नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे 13 जुलाई को शनी देव वक्री होने जा रहे है वो भी मीन राशि में. इसका प्रभाव क्या होगा और हर लगन पर इसका असर होगा ये भी जानेंगे.
पहले बात करते है के शनी मीन राशि में वक्री होते है तो क्या सीखने को मिलता है. जब शनी मीन राशि में गोचर करते हुए वक्री हो जाता है, तो यह घटना राशि नहीं, बल्कि मीन स्वभाव को छूती है—उसकी गहराई, उसकी भावुकता, और उसकी अंतर्दृष्टि को।
मीन राशि स्वयं में रहस्य की तरह होती है—एक गहरे समुद्र जैसी, जहाँ भावनाएँ मौन लहरों की तरह उठती हैं और डूब जाती हैं। शनी जब इस भावनात्मक जल में वक्री होता है, तो वह सतह की शांति को हिला नहीं देता—बल्कि उस गहराई में उतरकर चीज़ों को समझने और साफ़ करने का मौका देता है। अब आप ये जरूर चेक कीजिये के मीन राशि आपकी कुंडली के किस भाव में है इससे आपको खुद पर खुद समझ आता जाएगा.
शनी का वक्री होना ये बताता है की ये समय है जब मीन की सहज कल्पनाशक्ति थोड़ी वास्तविकता से टकराती है और एक सच्चाई का सामना जैसी स्थिति देखने को मिलती है । सपनों और सच्चाई के बीच की रेखा धुंधली हो सकती है, लेकिन यही वक्री शनी बार-बार याद दिलाता है कि हर भावना की एक ज़िम्मेदारी होती है। भावुक होकर बह जाना आसान है, लेकिन इस काल में भीतर की भावनाओं को समझना, उन्हें दिशा देना जरूरी हो जाता है।
मीन स्वभाव जो अक्सर दूसरों के दुख में खुद को खो देता है, उसे अब सीखना होगा खुद की सीमाएं तय करना। वक्री शनी मानो धीरे से कान में कहता है—“हर मददगार बनने की चाह आत्मबलिदान नहीं होनी चाहिए।”
और सबसे खास बात—मीन राशि की जो रहनुमाई करने वाली सहजता है, जो दूसरों को बिना कहे समझ जाती है—अब उसी को खुद पर लागू करने की बारी है। यह समय दूसरों से कम और अपने आप से संवाद करने का है।
शनी का यह उल्टा चलता चरण किसी सज़ा की तरह नहीं, बल्कि एक गहन अभ्यास की तरह आता है—जैसे कोई योगी तपस्या में लीन हो, वैसे ही मीन को अपने अंतर्मन की यात्रा पर जाना होगा।
शब्दों में कहा जाए तो—शनी का यह वक्री गोचर मीन राशि के लिए एक मौन गुरु की तरह है, जो सिखाता है, पर बोलता नहीं; जो ठहराव लाता है, लेकिन स्थिरता देता है।
अब बात करते है प्रत्येक भाव में शनी के वक्री होने का प्रभाव क्या होगा. आपकी कुंडली में मीन राशि जहां है उस भाव को आप देखना
मीन लगन वालों के लिए पहले भाव में शनी वक्री होंगे और जब शनी इस भाव में वक्री होता है, तो व्यक्ति खुद से लड़ना सीखता है क्यूंकि हालात ऐसे बन जाते है या बन सकते है। आत्म-संदेह, गहराई से सोचने की आदत और कभी-कभी अकेलापन—ये सब जैसे जीवन के स्थायी मेहमान बन जाते हैं। लेकिन यही संघर्ष उसे मजबूत बनाता है। उसकी आँखों में अनुभव की चमक होती है, भले ही मुस्कान में थकावट हो। ये शनी आपके मानसिक कम्फर्ट को हटाकर खुलकर आगे ले जाने आया है और इसका हाथ थामना आपका काम है
कुम्भ लगन वालों के लिए शनी दूसरे भाव में वक्री होंगे यहां शनी की वक्री चाल आदमी को चुप्पा बना देती है। बोलने से पहले सोचता है—और कभी-कभी इतना सोचता है कि बोल ही नहीं पाता। पैसों के मामले में भी यह समय सबक सिखाने वाला होता है—हर कमाई के पीछे पसीना होता है, और हर खर्च सोच-समझकर करना पड़ता है। लेकिन गलत संबंधो में घुसना बहुत हानि देगा।
मकर लगन वालों के लिए शनी तीसरे भाव में वक्री होंगे और यहां वक्री शनी इंसान को कम बोलने, पर गहरा सोचने वाला बना देता है। भाई-बहनों से दूरी या मनमुटाव हो सकता है, पर साथ ही लिखने, पढ़ने या आत्म-अभिव्यक्ति में गहराई भी आती है। एक कलाकार या लेखक इस भाव में नया जन्म पा सकता है। घर या प्रॉपर्टी से संबंधित कोई विवाद सुलझ सकता है.
धनु लगन वालों के लिए शनी चौथे भाव में वक्री होंगे और शनी जब यहां उलटी चाल चलता है, तो दिल भारी हो सकता है। घर होकर भी 'घर जैसा' नहीं लगता। मां की चिंता हो सकती है या अतीत की कोई टीस बार-बार लौट आती है। मगर यही वक्री शनी भावनाओं को गहराई देता है—अंदर से इतना मजबूत कर देता है कि तूफान भी हिला नहीं पाते। यदि जीवन के किसी बुरे मानसिक दौर से गुजर रहे तो ठीक होने का समय है.
