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पंचम भाव के स्वामी का हर भाव में फल — पूर्ण लेख

नमस्कार दोस्तों, आज बात करेंगे जन्म कुंडली के पंचम भाव की, और पंचम भाव का मालिक किस भाव में बैठा है उसका क्या फल होगा. यहाँ दो बाते समझनी जरुरी होती है, एक तो ये के पांचवा भाव क्या प्रॉपर्टीज लेकर चलता है, दूसरा ये के पंचम भाव में जो राशि है उस राशि का मालिक पंचमेश कहलाता है. तो आइये चलते है वीडियो की ओर और जानते है पंचमेश का हर भाव में फल. 

RAHU TRANSIT IN SATBHISHA NAKSHATRA

  (शनि द्वारा शासित राशि , वरुण/Varuṇa की ऊर्जा से भरा हुआ गहरा नक्षत्र )  कुल मिलाकर — “सच्चाई खुलेगी, रहस्य टूटेंगे, healing शुरू होगी पर पहले टूट-फूट दिखेगी” शतभिषा का अगर के साधारण मतलन जाने तो = • 100 doctors • 100 medicines • 100 illusions • 100 masks और राहु क्या है = • भ्रम (illusion) • sudden events • obsession • उलझन • unconventional steps जब Rahu अपने इस नक्षत्र में आता है, तो life में छुपा हुआ chapter खुलता है – चाहे वो health का हो, relationship का हो, career truth का हो या self-identity का। अब आपको देखना आपकी कुंडली में कुम्भ राशि किस भाव में है और चेक उस भाव के प्रॉपर्टीज नीचे लिखे बातो से 

शनि गोचर 12 भावों के हिसाब

शनि गोचर (Saturn Transit) हर किसी को एक जैसा नहीं सिखाता, वो उस भाव (house) के हिसाब से सिखाता है जहाँ से वह गुजर रहा होता है। मतलब — हर व्यक्ति का “Saturn Lesson” अलग होता है — कोई patience सीखता है, कोई responsibility, कोई letting go। चलिए अब इसे 12 भावों के हिसाब से समझते हैं.

शनि गोचर - सिखाता है जिम्मेदारी और विनम्रता

  शनि गोचर – जब नई गाड़ी लेकर रोड पर फँस गया! (और बाकी ज़िंदगी के सबक) कुछ महीने पहले मैंने बड़ी खुशी में अपनी नई गाड़ी ली। सोचो, वो फीलिंग — नई कार की खुशबू, सीट कवर चमक रहे, सब कुछ परफेक्ट। मैंने अपने दोस्तों को बोला, “अब देखना, मैं टाइम से सब काम करूंगा — ज़िंदगी सेट है!” पहले हफ्ते ही एक दिन दफ्तर के रास्ते में गाड़ी बीच सड़क पर बंद हो गई। ट्रैफिक पीछे से हॉर्न बजा रहा था, धूप तेज़, और मैं सोच रहा था — “नई गाड़ी में क्या दिक्कत?” पता चला, मैंने सर्विस की छोटी-सी appointment टाल दी थी क्योंकि “अभी तो नई है, क्या होगा!” और वहीं शनि मुस्कुराया — “सीख लो बेटा, लापरवाही का बिल हमेशा महंगा पड़ता है।”

बुध जिस भाव में होता है, वहाँ व्यक्ति को दूसरों को खुश करने की प्रवृत्ति नहीं दिखानी चाहिए

  बुध जिस भाव में होता है, वहाँ व्यक्ति को बहुत ज़्यादा लचीलापन (flexibility) या दूसरों को खुश करने की प्रवृत्ति नहीं दिखानी चाहिए। क्योंकि बुध स्वभाव से adaptable और people pleasing ग्रह है। अगर यह energy ज़्यादा हो जाए तो:

शुक्र जिस भाव में होता है, वहीं से लौटती है आपकी "चमक" - Venus remedy for every bhava

जब जीवन बोझिल हो जाए, जब मन बुझने लगे – शुक्र हमें बताता है कि हम अपने भीतर की रौनक और दुनिया से प्रेम कैसे वापस पा सकते हैं। हर भाव का शुक्र अपनी अलग दवा है, अपनी अलग रोशनी है। आइये जानते है हर भाव के अनुसार शुक्र कैसे ठीक किया जाए.

शनी देव वक्री होने जा रहे है वो भी मीन राशि में

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे 13 जुलाई को शनी देव वक्री होने जा रहे है वो भी मीन राशि में. इसका प्रभाव क्या होगा और हर लगन पर इसका असर होगा ये भी जानेंगे. 

