धनु राशि का स्वामी “वृहस्पतिदेव” है. वृहस्पति देवगुरु सूचक है. धनु राशि का तत्व अग्नि, द्विस्वभाव अर्द्धजल राशि है. यह पूर्व दिशा का स्वामी है. यह राशि पुरुष राशि है. इस राशि के लोग पूरे कद के सुगठित देह, कद लम्बा व मस्तक काफी विस्तृत होता है. इनकी भोंहे घनी होती है. नाक लंबी होती है. आइये जानते है धनु राशि के गुण और अवगुण
धनु राशि के व्यक्ति आक्रामक स्वभाव के साहसी और परिश्रमी होते है. उए लोग महत्वाकांक्षी एवं उग्र भी हो जाते है. यह कठिन से कठिन समस्याओं को अपने सब्र और साहस और परिश्रम से सुलझाते है. आत्मविश्वास अधिक होता है. अग्नि तत्व राशि होने से स्फूर्ति और जोश अधिक होता है.
 द्विस्वभाव होने के कारण जल्द निर्णय नहीं ले पाते है. काफी सोच विचार करते है. कभी कभी अभिमान का भी प्रदर्शन करते है. यह उच्च विद्या प्राप्त करते है. यात्रा के शौकीन होते है. गुरु इन्हें उदार हृदयता, आत्मविश्वास, सत्यवादिता और अध्यात्मिक प्रगति देता है.
धनु राशि वाले उन्नति की अधिक इच्छा रखने वाले होते है. व कठोर अनुशासन प्रिय होते है. इस गुण के कारण इनके अधिक शत्रु भी बन जाते है.यह धार्मिक प्रवृति के लोग भी होते है.
धनु राशि वाले निस्वार्थी, मेधावी तथा अनेक भाषाओं के ज्ञाता, साहित्य में रूचि रखने वाले होते है. यह व्यक्ति बैंकर, प्रोफ़ेसर, राजनीतिज्ञ, अच्छे सलाहकार, वकील, अध्यापक, व उच्चकोटि के व्यापारी और उपदेशक होते है.
धनु राशि वाले उन्नति की अधिक इच्छा रखने वाले होते है. व कठोर अनुशासन प्रिय होते है. इस गुण के कारण इनके अधिक शत्रु भी बन जाते है.यह धार्मिक प्रवृति के लोग भी होते है.
धनु राशि वाले निस्वार्थी, मेधावी तथा अनेक भाषाओं के ज्ञाता, साहित्य में रूचि रखने वाले होते है. यह व्यक्ति बैंकर, प्रोफ़ेसर, राजनीतिज्ञ, अच्छे सलाहकार, वकील, अध्यापक, व उच्चकोटि के व्यापारी और उपदेशक होते है.
राजनीति, क़ानून, गणित या ज्योतिष विषयों में भी रूचि रखते है.ये धैर्ययुक्त प्रवृति से कार्य क्षेत्र में उन्नति करते है.ये लोग भाषण देते समय पूरी ताकत लगा देते है. यदि यह लोग सैनिक बने तो युद्ध में पीठ नहीं दिखा सकते है. पुलिस, सेना और अच्छे जासूस भी धनु राशि वाले बन सकते है.
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए. इस राशि वालों को फेफड़ों तथा वायु संबंधी रोगों से सावधानी रखनी चाहिए.
ऐसे लोगो का एक सबसे बड़ा अवगुण ये होता है के ये लोग अहंकारी हो सकते है व् अपने आप को विद्वान बताने की कोशिश में लग जाते है.
आपका भाग्य उदय:- 32 वर्ष के बाद सम्भव होता है. 36, 42, 45, 54, 63, 72, एवं 81वां वर्ष प्रभावशाली व भाग्यवर्धक वर्ष होते है.
नाम अक्षर:- ये, यो, भा, भी, भू, ध, फ, ढ, भे,
मित्र राशि:- मेष व सिंह,
शत्रु राशि:- कर्क, वृश्चिक और मीन,
अनुकूल रत्न:- पुखराज,
शुभ दिन:- वृहस्पतिवार,
अनुकूल देवता:- भगवान विष्णु जी,
अनुकूल अंक:- 3,
अनुकूल तारीखें:- 3, 12, 30,
सकारात्मक तथ्य:- बुद्धिवादी, तर्क, लक्ष्य प्राप्ति की और सचेष्ट,
नकारात्मक तथ्य:- अतिधूर्तता, अहंकार
मित्र राशि:- मेष व सिंह,
शत्रु राशि:- कर्क, वृश्चिक और मीन,
अनुकूल रत्न:- पुखराज,
शुभ दिन:- वृहस्पतिवार,
अनुकूल देवता:- भगवान विष्णु जी,
अनुकूल अंक:- 3,
अनुकूल तारीखें:- 3, 12, 30,
सकारात्मक तथ्य:- बुद्धिवादी, तर्क, लक्ष्य प्राप्ति की और सचेष्ट,
नकारात्मक तथ्य:- अतिधूर्तता, अहंकार
 
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