what is vastu shastra lecture - 1
आधुनिक भाषा में बात करता हूँ, हम सभी जानते है के हमारी पृथ्वी को बहुत सारी ऊर्जाएं घेरे रखती है, इसमें main है सौर ऊर्जा, चन्द्र ऊर्जा, गुरुत्वाकर्षण शक्ति, ग्रहों की ऊर्जा, तारों की ऊर्जा, मानव की ऊर्जा, साथ ही आपने नाम सुना होगा emf एक तरह से विद्युत् ऊर्जा .
ये उर्जायें एक क्षेत्र, इलाके, और मुख्यत एक घर को हर समय प्रभावित करती है, वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो की एक घर, महल, शहर को इन सभी ऊर्जाओं के साथ सही तरह से रहने के तरीके को बताता है. एक तरह से ये प्रकृति के नियमों के अनुसार हमे रहना सिखाता है. इसका एक उदाहरण आपको देता हूँ - जब सूर्य की स्थिति दक्षिण-पश्चिम में होती है तो उसकी किरणें पराबैंगनी (ultra violet) होती है, इस कारण वास्तु शास्त्र इस दिशा में किचन बनाने से मना किया जाता है ताकि हमारे food में ये किरणें ना पड़े.
वैदिक भाषा में आते है - वास्तु शब्द जिसका अर्थ है "वास" + "तु " वास का अर्थ है रहना और तु का अर्थ है नियम... इस प्रकार वैदिक भाषा में इसे वास करने के नियम को समझाने वाले शास्त्र को वास्तु शास्त्र कहा गया है.
History of vastu
अगर वास्तु की बात करें तो विषय बहुत ज्यादा पुराना प्रतीत होता है, इसका एक प्रमाण ये है के ऋग्वेद में इसका उल्लेख है, साथ अथर्वेद में स्थापत्य वेद नाम से वर्णन मिलता है यही स्थापत्य वेद आगे चलकर वास्तु शास्त्र के नाम से प्रसिद्ध हुआ है. हमारे यहाँ north India में विश्वकर्मा जी और south India मय को वास्तु शास्त्र का मुख्य उपदेष्टा कहा गया है लेकिन वहीँ मत्स्य पुराण इस बात को सिद्ध करता है के पुराण की रचना के समय में ही 18 तरह के वास्तु ग्रन्थ की सूची उस समय थी, इसके बाद मयमतम और मानसार जैसे ग्रन्थ आये.
सबसे पुरानी ज्ञात सभ्यता मोहनजोदड़ो में भी वास्तु नियमो के झलक दिखती है उन लोगों ने सूर्य चन्द्र की गति का अनुमान लगाना सीख लिया था साथ में उनकी उत्तर और पूर्व दिशा में खुला और दक्षिण-पश्चिम में निर्माण करना वास्तु नियमो को दर्शाता है.
रामायण में तो विश्वकर्मा जी का ही उल्लेख मिल जाता है राम जी की कुटिया और और महाभारत में मायासुर का बनाया हुआ पांडवों का महल... एक पुराणी सभ्यता धोलीवारा में भी वास्तु नियमो का अनुसरण दिखता है. इन सब बातों से स्पष्ट है के वास्तु कला बेहद प्राचीन काल से चली आ रही है लेकिन इसके कुछ ग्रन्थ नष्ट भी हुए है जैसे गर्ग संहिता,...
मुग़ल काल व् अंग्रेज शासन के दौरान इस विषय को दबाया गया, इसके बहुत सारे प्रमाण मिल है. शायद ये सबसे कारण रहा है जिसके कारण ये विषय उस समय इतना पनप नही पाया और आज बहुत ज्यादा प्रचलित है.

 
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