भूमिका (Introduction) नमस्कार, आज हम शनि ग्रह और हमारे कर्म ऋण (Karmic Debt) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। शनि को न्यायाधीश और कर्म फलदाता कहा जाता है। जन्म कुंडली में शनि जिस भाव में स्थित होता है, वहां से यह संकेत देता है कि हमारे पिछले जन्म के कौन से कर्म इस जन्म में प्रभाव डाल रहे हैं। शनि हमें सिखाता है कि कैसे अनुशासन, धैर्य और कर्म के माध्यम से अपने जीवन में संतुलन लाया जाए। तो चलिए जानते हैं शनि का प्रभाव बारह भावों में और यह हमें कौन सा महत्वपूर्ण पाठ सिखाता है।
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