
जन्मकुंडली में अगर मंगल 1, 4, 7, 8, 12 भाव में बैठ जाये तो ऐसे में मंगली दोष माना जाता है. ऐसा माना जाता है के ये दोष वयक्ति के वैवाहिक जीवन में बाधा उत्त्पन्न करता है. लेकिन क्या आप जानते है के कुंडली में मांगलिक दोष का बनना आसान नही होता ऐसे बहुत सारे योग कुंडली में बनते है जिनसे मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो जाता है आइये जानते है इनमे से कुछ योगों के बारे में
SITUATIONS WHEN MANGLIK DOSH CANCELS ITSELF
कुछ लोगों का मानना है के MANGLIK DOSHA कुछ नही होता ऐसे में आपको कुछ कुण्डलियाँ भी मई जाएंगी जिसमे मंगल दोष बन रहा है लेकिन असल में ऐसा नही होता। पहली नज़र में किसी वयक्ति को मंगली बता देना आसान होता है लेकिन इसके प्रभाव उस पर होंगे या नही या मंगल कोई राजयोग का निर्माण कर रहा है बताना मुश्किल होता है. अभी हम आपको मांगलिक दोष के उपाय नही बता रहे है सिर्फ ये साफ़ कर रहे है के कुंडली में मांगलिक दोष का प्रभाव किस अवस्था में घट जाता है ये समाप्त हो जाता है
मंगलीक दोष होने पर यदि कि जिनसे वैवाहिक सम्बन्ध होने जा रहा हो उसकी कुण्डली में भी यह दोष वर्तमान हो. अगर वर और वधू दोनों की कुण्डली में समान दोष बनता है तो मंगल का BAD EFFECTS स्वत: नष्ट हो जाता है.
चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष, कर्क, वृश्चिक अथवा मकर राशि में हो और उसपर क्रूर ग्रहों की दृष्टि नहीं हो तो मंगलिक दोष का प्रभाव स्वत: ही कम होता है
मंगल राहु की युति होने से मंगल दोष का निवारण हो जाता है (Mars-Rahu combination destroys Manglik Dosha).
ज्योतिषीय विधान के अनुसार लग्न स्थान में बुध व शुक्र की युति होने से इस दोष का परिहार हो जाता है.
कर्क और सिंह लग्न में लगनस्थ मंगल अगर केन्द्र व त्रिकोण का स्वामी हो तो यह राजयोग बनाता है जिससे मंगल का अशुभ प्रभाव low हो जाता है.
वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष CANCEL हो जाता है.
ऐसे में हम कह सकते है के जन्म कुंडली में मांगलिक दोष आपक परेशान कर रहा है जरूरी नही. हो सकता है की और दोष कुंडली में बन रहा हो.
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