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लाल किताब के अनुसार शनि - saturn in lal kitab

शनि को मंद गति से चलने वाला क्रूर ग्रह माना जाता है. शनि नीच कर्म का और परिश्रम का स्वामी होता है.लाल किताब (Lalkitab) शनि को कर्मों के अनुसार पाप पुण्य का लेखा जोखा करने वाला ग्रह मानता है. लाल किताब टेवे में अलग अलग खाने में स्थित होकर शनि शुभ और मंदा फल देता है.लाल किताब (Lal Kitab) खाना नम्बर 10 को शनि का पक्का घर कहता है. वैदिक ज्योतिष इस भाव को कर्म भाव, कैरियर और व्यवसाय का घर मानता है.ज्योतिषशास्त्र की वैदिक परम्परा में इस भाव से पिता एवं उनसे मिलने वाली सम्पत्ति का भी विचार किया जाता है. शनि देव कर्म के अधिपति होने से इस घर के अधिकारी है, दूसरे, तीसरे, सातवें और बारहवें खाने में शनि श्रेष्ठ होते हैं. शनि का मंदा घर एक, चार, पांच एवं छठा होता है. बुध, शुक्र एवं राहु के साथ शनि मित्रवत व्यवहार करते हैं.इनकी शत्रुता सूर्य, चन्द्र एवं मंगल से रहती है.केतु एवं बृहस्पति के साथ शनि समभाव रखते हैं.मेष राशि में ये नीच होते हैं जबकि तुला राशि में उच्च.शनिदेव शनिवार के अधिकारी होते हैं. दृष्टि, सिर के बाल, कनपटी, भौंहें एवं रक्त वाहिनी नाड़ियां शरीर में शनि से प्रभावित होती है.विचारों मे...

वास्तु में सैंधा नमक का प्रयोग - rock salt benefit

भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक होता है इसके अलावा एक और नमक का उपयोग किया जाता है सैंधा नमक (rock salt) जिसका प्रचलन धीरे धीरे कम होता जा रहा है.   click to read in english - rock salt benefit  आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये भी अच्छा होता है, दस्त में काफी उपयोगी होता है। इसका उल्लेख आयुर्वेद में अनेक जगह मिलता है. लेकिन क्या जानते है वास्तु शास्त्र में भी इसे बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है.  वास्तु शास्त्र के अनुसार जो की अब वैज्ञानिक रूप से भी साबित हो चुका है के सेंध नमक वातावरण में ऑक्सीजन की मात्र बढ़ाता है इसके लिए rock salt lamp का उपयोग किया जाता है जो की बाजार में उपलब्ध होता है जिन स्थानो पर शुद्ध वायु नही आती उस स्थान पर इसे रखने से उस स्थान की वायु शुद्ध हो जाती है. आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से बीपी, डाइबिटीज, लकवा जैसी बीमारियो होने का खतरा बना रहता है। लेकिन  सेंधा नमक एक नमक होने के बाद भी बीपी पर नियन्त्रण रहता है ।...

लाल किताब के अनुसार गुरु के उपाय - juputer in lal kitab

लाल किताब के अनुसार गुरु के उपाय  प्रथम   भावमें   स्थित   बृ्हस्पति   के   उपाय (Remedies of of Jupiter in the first house) 1)  नाक   में   चाँदी   पहने  (  धारण   करे ) 2)  सोने   की   जंजीर   गले   में   पहनें . 3)  दरिया   में   सरसो   का   तेल   प्रवाहित   करें . 4)  नदी   में   बादाम   प्रवाहित   करें . 5)  चलते   पानी   में   नारियल   छोडे़ . 6)  गाय   पाले   या   उसकी   सेवा   करें . 7)  अछूत   की   सेवा   करें . 8)  केसर   का   तिलक   लगाएं . द्वितीय   भाव   में   स्थित   बृ्हस्पति   के   उपाय   (Remedies of Jupiter in the second house) 1)  चने   का   दाल   मन्दिर   में   शिवजी   पर   चढा़ये . 2)  गाय   का   पूजन   करें . 3)  कन्या ...

