वास्तु के प्राचीन ग्रन्थों में ऐसे अनेक ऐसे योग लिखे मिलते है जिनमे यदि ग्रह निर्माण हो या ग्रह प्रवेश हो जाये तो निश्चित ही वह घर हमेशा हर तरह से फल फूलता रहेगा, ऐसा ही एक योग आपको बताते है...
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कुछ घर ऐसे देखने में आते है जिनमे पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ोतरी ही होती है या खानदानी रईस देखने को मिलते है, ऐसे में वैदिक वास्तु के नियम ऐसे घरों में दिखते है.
कुछ लोग ऐसा भी सोचते है के एक वास्तु अनुसार नक़्शे से बना घर ही वास्तु शास्त्र कहलाता है लेकिन ऐसा नही है. वास्तु के प्राचीन ग्रन्थों में राशि, नक्षत्र, वार को ज्यादा महत्व दिया गया है ऐसा ही एक योग आपको बताता हूँ.
अथ श्रावणे मासि सप्तस्कारविशेषेण गर्हारम्भस्य प्रशस्तयमुक्तमं
भावार्थः - यदि श्रावण मास हो, शनिवार दिन, स्वाति नक्षत्र, सिंह लगन, शुक्ल पक्ष, सप्तमी तिथि और योग शुभ करण हो - ये सारे एक साथ आ जाए तो ऐसे में किया गया वास्तु कार्य बहुत अच्छा परिणाम देगा, ऐसा घर हमेशा पुत्र -पौत्र, धन, वाहन हर तरह से भरा रहेगा. इसमें आने वाली पीढ़िया हमेशा फलती रहेंगी.
इस योग का जिक्र वास्तुप्रदीप ग्रन्थ और साथ ही वास्तु रत्नावली में देखने को मिलता है, निश्चित ही ये योग आसानी से नही बनता लेकिन ये योग अति शुभ है और हर किसी को पता नही. यदि आपकी कोई वास्तु सम्बन्धित परेशानी है तो comment में लिख सकते है..
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