लाजावर्त मणि
नाम- हि. लाजवर्द, लाजावर्त, राजावर्त, अं. लैपिस लैजूली।
आयुर्वेद निघण्टु के धातु वर्ग में इस पत्थर के बारे में लिखा मिलता है, ये क्रिस्टल ठंडा, पित्त को दूर करने वाला, माइग्रेन, वमन और हिचकी की दिक्कत को ठीक करता है. ये नील रंग का चिकना पत्थर होता है, जिसमे gold का कुछ अंश मिला होता है. निघण्टु शास्त्र के अनुसार राहु ग्रह से जुडी किसी भी बाधा दूर करने के लिए उपयोग करते है.
नाम- हि. लाजवर्द, लाजावर्त, राजावर्त, अं. लैपिस लैजूली।
आयुर्वेद निघण्टु के धातु वर्ग में इस पत्थर के बारे में लिखा मिलता है, ये क्रिस्टल ठंडा, पित्त को दूर करने वाला, माइग्रेन, वमन और हिचकी की दिक्कत को ठीक करता है. ये नील रंग का चिकना पत्थर होता है, जिसमे gold का कुछ अंश मिला होता है. निघण्टु शास्त्र के अनुसार राहु ग्रह से जुडी किसी भी बाधा दूर करने के लिए उपयोग करते है.
इसका ज्यादा संबंध आज्ञा चक्र और throat चक्र से जुड़ा होता है.
इस मणि का रंग मयूर की गर्दन की भाँति नील-श्याम वर्ण के स्वर्णिम छींटों से युक्त होता है इसके प्रभाव से बल, बुद्धि एवं शक्ति की वृद्धि होती है.
भूत, पिषाच, दैत्य, सर्प आदि का भय दूर करने के लिए lapis का यूज़ किया जाता है। अन्य रत्नों की भांति इस मणि में भी दोष पाये जाते हैं। दोषी मणि को धारण करना अशुभ फलदायक होता है इसलिए सदैव निर्दोष मणि ही धारण करना चाहिए।
खून साफ़ करने और बाल झड़ने में ये फायदा करता है, चक्क्र आना और ब्लड प्रेशर low की दिक्कत में ये फायदा करता है.
खून साफ़ करने और बाल झड़ने में ये फायदा करता है, चक्क्र आना और ब्लड प्रेशर low की दिक्कत में ये फायदा करता है.
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