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लाल किताब में केतु क्या क्या बताता है - lal kitab mai ketu



ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु एक छाया ग्रह है. ज्योतिष में केतु को झंडा माना गया है, जन्मकुंडली चाहे कितनी भी अच्छी हो लेकिन यदि केतु खराब है तो वाहन या मकान पर झंडा नही फहरा सकते. आइये जानते है केतु क्या महत्व रखता है लाल किताब ज्योतिष शास्त्र में  







ketu in lal kitab in hindi


केतु  मीन राशि में उच्च होता है इसके अलावा मिथुन, कन्या, धनु, मकर में भी ये अच्छे फल देता है. यदि किसी कुंडली में pehle bhav mai ketu हो तो सूर्य उच्च का माना जाता है. मंगल यदि छठे भाव में आ जावे तो केतु असर नही देता। 

पांचवे व् नौवे भाव में केतु संतान पक्ष प्रबल करता है. सांतवे घर में केतु अच्छा फल देता है. बारहवें घर में केतु धन सम्पति देता है. (ketu good in 12th house) शुक्र के साथ होने पर कामदेव की कृपा बनी रहती है, गुरु के साथ होने पर केतु श्रेष्ठ होता है. 

केतु यात्रा करने वाला माना जाता है.(ketu relate with travels) संतान का कारक ग्रह केतु होता है. इसके अलावा कुत्ता भी केतु माना जाता है लेकिन लाल रंग का कुत्ता केतु  नही होता। 



चारपाई भी केतु के प्रभाव में आती है, ऐसा माना जाता है के ससुराल से मिली चारपाई घर में होने केतु नीच फल नही देता। इसके अलावा ससुराल से मिली चारपाई पर सोने से संतान होती है. 


yadi ketu khrab fal de rha हो तो किसी के आगे अपना दुःख नही बताना चाहिए नही तो  परेशानी आती है.  





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