वृश्चिक लगन वालों के लिए शनी पंचम भाव में वक्री होंगे और वक्री शनी यहां दिल से खेलने लगता है। प्रेम में देरी, संतान की चिंता, और रचनात्मकता में ठहराव—ये सब सामने आते हैं। पर जो इससे गुजरता है, वह न केवल परिपक्व प्रेम को समझता है बल्कि अपनी कला में एक अलग ही स्तर की प्रामाणिकता ले आता है।
तुला लगन वाले लोगों के लिए शनी छठे भाव में वक्री होंगे और यह भाव शनी के लिए एक कर्मक्षेत्र बन जाता है। रोग हो सकते हैं, पर यह भी सिखाता है कि शरीर की देखभाल कैसे की जाती है। शत्रु सक्रिय होते हैं, लेकिन आदमी रणनीतिक बन जाता है। यहाँ का व्यक्ति धीरे-धीरे अपने ही शत्रुओं को गुरु की तरह देखना सीख जाता है। यहाँ शनी वक्री होने कभी कभी अत्यधिक मेहनत करवाने की बजाये रुकने की ओर इशारा भी करता है.
कन्या लगन के लिए शनी सप्तम भाव में वक्री होंगे और यहां वक्री शनी आने पर रिश्ता एक आईना बन जाता है। शादी में असहमति, दूरी, या भावनात्मक ठंडापन हो सकता है। लेकिन इसी राह में व्यक्ति समझता है कि साथ निभाना क्या होता है। यदि वह हार नहीं मानता, तो यह रिश्ता आत्मा का विकास बन जाता है। अब दो बातें होंगी या तो आपका रिश्ता आगे तरक्की में साथ निभाएगा या बाधा बन जायेगा। किसी धार्मिक जगह पर सेवा करें सब हल निकल जायेगा
सिंह लगन में शनी अष्टम भाव में वक्री होंगे और यह शनी गहराई में ले जाता है—अंधेरे में। लेकिन डर नहीं, बल्कि खोज की आग लेकर। मृत्यु का नहीं, बल्कि पुनर्जन्म का प्रतीक यानी आपके जीवन में नए रास्ते खुलने वाले है और एक नया दौर शुरू होगा इसका खुले दिल से स्वागत करिये । यह समय व्यक्ति को आध्यात्म की ओर, रहस्य की ओर, और आत्म-परिवर्तन की ओर धकेलता है। यहाँ अब खुद से मिलने और समझने का मौका मिलेगा और बदलाव निश्चित होगा. खुश रहना ही एकमात्र उपाय है.
कर्क लगन में शनी नवम भाव में वक्री होंगे और यहां वक्री शनी एक विद्रोही विद्यार्थी की तरह होता है—गुरु से सवाल करता है, धर्म को तर्क की कसौटी पर कसता है। लेकिन इस रास्ते पर चलते-चलते वह खुद ही एक मार्गदर्शक बन जाता है। भाग्य को कर्म से परिभाषित करने वाला यह शनी इंसान को नियति से लड़ना सिखाता है। जिस काम को करने में आप डर रहे थे उसे अब आप करेंगे और सफलता भी मिलेगी लेकिन गुरु से दूरी ना होने पाए क्यूंकि किया धरा उन्ही का है.
मिथुन लगन के जातकों के लिए शनी दशम भाव में वक्री होंगे और यहाँ का शनी मेहनत का पर्याय बन जाता है। सब कुछ मिलने में देर होती है, पर जब मिलता है तो स्थायी होता है। यह शनि आदमी को “ज्यादा बोलो मत, काम करो” की शिक्षा देता है। सामाजिक प्रतिष्ठा धीरे बनती है, पर मजबूत नींव पर टिकती है। किसी घर की नींव कभी नहीं दिखती लेकिन पूरा घर उसपर टिका होता है इसी तरह आप क्या कर रहे हो आप कहाँ से कैसे और कितना कमाते हो ये अब आपको छुपाना आ जायेगा और यही सही रास्ता आपके लिए बनेगा क्यूंकि भावुक होकर आप ऐसा बताते आये हो.
वृषभ लगन वालों के लिए शनी गयारहवें भाव में वक्री होंगे और शनी जब यहाँ वक्री होता है, तो इच्छाएँ सीमित नहीं रहती , लेकिन गहराई से जुड़ी होती हैं। मित्रों की परीक्षा होती है—कुछ छूटते हैं, कुछ असली बनकर उभरते हैं। लाभ देरी से आता है, लेकिन जब आता है तो आत्म-संतोष के साथ। आपकी इच्छा तो ज्यादा होंगी लेकिन उनमे अध्यात्म या अकेलेपन का रूप ज्यादा होगा जैसे कहीं दूर मकान लेकर रहने का जहां कोई भी परेशान करने वाला न हो.
मेष लगन वालों के लिए शनी बारहवें भाव में वक्री होंगे यह वक्री शनी एक योगी की आत्मा को जन्म देता है। आदमी चीजें छोड़ना सीखता है—लालच, गुस्सा, भोग क्यूंकि उसने जो कमाया है उसमे संतुष्टि का भाव उसे दिख सकता है । यह एकांत का समय हो सकता है, विदेश से जुड़ी स्थिति या आत्म-त्याग की अनुभूति भी। पर इस त्याग में ही कहीं भीतर मुक्ति का बीज छुपा होता है। आप कभी कभी कुछ इसलिए त्याग देते हो क्यूंकि आपको उससे भी ज्यादा बड़ी तरक्की दिख रही होती है इसलिए कुछ बंधन तोड़ने के लिए थोड़ा घाटा भी सहना हो तो भी फायदे का सौदा होता है.
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