शनि गोचर – जब नई गाड़ी लेकर रोड पर फँस गया! (और बाकी ज़िंदगी के सबक)
कुछ महीने पहले मैंने बड़ी खुशी में अपनी नई गाड़ी ली। सोचो, वो फीलिंग — नई कार की खुशबू, सीट कवर चमक रहे, सब कुछ परफेक्ट।
मैंने अपने दोस्तों को बोला, “अब देखना, मैं टाइम से सब काम करूंगा — ज़िंदगी सेट है!”
पहले हफ्ते ही एक दिन दफ्तर के रास्ते में गाड़ी बीच सड़क पर बंद हो गई।
ट्रैफिक पीछे से हॉर्न बजा रहा था, धूप तेज़, और मैं सोच रहा था — “नई गाड़ी में क्या दिक्कत?”
पता चला, मैंने सर्विस की छोटी-सी appointment टाल दी थी क्योंकि “अभी तो नई है, क्या होगा!”
और वहीं शनि मुस्कुराया — “सीख लो बेटा, लापरवाही का बिल हमेशा महंगा पड़ता है।”
शनि हमें सज़ा नहीं देता, सबक देता है
उस दिन मैंने दो बातें सीखी —
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छोटी चीज़ें टालना ही बड़ी मुसीबत बनती हैं।
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और जब हालात खराब हों, तो गुस्सा नहीं, जिम्मेदारी लेनी पड़ती है।
शनि यही सिखाता है — कर्म करो, शिकायत मत करो।
अगला सबक – जब सब तुम्हारे खिलाफ़ लगता है
फिर एक और हफ़्ता आया।
फोन गिर गया, मीटिंग में प्रोजेक्टर बंद हो गया, और बॉस ने बोला “तुम हमेशा लेट क्यों आते हो?”
उस दिन मैंने सच में सोचा — “क्यों सब मेरे साथ ही होता है?”
पर अंदर से आवाज़ आई — “क्योंकि तुम अभी तक अपनी गलती दूसरों पर डालते हो।”
यही है शनि का असली पाठ — Accountability.
गुरु बनाम शनि – दोनों टीचर हैं, बस तरीका अलग है
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गुरु प्यार से समझाता है — “चलो बेटा, कोई बात नहीं, अगली बार संभल जाना।”
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शनि थपकी नहीं देता, झटका देता है — “अब देख, देर की तो नतीजा क्या होता है।”
दोनों सिखाते हैं, बस एक मिठाई से, दूसरा कड़वी दवा से।
शनि का असली काम
शनि हमारी चाल धीमी करता है ताकि हम खुद को देख सकें।
वो कहता है — “तेज़ मत भागो, नहीं तो खुद से दूर हो जाओगे।”
धीरे चलो, पर सही चलो।
आख़िरी बात
जब भी लगे कि ज़िंदगी रोक रही है,
समझ लो शनि कह रहा है — “रुक कर देखो, क्या सुधार सकते हो।”
“शनि गिराता नहीं, टिकना सिखाता है।”
“वो तुम्हें नीचा नहीं दिखाता — बस ज़मीन पर लाता है।”
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