है. जब बच्चा पैदा होता है तो सबसे पहला भोजन दूध के रूप में लेता है. यहाँ चन्द्रमा शुक्र और बृहस्पति (जीवन) तीनो ग्रहों की उपस्थिति मानी गयी है.
हालाँकि राशि स्वामी शुक्र ही माना गया है. जहां हम बात करते है इन्द्रियों को वश में करने की तो एक इंतज़ार और सब्र सबसे महत्वपूर्ण विषय बन जाते है जैसे नंदी जी करते है शिव के लिए, हज़ारो वर्षो तक. तब कंही जाकर उन्हें दर्शन मिलते है. वृषभ राशि आपकी इच्छाओ को कामधेनु जैसा बनाने में सक्षम है क्यूंकि ये संसाधन की राशि है और यही से मनुष्य अपने लिए चीज़े इकट्ठी करना सीखता है. वृषभ लगन या राशि के जातको को कामधेनु गाए हमेशा अपनी इच्छाओ को एकत्र कर के एक जगह केंद्रित करना सीखा सकती है.
वही वास्तु शास्त्र जैसे ग्रंथ प्रतिमा विज्ञान पर चलते है. वास्तु विज्ञान ये मानता है के जैसी मूरत वैसी भावना मानसिक पटल पर दस्तक देती है और यदि इसे सही जगह उपयोग कर दिया जाए तो काम यानी इच्छाओ की शुद्धि जैसे घी की होती है के कौन सी इच्छा सही है और कौन सी गलत और कैसे किसी इच्छा पर केंद्रित रहा जाए ये कामधेनु गाय से सीखा जा सकता है. मंथन से प्राप्त है मन को निचोड़ कर निकली है यानी भीतरी गहराई जानती है पंख है तो उड़ना भी जानती है स्त्री है तो यकीनन सुंदरता और मन ज्यादा अधिकार है इसे लड़कर नहीं जीता जा सकता प्रेम से पाया जा सकता है.
अति इच्छा से हटकर सही इच्छा के लिए इसे दक्षिणपूर्व या पश्चिम दिशा में लगाना उचित रहेगा हालाँकि व्यक्ति विशेष के लिए उसके लिए सबसे ज्यादा दिखने वाली जगह पर लगाना चाहिए.
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