शनि को मंद गति से चलने वाला क्रूर ग्रह माना जाता है. शनि नीच कर्म का और परिश्रम का स्वामी होता है.लाल किताब (Lalkitab) शनि को कर्मों के अनुसार पाप पुण्य का लेखा जोखा करने वाला ग्रह मानता है. लाल किताब टेवे में अलग अलग खाने में स्थित होकर शनि शुभ और मंदा फल देता है.लाल किताब (Lal Kitab) खाना नम्बर 10 को शनि का पक्का घर कहता है. वैदिक ज्योतिष इस भाव को कर्म भाव, कैरियर और व्यवसाय का घर मानता है.ज्योतिषशास्त्र की वैदिक परम्परा में इस भाव से पिता एवं उनसे मिलने वाली सम्पत्ति का भी विचार किया जाता है. शनि देव कर्म के अधिपति होने से इस घर के अधिकारी है, दूसरे, तीसरे, सातवें और बारहवें खाने में शनि श्रेष्ठ होते हैं. शनि का मंदा घर एक, चार, पांच एवं छठा होता है. बुध, शुक्र एवं राहु के साथ शनि मित्रवत व्यवहार करते हैं.इनकी शत्रुता सूर्य, चन्द्र एवं मंगल से रहती है.केतु एवं बृहस्पति के साथ शनि समभाव रखते हैं.मेष राशि में ये नीच होते हैं जबकि तुला राशि में उच्च.शनिदेव शनिवार के अधिकारी होते हैं. दृष्टि, सिर के बाल, कनपटी, भौंहें एवं रक्त वाहिनी नाड़ियां शरीर में शनि से प्रभावित होती है.विचारों मे...
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