गुरु से शनि ग्रह की दूरी का आपकी कुंडली पर प्रभाव

नमस्कार, आज हम बात करेंगे गुरु से शनि ग्रह की दूरी का आपकी कुंडली पर क्या प्रभाव होता है. आप जो किस्मत लेकर पैदा हुए है उसका कितना हिस्सा आप ले पाओगे ये भी इस दूरी से पता चल सकता है साथ ही क्या उपाय होने चाहिए ये भी समझेंगे। 

ज्योतिष में लग्न क्या होता है? (विस्तार से समझिए)

लग्न (Ascendant) को वैदिक ज्योतिष में ‘जीवन का द्वार’ कहा जाता है। यह वह विशेष बिंदु होता है जो व्यक्ति के जन्म के समय पूर्व दिशा (East) में आकाश में उदित हो रहा होता है। जिस राशि का यह बिंदु होता है, वही व्यक्ति की लग्न राशि कहलाती है।

बृहस्पति गोचर 2025

  बृहस्पति गोचर 2025 में बृहस्पति 15 मई 2025 को मिथुन राशि में प्रवेश करेगा और 19 अक्टूबर 2025 को कर्क राशि में जाएगा। यह गोचर "अतिचारी" होगा, यानी बृहस्पति अपेक्षाकृत तेज़ गति से राशि परिवर्तन करेगा। नीचे प्रत्येक लग्न (Ascendant) के लिए इस गोचर का संक्षिप्त प्रभाव दिया गया है:

शनि की सातवीं दृष्टि कैसे समझें - SEVENTH ASPECT OF SATURN

  “ऐसा शत्रु जो सामने न दिखाई दे, लेकिन भीतर से हानि पहुंचाए — शनि की सप्तम दृष्टि से।” शनि की सातवीं दृष्टि (7th aspect) सामने वाले भाव पर होती है, पर यह दृष्टि केवल "सामने के शत्रु" नहीं, बल्कि छिपे हुए karmic शत्रु, रिश्तों में छुपे विरोध , और धीमी गति से नुकसान पहुँचाने वाले लोग भी दर्शाती है। यहाँ भाव अनुसार छुपे हुए शत्रु का संकेत कैसे मिलेगा, सरल भाषा में समझिए:

स्त्रियों में मेकअप की रुचि – राहु और सौंदर्य का ज्योतिषीय रहस्य

  स्त्रियों में मेकअप की रुचि – राहु और सौंदर्य का ज्योतिषीय रहस्य मेकअप आज सिर्फ सौंदर्य बढ़ाने का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह आत्म-अभिव्यक्ति और रचनात्मकता का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। जिस तरह कलाकार रंगों से कैनवास को सजाता है, उसी तरह एक स्त्री अपने चेहरे को सौंदर्य की अभिव्यक्ति बनाती है। इस कलात्मक प्रवृत्ति के पीछे ग्रहों का भी गहरा प्रभाव होता है, विशेष रूप से राहु , शुक्र , चंद्रमा और बुध ।

राहु की अन्य ग्रहो से युति – रहस्य, विस्तार और परिणाम

  राहु की अन्य ग्रहो से युति – रहस्य, विस्तार और परिणाम राहु... एक छाया ग्रह, जिसकी न कोई अपनी राशि है, न कोई स्थूल रूप, लेकिन इसके प्रभाव की गहराई को समझना हर ज्योतिषी के लिए एक रहस्यलोक की सैर जैसा है। आमतौर पर इसे पाप ग्रह माना जाता है, परन्तु जब राहु अनुकूल अवस्था में हो और जातक की वृत्ति या पेशेवर राह से मेल खा जाए, तो यह उसे आसमान की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है। राहु का स्वभाव विस्तार देने वाला है — एक अनियंत्रित, अस्थिर, लेकिन शक्तिशाली विस्तार। जिस ग्रह के साथ यह जुड़ता है, उसकी करकत्व शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है, परंतु भ्रम, भ्रमित निर्णय और अस्थिरता भी साथ लाता है। इस विस्तार को समझने के लिए राहु के अनिवार्य साथी — केतु — को भी समझना जरूरी है। ये दोनों हमेशा जन्म कुंडली में ठीक 180° पर विराजमान रहते हैं, जैसे जीवन के दो छोर। राहु जहां "बाहर की दुनिया" है, वहीं केतु "भीतर की खोज"। दोनों का संतुलन ही राहु की शक्ति को सही दिशा में ले जा सकता है।

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह का छठे भाव में होना पिछले जन्म के अधूरे कर्म

 ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह का छठे भाव में होना पिछले जन्म के अधूरे कर्मों, खासकर महिलाओं और प्रेम संबंधों से जुड़े ऋण का संकेत है। इसे "स्त्री श्राप" भी कहा जाता है। यह स्थिति संकेत करती है कि जातक ने किसी पूर्व जन्म में स्त्रियों के प्रति गलत व्यवहार किया या रिश्तों में कर्तव्यों का पालन नहीं किया था, जिसका परिणाम इस जीवन में भुगतना पड़ रहा है।

पंचम भाव का स्वामी प्रत्येक भाव में (विस्तृत विवरण)