लगातार समस्याओं के उपाय - vastu tips for uncertain problems

कभी कभी ऐसा देखा जाता है की समस्याए लगातार आती रहती हैं. एक ख़त्म होती है दूसरी आ जाती है या कोई काम बनता बनता रह जाता है. ये सब कैसे हो रहा हे समझ से परे  होता है. इसके अलावा दिशाओं का ज्ञान भी नही होता ऐसे में क्या करें। आइये हम आपको बताते है किस  कारन ये समस्याए आती है और क्या है उपाय  1.  घर में कबाड़ा होना- अक्सर लोगो को पुराने सामान, सिक्के, लोहा, लकड़ी, सँभालने की आदत होती है जोकि वास्तु के सबसे बड़े दोषो में माना जाता है. इन कबाड़ को घर से निकले। 2.  घर में रोज़ाना साफ़-सफाई करें, टूटे फूटे सामान , बर्तनो, पुराने कपडे घर से निकाले। 3 टॉयलेट व् बाथरूम को बिलकुल साफ़ व् सुखा  रखे, बाथरूम चन्द्रमा से व् टॉयलेट राहु से सम्बन्ध रखता है. गंदे होने पर मानसिक शांति नही मिलेगी।  4 छत्त व् सीढ़ियाँ राहु ग्रह के अधीन होती है इन्हे बिलकुल साफ़ सुथरी रखे इससे अचानक आने वाली दिक्कते फिर अचानक लाभ का कारण बनने लगेंगी 5 घर में से खराब घड़ियाँ व् इलेक्ट्रॉनिक सामान हटा दीजिये हालाँकि ये बात आपको पढ़ने  के लिए बहुत जगह मिल जाती है लेकिन करना सबसे मु...

वास्तुशास्त्र में वायव्य दिशा - north-west in vastu shastra

वास्तुशास्त्र  में वायव्य दिशा  वायव्य दिशा उत्तर पश्चिम के मध्य को कहा जाता है.वायु देव इस दिशा के स्वामी हैं.ग्रहो में इस दिशा का प्रतिनिधित्व केतु गृह करता है. वास्तु शास्त्र में इस दिशा को वायु का इलाका माना  जाता है.  वायु दिशा होने के कारण इस कोने में सबसे काम  वास्तु नियम लागु होते है, आप इस दिशा में टॉयलेट, किचन, बैडरूम, बाथरूम का निर्माण करवा सकते है.  वायु तत्त्व ज्यादा होने के कारण इस दिशा जो भी आता है उसमे वायु तत्त्व बढ़  जाता है इसिलिए इस कोने में बड़ी उम्र के लोगो को सोने से मना किया जाता है.  इस कोने में जवान व शादी के लायक बच्चे सोय तो अच्छा रहेगा। वायु का   इलाका होने से यदि इस दिशा में दुकानदार अपना बिक्री वाला सामान रखता है तो बिक्री बढ़ती है.  वास्तु की दृष्टि से यह दिशा दोष मुक्त होने पर व्यक्ति के सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आती है.लोगों से सहयोग एवं प्रेम और आदर सम्मान प्राप्त होता है.इसके विपरीत वास्तु दोष होने पर मान सम्मान में कमी आती है.लोगो से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते और अदालती मामलों में भी ...

वास्तुशास्त्र में पश्चिम दिशा का महत्व (West direction in Vastu)

पश्चिम दिशा का स्वामी वरूण देव  हैं.इसके अलावा शनि देव भी  पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व  करते हैं. जानते है पश्चिम दिशा का  वास्तु शास्त्र मे महत्व  भवन बनाते समय इस  दिशा को रिक्त नहीं रखना  चाहिए.इस दिशा में भारी निर्माण  शुभ होता है. इस दिशा की दीवार  घर  की अन्य दीवारों से  मोटी  होनी  चाहिए।  यह दिशा वास्तुशास्त्र की दृष्टि से शुभ होने पर मान सम्मान, प्रतिष्ठा, सुख  और समृद्धि कारक होता है.पारिवारिक जीवन मधुर रहता है.  वास्तु  के अनुसार west direction में कमरा होना अच्छा  रहता है.   इस दिशा में वास्तुदोष होने पर गृहस्थ जीवन में सुख की कमी आती  है.पति पत्नी के बीच मधुर सम्बन्ध का अभाव रहता है.कारोबार में  साझेदारों से मनमुटाव रहता है. वास्तु शास्त्र के  यदि आपका घर पश्चिम मुखी है तो आपका मुख्य द्वार  वरुण देव या पुष्पदंत्त पद से होना शुभ प्रभाव देता है. इस दिशा में किसी भी प्रकार की बोरिंग या गड्डे करने से बचना चाहिए। घर में पानी का बहाव पश्चिम की और नही ह...

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My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983