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माइग्रेन बीमारी का वास्तु से संबंध - migraine and vastu shastra

 




 माइग्रेन बीमारी का वास्तु से संबंध - migraine and vastu shastra




नमस्कार दोस्तों।। 

वास्तु शास्त्र में बीमारियों के बारे में भी बताया गया है. आज चर्चा करते है एक कॉमन बीमारी की जिसका नाम है माइग्रेन। सबसे पहले ये जानते है के शरीर में ये बीमारी किस कारण से होती है. 


माइग्रेन आज की तारीख में एक common problem है. लेकिन जिसको होती है वही इसका दर्द जानता है. पहले जानते है माइग्रेन कैसे होता है. 


जब हमारे शरीर में भोजन सही से नही पचता तो एक अम्ल यानि एसिड  का निर्माण होता है इसे आयुर्वेद में आम भी बोला जाता है.  ये शरीर में कंही भी अपनी जगह बना लेता है. अगर ये सिर में अपनी जगह बना ले तो माइग्रेन बनने की शुरुआत हो जाती है. 

 डेली अपच की वजह से सिर के उस हिस्से की नसें कमज़ोर हो जाती है. और जब भी  शरीर में एसिड लेवल जिसे हम तेजाब भी बोलते है उसका स्तर नार्मल से ज्यादा बढ़ जाता है उसी समय ये भयंकर दर्द होता है. 


इस प्रकार हमें पता चलता है के इसका मुख्य कारण पित्त और अपच है.

अब हम बात करते है वास्तु अनुसार इस बीमारी को कैसे देखा जाये।  

वास्तु शास्त्र में एक घर को बीमारियों के हिसाब से 3 भागों में बांटा गया है. ये  तीन भाग है वात, कफ और पित्त। इस बीमारी का कारण है पित्त। 


घर में पूर्व दिशा से लेकर दक्षिण दिशा  तक का एरिया पित्त का जोन माना जाता है.  

शरीर में एसिड की अधिकता का कारण  दक्षिण और दक्षिणपश्चिम के बीच में बैठ कर भोजन करना  होता है या उस दिशा में खाने का सामान रखना  मुख्य कारण होते है.

इसके अलावा दक्षिण में पूजा स्थान का होना हमारे शरीर में पित्त के लेवल को increase कर देता है. 

 इसके साथ ही हमारे सिर की दिशा  यानि के northeast यहाँ पर यदि कोई लाल रंग और pink color आ जाये तो migraine  एक बड़ी बीमारी बन जाती है क्यूंकि ईशान कोण में लाल रंग आने से गुस्सा ज्यादा आने लगेगा जिससे एसिडिटी की सम्भावना ज्यादा हो जाती है. 



उपाय के लिए सबसे सरल साधन यही है के आप अपने घर के ईशान कोण नार्थईस्ट को लाल रंग से दूर करो.  और साथ में खाना दक्षिण और दक्षिणपश्चिम के बीच के जोन में रखने से बचो.

 साथ ही दो उपाय जरूर करे. पहला भोजन उत्तर  दिशा की ओर मुख कर के करें। इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी. 

इसके अलावा ईशान (northeast) और उत्तर दिशा के मध्य की दिशा को सहज रूप से शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला माना जाता है.  यंहा थोड़ा समय बिताने से शरीर अच्छा होता है. 

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