वैदिक वास्तु के वास्तु पुरुष मंडल में 45 देवता का वास बताया गया है. ऐसा माना जाता है के हमारे जीवन की सभी समस्याऍ इन्ही 45 देवता के अंतर्गत आती है. ये 45 देवता एक तरह से 45 ऊर्जा क्षेत्र है जो हमारे जीवन को प्रभावित करते है. आज इस series को start करते है और ईशान कोण के देवता आपको बताते है.
vishwakarma prakash के अनुसार जब भी कोई घर का निर्माण होता है तो प्लाट में ऊर्जाओं का निर्माण स्वयं ही होने लगता है. इसमें सबसे पहले जिस ऊर्जा का निर्माण होता है वो ऊर्जा कोनों में produce होती है जैसे ईशान कोण, आग्नेय, वायव्य, नैऋत्य कोण में.
ऊपर दिए हुए diagram से आप आसानी जान सकते है के हम किस जोन और किन देवताओं के बारे जान रहे है. एक तरह से इन देवताओ की शक्ति के बारे में ही चर्चा कर रहे है.
ऊपर दिए हुए diagram से आप आसानी जान सकते है के हम किस जोन और किन देवताओं के बारे जान रहे है. एक तरह से इन देवताओ की शक्ति के बारे में ही चर्चा कर रहे है.
आज सबसे पहले बात करते है ईशान कोण में बनने वाली चार ऊर्जा जगहों की. इन्ही ऊर्जा क्षेत्रों से आप अपने जीवन की समस्याओं को पहचान सकते है.
अदिति (aditi zone vastu) - इसमें सबसे पहले जिस ऊर्जा क्षेत्र का निर्माण होता है वह अदिति के नाम से जाना जाता है. ये ऊर्जा क्षेत्र हमें बांधे रखती है, एक हौसला मिलता रहता है. संयम प्रदान करने वाला ये पीले रंग का जोन जब असंतुलित होता है तो मन में एक अजीब सा डर रहता है. अगर व्यक्ति में अंदर बिना बात के घबराहट बनी रहती है तो यही जोन खराब होता है. इस जोन में अगर मंदिर होता है तो व्यक्ति को परेशानी के समय में एक शक्ति मिलती रहती है जो परेशानी से लड़ने में मदद देती है.
दिति (diti vastu zone) - अदिति के बाद उत्तर-पूर्व में उत्तर की तरफ ही एक दूसरे ऊर्जा का निर्माण होता है जिसे दिति के नाम से जाना जाता है. ये शक्ति हमे सोच देती है एक विशाल और व्यापक सोच और उसकी तरफ पहुंचने का रास्ता क्या होना चाहिए। ये जोन खराब होने पर लोग निर्णय ही नहीं ले पाते उन्हें पता ही नहीं के उन्हें क्या करना है. बस अपनी पुराणी परम्परा को घसीटते है. खुद की कोई निर्णय क्षमता नहीं होती.
शिखी - shikhi vastu zone - उत्तर पूर्व दिशा में पूर्व की तरफ के पहले जोन को शिखि कहा गया है. शिखि एक सोच है एक idea, एक ऐसा idea जो सबको प्रभावित करे. जब हमें किसी आईडिया की जरूरत हो जो की बहुत बड़ा हो तो इस जोन का balance होना जरूरी है. किसी भी काम की शुरुआत एक तरह से शिखि से ही होती है. एक ऐसा idea जो बहुत बड़ा होता है या बड़ा बन जाता है शिखि की शक्ति के कारण ही होता है.
पर्जन्य - prajanya vastu zone - शिखि के बराबर में पूर्व की तरफ पर्जन्य वास्तु की जगह बतायें गयी है. एक तरह से ये चारों जोन - अदिति, दिति , शिखि पर्जन्य एक दूसरे से जुड़े है. पर्जन्य जोन में एक तरह से हमारी जिज्ञासा शांत होती है. वेदो के अनुसार ये घर में संतान उत्पत्ति का करक भी होता है, इस जोन को वृद्धि का जोन भी कहा गया है.
शायद यही कारण मिलता है के क्यों इस zone को सबसे खाली और साफ़ सुथरा रखने के लिए कहा जाता है क्यूंकि एक शुरुआत करने के लिए base हमें यही से मिलता है.
इसके बाद हम दक्षिण-पूर्व के ऊर्जा क्षेत्रों के बार चर्चा करेंगे, यदि कुछ जानकारी चाहिए तो आप comment box में पूछ सकते है.
Namaste sir ji.sir main yeh janna chahta hu ki agar koi disha 20 ya 30 degree aage piche hu toh kya 45 devata bhi according to degree aage piche honge ya yeh 45 dev fix hai.
ReplyDeleteAgni con ke devtao ke gun
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