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चन्द्रमा से बारहवें भाव में बैठे ग्रह का रहस्य - secret of twelfth from moon



नमस्कार आज बात करते है कुंडली में चन्द्रमा से बनने वाले एक योग की. ज्योतिष शास्त्र में इसे अनफा योग कहते है और ये तब बनता है जब चन्द्रमा से पिछले भाव में कोई ग्रह बैठा हो. लेकिन इसमें भी समझने वाली बात है के कौन सा ग्रह चन्द्रमा के पीछे है जिससे इस योग के फल प्राप्त किये जाते है. आइये जानते है आसान शब्दों में 


एक जन्म पत्रिका हज़ारो रहस्य समेटे रखती है. इसमें झाँकने के बहुत सारे रास्ते है चाहे गणित के तरीके से चाहे दर्शन शास्त्र के तरीके से. 

चन्द्रमा की गति तीव्र होती है और ये एक जलीय ग्रह है यानी के जहां जाए वहां से संबंधित गुण धर्म व्यक्ति के मानसिक स्वभाव का हिस्सा बन जाते है. 


अब बात करते है के चन्द्रमा से बारहवें भाव का सूत्र क्या दिखाता है. 


अनफा योग कैसे बनता है. |  Anapha Yoga Formation

अब ऐसा माना जाता है के चन्द्रमा से पिछले यानी बारहवें भाव में कोई ग्रह आये तो अच्छा फल देगा। लेकिन यहाँ सूर्य राहु या केतु को नहीं लिया जाता मतलब के यदि चन्द्रमा से पीछे यदि राहु केतु या सूर्य है तो इसे अनफा योग की श्रेणी में नहीं लिया जाएगा। 


देखिये जब व्यक्ति का जन्म होता है तो चन्द्रमा की रफ़्तार देखी जाती है तो चंद्र देव आगे की ओर ही होते है हमेशा, तो इसका मतलब है के पिछले भाव से गुजर के आये है और उस भाव के गुण अभी भी समेटे हुए है जो की एक तरह से अवचेतन मन का हिस्सा बन गए जैसे जब आ प कार चलाना सीखते है तो शुरुआत में ब्रेक गियर का ख्याल रखते है लेकिन जैसे ही चलाना आ जाए तो ब्रेक गियर आप बिना ध्यान के भी बदलते रहते है कोई विशेष ध्यान आवश्यकता नहीं पड़ती. ऐसे ही चन्द्रमा जिस भाव से होकर गुजरा है वहां की विशेषताएं लेकर  ही जन्मा है. बस जरूरत है ध्यान में आने की. 

सूर्य के साथ चन्द्रमा अमावस्या के दिन होता है जहाँ वो खुद सारी ऊर्जा समाप्त कर के नयी ऊर्जा लेता है इसलिए पीछे सूर्य हो तो इसे योग में नहीं लेते, राहु केतु के साथ चन्दंर वक्र होकर अस्त जैसा हो जाता है वहां भी इस योग का निर्माण नहीं माना जाता। ऐसे में चंद्र जहां है वहीं को प्राथमिकता देनी होती है. 



अनाफा योग फल | Anapha  Yoga Results

अब बात करते है के इसके फल क्या होंगे। देखिये हर ग्रह अपनी तरह से चन्द्रमा को प्रभावित करता है इसलिए ग्रह अनुसार फल मिलते है. 


अब यदि मंगल ग्रह चन्द्रमा से बारह हो तो व्यक्ति के अंदर एक छुपी ऊर्जा हो सकती है ये ऊर्जा शारीरिक न होकर मानसिक हो सकती है क्यूंकि चन्द्रमा मन पर ये प्रभाव लेगा, गुस्सा अत्यधिक होगा. तर्क पर बात करना पसंद करेगा। अपने आप को बहुत ज्यादा समेट कर रखने वाला होगा. कई लोगो का रखवाला भी हो सकता है. बाकी भाव स्थिति में भी जरूर ध्यान रखे के किस भाव में ये योग बन रहा है वो भी अपना प्रभाव देगी. कभी कभी अपराध की प्रवृति भी इनमे पायी जाती है.


बुध आने पर व्यक्ति राजसिक होगा यानी के लिखना, बोलना, गाना, अच्छा वक्ता, सुन्दर, अपने ऊपर ध्यान देने वाला. वाणी से सम्पति अर्जित कर सकने ही हिम्मत वाला होगा. आशिक मिज़ाज़ होंगे और ये बिगड़े तो बर्बादी की हद तक जाएंगे क्यूंकि नशा करने की आदत पड़ जाएगी. ऐसे लोग सरकार या बड़े लोगो से जुड़े होते है और सम्मान भी पाते है. 



गुरु यदि चंद्र से बारह हो व्यक्ति का स्वभाव बिलकुल सरल होता है किसी एक विषय पर मेधावी हो सकते है जो आगे चलकर इनका पेशा भी बन सकता है. अपने विषय  पर टिका रहने से मान सम्मान मिलता है और एक अच्छी छवि लोगो के मन में इनकी बनी रहती है. 


शुक्र चंद्र से बारह होने पर एक स्वाभाविक आकर्षण व्यक्ति के अंदर रहता है. ऐसे लोग सरकार से लाभ पाते है. इनका मेडिकल, विज्ञान और दर्शन शास्त्र जैसे विषय पर झुकाव हो सकता है. ऐसे लोग अपने तरीके से दुनिया को देखते है और यही बात इनके प्रसिद्ध होने का कारण बनती है. ये एक अच्छे सलाहकार होते है.


शनि यदि चन्द्रमा से पीछे हो तो ऐसे लोग बहुत बड़े दानी होते है इनका मन सबके लिए खुला होता है. मेहनत से धन इनके पास जरुर आता है. इनकी वाणी गंभीर लेकिन मधुर लगने वाली होती है. ऐसे लोगो की मैरिड लाइफ बहुत अच्छी या बहुत बुरी होती है, मतलब नार्मल शादीशुदा जिंदगी नहीं होती क्यूंकि ये पिछले जन्मो का बंधन लिए होते है. 

तो ये एक ऐसा सूत्र है जिसे आप अनेक कुंडलियों पर लगाकर देख सकते हो के चन्द्रमा से बिलकुल पीछे जो ग्रह बैठा है उसका हमारी जिंदगी पर कितना ज्यादा प्रभाव है आपको सब समझ आने लगेगा। धन्यवाद 

Comments

  1. So beautifully explained!!! Simple yet indepth!! Incredible as always sir.. Please continue posting..

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  2. As usual,Incredible 🙏.i hv always learnt from your post.stay blessed sir🙏🙏.

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