  🔱 पंचम भाव का स्वामी प्रत्येक भाव में (विस्तृत विवरण) 🔱 🌿 पंचम भाव (5th House) को ज्योतिष में बुद्धि, शिक्षा, संतान, प्रेम, रचनात्मकता और पूर्व जन्म के पुण्य से संबंधित माना जाता है। यह भाव हमारे मन की स्थिरता, निर्णय क्षमता, आत्म-अभिव्यक्ति और प्रेम संबंधों को दर्शाता है। 🌍 जब पंचम भाव का स्वामी किसी अन्य भाव में स्थित होता है, तो वह उस भाव के प्रभाव से मिलकर व्यक्ति के जीवन में विशेष फल प्रदान करता है। अब जानते हैं कि पंचमेश (पंचम भाव का स्वामी) जब अलग-अलग भावों में होता है तो क्या प्रभाव डालता है।

शुक्र-राहु युति" या "शुक्र राहु का योग

 शुक्र और राहु का संयोजन ज्योतिष में एक विशेष योग माना जाता है। इसे सामान्यतः "शुक्र-राहु युति" या "शुक्र राहु का योग" कहा जाता है। आइए इस संयोजन को विस्तार से समझते हैं: शुक्र और राहु का स्वभाव: शुक्र: प्रेम, सौंदर्य, कला, विलासिता, धन, भोग-विलास, आकर्षण और रिश्तों का प्रतिनिधित्व करता है। राहु: भ्रम, छल-कपट, आकस्मिक घटनाएं, माया, विदेशी चीजें, महत्वाकांक्षा, तीव्र इच्छा, अपरंपरागत मार्ग, टेक्नोलॉजी, और अचानक लाभ या हानि का कारक है।

शनि और आपका कर्म ऋण (भाव अनुसार) – एक विस्तृत व्याख्यान - Past life karma and saturm

  भूमिका (Introduction) नमस्कार, आज हम शनि ग्रह और हमारे कर्म ऋण (Karmic Debt) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। शनि को न्यायाधीश और कर्म फलदाता कहा जाता है। जन्म कुंडली में शनि जिस भाव में स्थित होता है, वहां से यह संकेत देता है कि हमारे पिछले जन्म के कौन से कर्म इस जन्म में प्रभाव डाल रहे हैं। शनि हमें सिखाता है कि कैसे अनुशासन, धैर्य और कर्म के माध्यम से अपने जीवन में संतुलन लाया जाए। तो चलिए जानते हैं शनि का प्रभाव बारह भावों में और यह हमें कौन सा महत्वपूर्ण पाठ सिखाता है।

चतुर्थ भाव (4th House) और उसका स्वामी

  चतुर्थ भाव (4th House) और उसका स्वामी चतुर्थ भाव माता, गृह-सुख, वाहन, संपत्ति, ज़मीन-जायदाद, मन की शांति, और मानसिक सुख-सुविधाओं को दर्शाता है। जिस ग्रह के पास चतुर्थ भाव का स्वामित्व होता है, उसे चतुर्थ भावेश कहा जाता है। कुंडली में यह ग्रह जिस भाव में स्थित होता है, वहाँ की स्थितियों और कारकों को चतुर्थ भाव की ऊर्जा प्रदान करता है। चतुर्थ भाव का स्वामी (4th Lord) जब विभिन्न भावों में जाता है, तो उस भाव के साथ-साथ चतुर्थ भाव के कारक तत्वों में भी परिवर्तन और प्रभाव देखने को मिलता है। साथ ही, अगर वह शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पाप ग्रहों से दृष्ट हो, तो उसका फल और भी परिवर्तित हो जाता है।

शनि का मीन राशि में गोचर - Saturn transit in Pisces sign results

  1. शनि और मीन राशि का परिचय शनि (Saturn) का मूलभूत स्वभाव वैदिक ज्योतिष में शनि को कर्म, अनुशासन, समय, संघर्ष और न्याय का कारक माना जाता है। शनि जहाँ भी गोचर करता है, वहाँ धैर्य, अनुशासन और परिश्रम की महत्ता बढ़ जाती है। शनि प्रायः धीरे-धीरे परिणाम देता है, लेकिन उसके फल स्थायी होते हैं—यह बात बृहत्पाराशर होरा शास्त्र एवं फलगुणदीपिका जैसे ग्रंथों में वर्णित है। मीन राशि (Pisces) का मूलभूत स्वभाव मीन राशि बृहस्पति (गुरु) की स्वामित्व वाली जलतत्त्व राशि है। मीन राशि से जुड़ी प्रमुख विशेषताएँ हैं—भावुकता, कल्पनाशीलता, दानशीलता, आध्यात्मिकता और संवेदनशीलता। इसकी प्रवृत्ति अंतर्मुखी (इंट्रोवर्ट) और रहस्यवादी भी हो सकती है। शनि का मीन राशि में गोचर जब शनि एक जलतत्त्व राशि में प्रवेश करता है, तो हमारे भावनात्मक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर विशेष प्रभाव डालता है। मीन राशि में गोचर के दौरान शनि का मुख्य उद्देश्य होता है—भावनाओं में अनुशासन लाना, आध्यात्मिकता को वास्तविक कर्म और ज़िम्मेदारियों से जोड़ना, और भ्रम या कल्पनालोक में जीने की बजाय यथार्थ को स्वीकार करना। 2. प्राचीन ग्रंथों ...

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My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983