ऐसा कहा जाता है के उत्तर दिशा की और सिर करके नही सोना चाहिए। इसके बारे अनेक कहानियाँ भी प्रचलित है लेकिन क्या आप जानते है इसका वैज्ञानिक महत्व भी है. इसका कारण है पृथ्वी के नार्थ और साउथ पोल. आइये जानते है कैसे काम करते है ये ध्रुव और क्यों नही सोना चाहिए उत्तर की सिर करके
पृथ्वी के दोनों ध्रुवों (poles) पर चुम्बकीय प्रवाह होता होता है. जिसमे उत्तरी दिशा की और धनात्मक प्रवाह (positive flow) और दक्षिण दिशा की और ऋणात्मक प्रवाह (negative flow) चल रहा होता है. ऐसे ही हमारे शरीर के भी दो pole होते है नार्थ पोल यानि के हमारा सिर और साउथ पोल हमारे पैर.
यदि आप दो चुम्बक के नार्थ पोल या साउथ पोल को आपस में मिलाएंगे तो वो एक दूसरे से दूर जाते है, वो जभी आपस में मिलते है जब उत्तरी पोल को दक्षिणी पोल से मिलाया जाता है.
इसी तरह यदि वयक्ति अपना सिर उत्तर की ओर करके सोता है सिर - उत्तरी पोल का मिलन उत्तरी पोल से ही होता है. जिस कारण उत्तरी ध्रुव से चलने वाली धनात्मक तरंगे हमारे सर की धनात्मक तरंगो से दूर भागती है जिस कारण हमारे मस्तिष्क में गतिविधि तेज़ हो जाती है और बेचैनी बढ़ जाती है जो आगे चलकर किसी brain problem का रूप ले सकती है.
पृथ्वी के दोनों ध्रुवों (poles) पर चुम्बकीय प्रवाह होता होता है. जिसमे उत्तरी दिशा की और धनात्मक प्रवाह (positive flow) और दक्षिण दिशा की और ऋणात्मक प्रवाह (negative flow) चल रहा होता है. ऐसे ही हमारे शरीर के भी दो pole होते है नार्थ पोल यानि के हमारा सिर और साउथ पोल हमारे पैर.
यदि आप दो चुम्बक के नार्थ पोल या साउथ पोल को आपस में मिलाएंगे तो वो एक दूसरे से दूर जाते है, वो जभी आपस में मिलते है जब उत्तरी पोल को दक्षिणी पोल से मिलाया जाता है.
इसी तरह यदि वयक्ति अपना सिर उत्तर की ओर करके सोता है सिर - उत्तरी पोल का मिलन उत्तरी पोल से ही होता है. जिस कारण उत्तरी ध्रुव से चलने वाली धनात्मक तरंगे हमारे सर की धनात्मक तरंगो से दूर भागती है जिस कारण हमारे मस्तिष्क में गतिविधि तेज़ हो जाती है और बेचैनी बढ़ जाती है जो आगे चलकर किसी brain problem का रूप ले सकती है.
वास्तु से जुड़े वेद व् ग्रन्थ (vedas and granth related to vastu )
 यदि सिर दक्षिण की ओर हो तो दक्षिण की ऋणामक तरंगे हमारे सिर की धनात्मक तरंगो से मिल जाती है और दिमाग में हलचल नही होती और शरीर की प्रणाली सुचारू रूप से चलती रहती है.
 
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