आज हम बात करते वास्तु शास्त्र में बेड की स्थिति कैसे देखि जाती है. देखिये बैडरूम की दिशा के बारे में आपने पढ़ा होगा लेकिन बेड किस तरह का हो उसके लिए वास्तु का ग्रंथ समरांगण सूत्रधार बताता है. इसमें हम 3 मुख्य चीज़ो के बारे में जानेंगे बेड, चप्पल और कंघी।
बेड की स्थिति हमे कब देखनी चाहिए
सबसे पहले रिलेशनशिप का मुद्दा हो
दूसरी बात लगातार कोई बीमार हो या दिमागी बीमारी हो
कन्सीव इश्यूज हो तो भी देखना चाहिए
समरांगण सूत्रधार के 29 वे चैप्टर में इसकी व्याख्या मिलती है. इसका एक कारण ये भी हो सकता है क्यूंकि हम अपनी जिंदगी का कम से कम 33 प्रतिशत हम बेड पर ही बिताते है. एक दिन में 24 घंटे होते है उनमे से कम से कम 8 घंटे पर ही रहते है, शायद पुराने वास्तु विद इस लिए बेड पर बहुत जोर देते रहे होंगे। वास्तु शास्त्र में हम देखे तो रिलेशनशिप और इम्युनिटी के लिए बेड बहुत जरूरी वस्तु है. क्यूंकि अच्छी नींद होगी तो शरीर स्वस्थ रहेगा।
सबसे पहले बेड लाने का या बनवाने का मुहूर्त बताया गया है. जिसमे मित्र मुहूर्त और पुष्य नक्षत्र वाले दिन बेड निर्माण करना या नया बाजार से लाना सबसे शुभ माना जाता है. एक दिन में 15 मुहूर्त होते है इसमें तीसरा मुहूर्त मित्र मुहूर्त होता है जो आप आसानी से मोबाइल से या किसी पंडित जी से पूछ सकते है. ऐसे ही जिस दिन चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है उसे पुष्य नक्षत्र का दिन बोला जाता है.
अगले ही श्लोक में बेड और सोफा के लिए अच्छी लकड़ी के बारे में बताया गया है. इसमें चंदन, अर्जुन, तिनिश, साल, असन, हरिद्रु, देवदार, ओक. श्रीपर्णी व् अन्य शुभ वृक्षों की लकड़ी को अच्छा माना गया है.
पंचम श्लोक में एक अलग बात है के बेड सोने चांदी से मढ़ा हुआ हो तो अच्छा होता है इसके अलावा पीतल भी अच्छा बताया गया है, यंहा पर बेड की एनर्जी को पॉजिटिव करने की कोशिश की जा रही है. जैसे ज्योतिष उपायों में पीतल की कील, चांदी की कील बेड के पायो में गाढ़ी जाती है उससे बेड से संबंधित परेशानी दूर होती है ऐसा इस श्लोक में बताया गया है. आप बेड पर कोई चांदी की कलाकृति रख सकते है.
आगे ये भी बताया गया है के बेड के पाए मोटे होने चाहिए साथ ही उसी लकड़ी चाहिए जिससे बेड बना है.अगर अलग अलग लकड़ियों से बेड बनाया गया है तो ये भय को बढाएगा, हालाँकि इसका निवारण सूत्र दिया गया है. इसमें ग्रंथ बताता है के बेड को जब जोड़ो यानी अस्सेम्ब्ल करो तो पहले पूर्व दिशा से करो फिर दक्षिण दिशा से फिर पश्चिम और फिर उत्तर दिशा से करना चाहिए.
ये मेरा ही एक केस था जिसमे भूत बाधा व्यक्ति को थी, क्यूंकि इससे उलट क्रम से बेड नहीं जोड़ने से भूत बाधा आने का खतरा होता है तो बेड दोबारा खुलवा कर, पूषा नक्षत्र में मित्र मुहूर्त में बेड दोबारा अस्सेम्ब्ल करवाया तो फायदा मिल गया था.
इसके बाद बात आती है एक अलग ही टॉपिक की, यदि शय्या बैठते वक़्त हिलती है तो जिंदगी में स्थायित्व आने में दिक्क्त होती है, घर बार बार बदलना पड़ सकता है लेकिन विदेश सेटल होने का मन है है तो शय्या ऐसी करनी चाहिए यानी थोड़ी हलके वजन की हो तो अच्छा रहेगा.
आगे इस विषय में कंघी का टॉपिक भी आता है अब ये बड़ी अजीब बात है क्यूंकि कंघी का बेड से कोई लिंक नहीं दीखता लेकिन वास्तु के सबसे बड़े ग्रंथ में इसका उल्लेख है तो कोई बात भी होगी. क्यूंकि इस कंघी को जब हम ढूंढ़ते है तो अथर्ववेद में कंघी को जरूरी वस्तु बताया गया है, इसके अलावा ऋग्वेद, शब्दकल्पद्रुम, अमरकोश, जटाधर, राजवल्ल्भ ग्रंथ में बहुत ज्यादा बताया गया है.
शायद सर की गंदगी का विषय होगा, या सहस्त्रार चक्र होगा क्यूंकि अथर्ववेद बिना किसी परा विज्ञानं के बिना बात नहीं करता। तो बेड के साथ कंघी का भी उल्लेख है के इसका निर्माण किसी अच्छी लकड़ी से करना चाहिए और एक सूत्र भी दिया गया है के कंघी के बीच में स्वस्तिक या चिन्ह बनाना चाहिए. यंहा ये नींद और शांति की ओर जाने का इशारा करता है. ये आप लोग भी कर सकते है.
इसके बाद राजा भोज पादुका यानी जूते चप्पल का भी वास्तु महत्व बताते है. शायद आज के युग में ये बहुत जरूरी है देखिये कंघी को सिर से और पादुका को पैर से जोड़कर देखे तो नार्थईस्ट और साउथवेस्ट दोनों को बैलेंस कर दिया जो इंसान की रिड होती है. जिसके सही होने से इंसान का विष्णु अंश सही काम करता है. तो इसमें पादुका के बारे में बताया गया है के पादुका पैर के मुक़ाबले हलकी सी बड़ी हो और जंहा अंगूठा आता है वंहा और उंगलियों की तरफ मछली की आकृति बनानी शुभ फल देती है. साथ ही पादुका ऊँची और भारी पहनने पर जोर दिया गया है ताकि शरीर जल्दी बूढ़ा ना हो हालाँकि मॉडर्न साइंस में भी यही कहता है के पेरो में खून सही से चलता हो तो पेट की बीमारी नहीं होगी.
तो एडवांस वास्तु का ये पहला चैप्टर खत्म हुआ, इसमें बेड, कंघी और चप्पल के बारे में हमे जांनने को मिला। मैंने लेक्चर की शुरुआत में बता भी दिया के ये चीज़े कब चेक करनी है.
Comments
Post a Comment