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वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष की कथा - vastu purush

  वास्तु शास्त्र के दूसरे लेक्चर में बात करते है वास्तु पुरुष की जिसके बिना वास्तु शास्त्र की शुरुआत भी नही की जा सकती, प्राचीन काल में अंधकासुर नाम का राक्षस हुआ जिससे युद्ध करते समय भगवान शिव को पसीना आ गया, पसीने की बूँद जब पृथ्वी पर गिरी तो भयानक सा प्राणी उतपन्न होने लगा. देवताओं ने मिलकर उसे जमीन पर टिक दिया औंधे मुह और उस पर निवास किया।



इसके अलावा एक अन्य कथा अनुसार देवता और असुर युद्ध शुक्राचार्य जी ने अपने पसीने से एक महान असुर को जन्म दिया, जिससे देवता घबराकर शिव जी के पास गए और शिव जी उसे अपने तीसरे नेत्र के मात्रा दिखाने से डरा दिया और वो राक्षस इधर उधर भागने लगा और बाद में उसे भूमि में दबाया गया, इसमें कुल 45 देवताओं और राक्षसों की मदद ली गई  जिसमे 13 देवता अंदर की ओर और 32 देवता बाहर की ओर बैठे और इसके बाद उस राक्षस को वास्तु पुरुष बनने के वरदान भी मिला और हर पृथ्वी निवासी इसका पूजन करता रहेगा।।।।



कुछ इसी तरह की कथाएं अलग अलग वास्तु ग्रन्थों में मिलती है, और हर कथा में देवता उस राक्षस के ऊपर निवास करते है.  अगर मैं अपनी भाषा में बात करू तो जितना मेरा ज्ञान है के ये राक्षस की कथा इनके ऊपर देवताओं का निवास करना ये एक इतना गूढ़ ज्ञान है जिसे आम जन मानस को समझाने के लिए किसी न किसी कथा का निर्माण जरूरी था.



 अगर ये समझाया जाए के 45 उर्जायें एक property में होती है कोई सुनहरी और चांदी सी कोई काली कोई पीली  तो बात समझ से परे हो जायेगी. इन 45 देवताओं को ही ऊर्जा माना गया है और इनके अनुसार ही वास्तु चलता है. अब इन्हें चाहे आप देवता मानो या ऊर्जा स्त्रोत, बात एक ही है. बहुत गहराई में अगर आपने जाना है तो वास्तु पुरुष का अध्ययन जरूरी होता है क्योंकि हर देवता आपको अलग अलग effect देता है. 



चित्र से आप वास्तु पुरुष की स्थिति देख सकते है, इसमें वास्तु पुरुष का सर, पैर, हाथं, नाभि सब देख सकते है. इस चित्र को वास्तु पुरुष मंडल बोलते है इसमें देवताओ ( कुछ राक्षसों की) की स्थिति देखि जा सकती है. 



 इसे वास्तु पुरुष मंडल भी बोलते है, जो की १*१ से लेकर 14*14 तक जाते है लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित 8*8 and 9*9 के ही वास्तु मंडल प्रचलति है. इस चित्र में 9*9 का मंडल दिखता है जिसमे 81 पद माने गए है.property को मंडल में बाँटने की प्रक्रिया को वास्तु विन्यास कहा जाता है. 



ये वास्तु का वैदिक हिस्सा है लेकिन आगे हम थोड़े मॉडर्न तरीके से ही. चर्चा करेंगे. इसमें 32 देवता बाहर की ओर और 13 देवता अंदर की ओर बैठते है. हर देवता वरदान देने में सक्षम माना गया है. 


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