Skip to main content

वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक से करे परेशानी दूर


स्वस्तिक अत्यन्त प्राचीन काल 

से भारतीय संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता 

रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से

 पहले स्वस्तिक चिह्न अंकित करके उसका पूजन 

किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से 

बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता'

 या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार 

'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। जानते है  

वास्तु शत्र में इसका महत्व। 











types of swastik




स्वस्तिक की यह आकृति दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वस्तिक, 

जिसमें रेखाएँ आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दायीं ओर मुड़ती हैं। 


इसे 'स्वस्तिक' कहते हैं। यही शुभ चिह्न है, जो हमारी प्रगति की ओर संकेत


 करता है। दूसरी आकृति में रेखाएँ पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे


 बायीं ओर मुड़ती हैं। इसे 'वामावर्त स्वस्तिक' कहते हैं। भारतीय संस्कृति 


में इसे अशुभ माना जाता है। 





वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक  - how to use swastik in vastu shastra 



वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक का उपयोग नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करने के 

लिए किया जाता है. लेकिन एक बात हमें ये जान लेनी चाहिए के स्वस्तिक

 एक शक्ति यन्त्र की तरह काम करता है. इसका उपयोग हर घर में हर 

स्थान पर नही करना चाहिए व् इसका उपयोग करते समय किसी विद्वान 

की मदद लेनी चाहिए। इसका कारण यह है शक्ति यन्त्र होने के कारण आप 

जिस सोच और ऊर्जा से इसको स्थापित करेंगे उसी में बढ़ोतरी हो सकती

 है. इसलिए इसका उपयोग करते समय अपना मन व् भावना अच्छी व् 

शांत रखनी चाहिए। 




स्वस्तिक कई तरीके के हो सकते है कॉपर या ब्रास का स्वस्तिक दक्षिण या 

पश्चिम दिशा में लगता है, चांदी का स्वस्तिक पूर्व व् उत्तर दिशा में लगता 

है. कागज़ या प्लास्टिक का स्वस्तिक आप कही भी लगा सकते हो. 

टॉयलेट - बाथरूम के पास स्वस्तिक आकृति नही लगानी चाहिए - 

  वास्तुशास्त्र में वायव्य दिशा

कहाँ करे उपयोग 


आप घर के बाहर मैन गेट पर स्वस्तिक आकृति बना सकते है 

दक्षिण दिशा को भारी करने के लिए इसका उपयोग होता है 

अपने बैडरूम में स्वस्तिक का  उपयोग ना करें 

घर के मंदिर में छोटा स्वस्तिक रख सकते है 

घर के कमरों के बाहर स्वस्तिक लगा सकते है 

काले रंग का स्वस्तिक उपयोग न करे 

घर में जगह जगह स्वस्तिक न लगाये







Comments

Learn Astrology

you can buy recorded courses and research notes. contact on whatsapp @9899002983

About Me

My photo
prateek gupta
My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983

Popular posts from this blog

सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

जन्म पत्रिका के पंचम भाव को ठीक करने का वैदिक सूत्र - SECRET REMEDY FOR FIFTH HOUSE ASTROLOGY

Popular posts from this blog

सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

कुछ लोगो को इस बात की शिकायत रहती है के इन्हे अंदर से ताकत नहीं मिल रही. सब कुछ है लेकिन फिर भी जोश उमंग की कमी है जो तरक्की करने में परेशानी दे रही है. आज बात करते है वास्तु शास्त्र में इस समस्या को कैसे देखते है और क्या है इसका समाधान।

दही से मिलता है आकर्षण सच या झूठ ?

नमस्कार, पीछे मैंने कुछ जगह ये बात सुनी कुछ ज्योतिषियों के मुख से के दही यदि प्राइवेट पार्ट पर लगायी जाए तो काफी आकर्षण आपके अंदर आ जाता है जिससे विपरीत लिंग के लोग आपकी ओर खासकर स्त्रियाँ आकर्षित होती है. इससे आपका शुक्र मजबूत होगा और आप एक परम आकर्षक व्यक्ति बन जाएंगे.

जन्म पत्रिका के पंचम भाव को ठीक करने का वैदिक सूत्र - SECRET REMEDY FOR FIFTH HOUSE ASTROLOGY

कुंडली का जो पंचम भाव होता है वो उत्साह को दर्शाता है एक ऐसा उत्साह जिसमे व्यक्ति को जीने की तमन्ना मिलती है आगे बढ़ने का भाव मिलता है. आज के समय में काफी बड़ा वर्ग सिर्फ शांति की तलाश में इधर उधर भाग रहा है. थोड़ी सी भी परेशानी उन्हें भीतर तक हिला देती है. इन सबका कारण कुंडली का पांचवा भाव होता है. आज जानते है ऐसे छोटे छोटे उपाय जिन्हे आप अपना कर कुंडली पांचवे भाव को ठीक रख सकते है.

Shani Margi 2024 - शनि होंगे मार्गी कुम्भ राशि में, किस राशि पर क्या असर

 शनिदेव 15 नवंबर को मार्गी होने जा रहे है जो की लगभग 139 दिन की वक्र यात्रा पूरी करने के बाद अपनी खुद की राशि कुम्भ में मार्गी होंगे और इसका क्या प्रभाव हर राशि पर देखने को मिलेगा आइये जानते है. 

भलाई करते ही बुरे हाल - ज्योतिष अनुसार ऐसा कब होता है

कभी कभी एक बात सुनने को मिलती है नेकी कर दरिया में डाल यानी भलाई कर के भूल जाओ. लेकिन एक और कहावत है नेकी कर और जूते खा, यानी जितनी भलाई करते जाओगे उतनी परेशानियां बढ़ती ही जा रही है. ज्योतिष में भी ऐसा एक योग होता है जिसमे व्यक्ति जितना अच्छा करता है बदले में उतनी लानते उसे सहनी पड़ती है. आइये जानते है.